प्रयास
धरोहरों कों सजोंने का,
शहीदों को नमन का ।
राष्टप्रेम को जगाने का,
गौरव को बताने का ।
आत्मबल को बढ़ाने का,
गुलामी से मुक्ति पाने का ।
जनचेतना को जगाने का,
समृद्ध राष्ट बनाने का ।
मानवता को बचाने का,
परचम फिर लहराने का ।
प्रेरणा मिलेगी ,
कैसे ? कब ? कहाँ ?
आदर्श बचे ,
कहाँ ?
ढूढ़ता हूँ भीड़ में,
शायद मिल जाये भीड़ में ।
और यहाँ भीड़ ,
समूह है भेड़ों का ।
चरवाहे हैं वही,
नेता,अपराधी व नौकरशाह ।
जो ये कहें,करते रहो,
चुपचाप जीते हुए मरते रहो ।
चुप रहो,शान्त रहो,
शान्ति ही जीवन है ।
पर क्या यह सत्य है ?
अभी तो अधूरा संकल्प है ।।।।