Sunday, October 2, 2011

समाजवादी साइकिल यात्रा



समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव की क्रांति रथ यात्रा के तीनो चरण में उमड़ी भीड़ से उत्साहित होकर धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव ने कहा कि कार्यकर्ताओ के संघर्ष व बसपा सरकार कि जनविरोधी नीतिओ के कारण आम जनता समाजवादी पार्टी कि सरकार उत्तर प्रदेश में बनाना चाहती है | सभी कार्यकर्ताओ को मनोयोग से घोषित प्रत्याशियो को भारी मतों से जिताने के लिए जुट जाना चाहिए | सरकार बनने पर कार्यकर्ताओ को निर्वाचित विधयाको से ज्यादा महत्व मिलेगा | कार्यकर्ताओ में ख़ुशी की लहर व्याप्त , समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भरा जोश | आज २ अक्टूबर को प्रातः १० बजे गाँधी पार्क - लोहिया नगर गाजिआबाद में भारी तादाद में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता जमा हुये | महात्मा गाँधी के जन्मदिन पर आयोजित समाजवादी साइकिल यात्रा गाँधी पार्क - लोहिया नगर से अम्बेडकर रोड मलिवारा से चौधरी रोड , चौधरी रोड से घंटा घर होते हुये नया बस अड्डा , नए बस अड्डे से हिंडन नदी होते हुये मोहन नगर , मोहन नगर से M4U राजेंद्र नगर मोड़ , राजेंद्र नगर मोड़ से कान्हा काम्प्लेक्स होते हुये डॉ राम मनोहर लोहिया पार्क में समाप्त हुई | इस अवसर पर विवाह योग्य युवक युवतियो का परिचय सम्मेलन भी आयोजित किया गया | इस कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी मौजूद थे |

