Wednesday, April 4, 2012

मन की बात

मन की बात , मन में आये विचार अपने मित्रो में विचार-विमर्श के लिए रखना अपराध है क्या जी ? अपने को बुद्धिजीवी मानने वाले वर्ग को समझना चाहिए कि अपने को बुद्धिमान समझने वाले वर्ग से आम जन , मित्र यहाँ त़क कि परिजन भी पीड़ित रहते है , तो आखिर क्यूँ ? अपनी बुद्धिमानी के समुन्दर से तनिक सामान्य ज्ञान की लुटिया से जल अपने पे भी डाल लेने में कोई हर्जा नहीं है | दुसरो को ज्ञान वितरित करने के साथ साथ स्वयं भी लाभान्वित होइए जी |