Friday, March 11, 2011

सेवानिवृत होते बिहार के युवा

सेवानिवृत होते बिहार के युवा
नितेन्द्र विक्रम कौशिक

पिछले कुछ सालों से हमारे बिहार में हस्यास्पद एवं दुखद स्थिति बनी हुयी है ! अभी जो यहाँ की स्थिति बनी हुयी है उसके हिसाब से मेरे पिताजी के लिए नौकरियों की भरमार हैं लेकिन मेरे लिए नहीं है ! आज की स्थिति ऐसी बनी हुयी है की , एक व्यक्ति जिसका नाम राकेश कुमार है ,जिसकी उम्र ४३ साल है , उसके पिताजी का नाम श्री राजेंद्र प्रसाद सिंह है, जिनकी उम्र ६४ साल है ! एक दिन राकेश अपने पिताजी को उनके कार्यालय छोड़ने जा रहा था ! कार्यालय जाने के क्रम में उसका दोस्त मिल गया , जिसका नाम जीतेन्द्र था ! मिलने पे दोनों को बहुत ख़ुशी हुयी ,एक दुसरे हाल चाल लेने लगे ! फिर अचानक जीतेन्द्र ने राकेश से पूछा की , तुम्हारी नौकरी कब लगी और कितने साल नौकरी बची हुयी है ? उस समय वहां पे खड़े हुए लोगों के लिए हस्यास्पद स्थिति बन गयी और राकेश के लिए दुखद स्थिति ! फिर उसने अपने दोस्त से बोला की दोस्त मैं नौकरी नहीं करता हूँ , मैं अपने पिताजी को कार्यालय छोड़ने जा रहा हूँ ! उस समय राकेश के चेहरे का जो भाव था वो बहुत ही दुःख और पीड़ा से भरा हुआ था , मानो की वो थोड़ी देर में ही ख़ुदकुशी कर बैठेगा ! फिर वो किसी तरह अपने आप को सँभालते हुए मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया !

आज बिहार में अधिकतर युवाओं की कमोबेश यही स्थिति बनी हुयी है ! आज की तारीख में बिहार में जितनी भी नौकरियां आ रही हैं , उसके लिए जो - जो पात्रता चाहिए उसमे सेवानिवृत प्रमुख रूप से है या फिर उसी विभाग के अधिकारयों एवं कर्मचारियों की उम्र सीमा बढ़ा दी जा रही है , जिसके कारण बिहार के युवा सेवानिवृत होने पे मजबूर हो रहे हैं ! आज जिसे देखो वो विकास की बात कर रहा है , चाहे वो केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार ! दोनों अपने अपने दावे कर रहे हैं ! हम २०२० तक भारत को विकसित देश बना के छोड़ेंगे , तो राज्य सरकार का कहना है की २०१५ तक बिहार को विकसित राज्य की श्रेणी में खड़ा कर के ही रहेंगे ! लेकिन मुझे सरकार का कोई ऐसा काम दिखाई नहीं देता है जिससे ये परिलक्षित हो की वो हकीकत में भारत और बिहार का विकास चाहते हों ! क्योंकि युवा के बगैर विकास की बात करना बेईमानी है और मुर्खतापूर्ण है ! अगर आपको भारत और बिहार को विकसित बनाना है तो नए चेहरे , नई सोंच , नई तरीके और नए जोश को मौका देना होगा और अपने कार्यालयों में भागीदारी देनी होगी ! तभी जाकर विकसित भारत और विकसित बिहार की परिकल्पना को पूरा कर पाएंगे !

लेकिन ऐसा भी नहीं है की केंद्र सरकार और बिहार सरकार ने कुछ नहीं किया है , उनके द्वारा बहुत सारी ऐसी योजनायें चलायीं गयी है जिससे युवा स्वाबलंबी बन सकें ! लेकिन वो भी कुछ विशेष समुदाय के लिए चलाया गया है जिससे उनके वोट बैंक में इजाफा हो सके ! क्योंकि उनलोगों को तकनिकी विषयों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है या दिया जाना है ! और उसकी जो समय सीमा तय की गयी है वो उन विषयों के लिए काफी नहीं है , उनके लिए जो नौकरी की व्यवस्था की जा रही है वो किसी भी मायने में न्यायोचित नहीं है ! यों कहें की उनके हाँथ में एक लड्डू थमा दिया गया है, एक खिलौना दे दिया गया है की खेलते रहो और अपनी जुवान को बंद रखो ! लेकिन हकीकत में उनलोगों के साथ ये लोग खेल रहे हैं !

आखिर में मैं एक सवाल पूछना कहता हूँ की इसके लिए जिम्मेदार कौन है सरकार या फिर हमलोग ? मेरा जवाब होगा की इन सबों के जिम्मेदार हमलोग खुद हैं ! क्योंकि हमलोग अपनी आवाज दवाए हुए हैं ! जिस दिन हमलोग अपने हक के लिए अपने आवाज को बुलंद करना सुरु कर देंगे उस दिन से सरकारें हमारी बातों की सुनने लगेगी ! सिर्फ सुनेगी ही नहीं बल्कि हमारी बातों को मानने भी लगेंगी ! हम युवाओं को आगे आकर अपनी आवाज को उठाना चाहिए ! हमलोग उनलोगों को इतना मजबूर कर दें की उनलोग खुद चलकर हमारे पास आ कर ये कहें की हमलोग आपलोगों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं ! हमलोग इन्टरनेट के जरिए शोशल साईट पे अपने मित्रों की बातों पे वक्तव्य देने में व्यस्त रहते हैं , हम एक दुसरे की बातों को काटने में लगे हुए रहते हैं , हम एक दुसरे को घेरने में लगे हुए रहते हैं ! इस से क्या फायदा होगा ? क्यों न हमलोग एक दुसरे के माध्यम से जानकारी प्राप्त करें , एक दुसरे के सहयोग से लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया करवाएं ! क्यों न हम अपने ज्ञान और अनुभव को अपने समाज के बिच जाकर बाटें! जिससे हमारे जैसे आने वाली युवा पीढ़ी को वो सब न झेलना पड़े जो हमलोगों ने झेला है या झेल रहे हैं ! आइये हमलोग आज संकल्प लें की हम अपने समाज के प्रति जो हमारी जवाबदेही है उसका ईमानदारी निर्वहन करेंगे और लोगों ( सरकार ) को इतना मजबूर कर देंगे की वो खुद हमारे पास आकर भारत और बिहार के विकास में हमलोगों को भागीदार बनायें