मानव का धर्म से नाता और पाखंड --अरविन्द विद्रोही

मानव का धर्म से गहरा नाता है |धर्म क्या है , इसका सरल भाव में उत्तर है जो धारण करने योग्य है| मानव को एक सही राह दिखाने की व्यवस्था को धर्म मना जाता है | पाँच तत्वों से निर्मित मानव मात्र की शारीरिक संरचना जन्म लेते समय भेद नहीं करती |विभिन्न उपासना पद्धतियाँ धर्म के स्वरुप में हमारे सामने विधमान है | सनातन धर्म अपनी पुरानी और मानव मात्र ही नहीं वरन ब्रह्माण्ड के चल-अचल जीव-जन्तुओ , जड़ के प्रति अनुराग रखने व व्यवस्था में प्रत्येक का मान-महत्व सुव्यवस्थित रखने के कारण अपनी श्रेष्टता को प्रदर्शित करता आया है | सनातन धर्म अपनी श्रेष्ठ व कल्याणकारी उपासना पद्धतिओं व उपदेशो ,विचारो के कारण अपना विस्तार कर सकता है | दुर्भाग्य वश सनातन धर्म के मतावलंबियो में धर्म के मूल स्वरुप व धर्म ग्रंथो के प्रति रुझान -जानकारी अर्जित करने की सदिक्षा लुप्त प्राय से हो गयी है | गुरु कुल तो खैर बीते ज़माने की बात हो गयी है , स्कुलो -महा विद्यालयों की पुस्तकों में भी धर्म-संस्कृति-राष्ट्र गौरव की कथाओ व चरित्रों का ज्ञान ख़त्म कर दिया गया है, सीमित कर दिया गया है | नैतिकता व सदाचार की शिक्षा आज बेमानी मानी जाने लगी है | साहित्य समाज का दर्पण होता है | साहित्य से ही समाज को दिशा भी मिलती है | आज साहित्य का स्वरूप भी काफी तेजी से परिवर्तित हुआ है | आज पुस्तकों , अखबारों , पत्र-पत्रिकाओ से रेडियो ,दूर-दर्शन तक का सफ़र करते -करते साहित्य इलेक्ट्रानिक मीडिया व अंतर्जाल यानि की इंटरनेट तक आ पहुंचा है | पूर्व में जहा पुस्तके ही ज्ञान प्राप्ति व सूचनाओ का माध्यम होती थी , आज वैश्विक स्तर पर एक स्पंदन मात्र से कोई भी अपने को जोड़ सकता है | ज्ञान व विज्ञानं अपने विकास में गुणोत्तर वृद्धि कर रहे है लेकिन क्या हम अपने मष्तिष्क में सदियो से व्याप्त ग्रन्थियो , अंध विश्वासों से निजात पा सके है ? आखिर हमारा मन मष्तिष्क क्या चाहता है ? धर्म ग्रंधो का बोध ,ज्ञानार्जन का हमें चाव नहीं रहा , फुर्सत नहीं रही विचारो के आदान प्रदान की | विज्ञानं की बातो का आस्थाओ के मसलो पर हमें यकीन नहीं होता | ना धर्म की सम्पुर्न्य बोधता की ललकता ना ही विज्ञानं की कसौटी पर चलने का हौसला | ताजिंदगी श्रुतियो , काल्पनिक मन गढ़ंत घटनाओ के पीछे अंध विश्वास में भागता मनुष्य वास्तव में धर्म के मूल स्वरुप को खंडित करने में अपना महती योगदान देता चला जा रहा है | उपरोक्त सारी बाते लिखने के पीछे मेरे मन में व्याप्त पीड़ा ही है | मेरा जैसा व्यक्ति जो धर्म के पहलु पर लिखने से सदैव परहेज़ करता रहा , आंतरिक पीड़ा व मन की विवशता से यह लिख रहा हूँ | समाज में व्याप्त इश्वर के प्रति , सर्व-शक्तिमान के प्रति , उसके अवतारों के प्रति , उसके बताये मार्गो , वचनों , नियमो के प्रति अटूट श्रधा रखने वाला भारतीय जनमानस बार-बार पाखंडियो के द्वारा छला जा रहा है | ऋषियो-मुनिओ -तपस्विओ की गौरवशाली परंपरा को , उनके तपोबल से उपजी व निर्मित धार्मिक श्रधा को तमाम साधू-संत वेश धारी ठगों ने छलने व धूमिल करने का कुत्सित कार्य किया है | महानगरो के यह ठग अपने मायाजाल में , अपनी बाजीगिरी में नेता-अपराधी-नौकरशाह तीनो को फँसाते रहे है |ठगी का यह जाल सुनियोजित रूप में शहरो-महानगरो में व्याप्त था ही अब ग्रामीण अंचल में भी मेहनत कश किसान -मजदूर की मेहनत की ,खून पसीने की कमाई पर इन पाखंडी लुटेरो की नज़र पड़ चुकी है | ग्रामीण अंचलो में पूर्व में भी या यह कहिये की सदैव से ही वो बाते जन चर्चा बन जाती है जो सत्य नहीं होती |ग्रामीण अंचलो की यह जन चर्चाये पहले ग्रामीण इलाको से ही फैलती थी और अब धर्म के नाम पर अन्धविश्वास और पाखंड का व्यापार करने वाले इन इलाको में सुनियोजित तरीके से चर्चाओ को जन्म दे कर , अपना प्रचार करवा के जनता का भावनात्मक , धार्मिक , आर्थिक दोहन कर रहे है | मानव जीवन में सदाचार , नैतिकता , बंधुत्व , प्रेम , अपनत्व की जगह सिर्फ पाखंड का प्रचार मानव के धार्मिक मूल को नष्ट कर रहा है | उपासना मार्ग की जगह अगर धर्म के तत्त्व व मार्ग का अनुसरण करने की शिक्षा दी जाये व ग्रहण की जाये तो सामाजिक - धार्मिक कुरितियो से छुटकारा मिलने में तनिक देर नहीं लगेगी |