Tuesday, September 20, 2011

अवसर मिलते ही राजनीतिक विरोधियो को मिलाने-ठिकाने लगाने में जुटे बेनी प्रसाद वर्मा ------------------ अरविन्द विद्रोही

उत्तर प्रदेश विधान सभा २०१२ के आम चुनाव जैसे जैसे करीब आते जा रहे है,चुनाव लड़ने को हर हाल में आतुर व राजनीतिक दलों में नेपथ्य में पड़े लोग दल बदलने - निष्ठा बदलने में जुट गये है | राजधानी लखनऊ से सटे जनपद बाराबंकी में इन दिनों प्रति दिन दल बदलने व नया सिधान्त अपनाने का एक बयार बह रहा है| इस दल बदल के पीछे सिधान्तिक मतभेद ना होकर सिर्फ चुनावी हसरते है यह सर्व विदित है| महीनो पहले बाराबंकी में हुये बड़े राजनीतिक धमाके की अनुगूंज के रूप में यह दल बदल हो रहे है| दरअसल महीनो पहले बहुजन समाज पार्टी के नेता सुरश यादव उर्फ़ धर्मराज यादव जिनकी पत्नी दूसरी बार निर्विरोध बंकी ब्लाक प्रमुख पद पर निर्वाचित हुई है,ने लखनऊ जाकर समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारो की पार्टी समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव में आस्था जताते हुये ,उनके नेतृत्व में कार्य करने का संकल्प लेते हुये बसपा से त्यागपत्र देकर समाजवादी पार्टी की सदयस्ता ग्रहण कर ली थी| विश्वस्त सूत्रों के अनुसार यह घटना क्रम एकाएक नहीं घटित हुआ | जनेस्मा छात्र संघ के एक पूर्व अध्यक्ष जो समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में है,ने वर्षो पहले ही समाजवादी पार्टी के नेतृत्व से सुरेश यादव के परिजनों की मुलाकात करा दी थी,और ये लोग बराबर संपर्क में बने रहे| जब दूसरी बार भी सुरेश यादव की पत्नी आशा यादव बंकी ब्लाक प्रमुख निर्विरोध निर्वाचित हो गयी तब सपा नेतृत्व ने मज़बूत राजनीतिक दांव खेलते हुये सुरेश यादव उर्फ़ धर्मराज यादव को समाजवादी पार्टी में शामिल करके बाराबंकी विधान सभा २६८ से पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया| बाराबंकी २६८ से वर्तमान विधायक संग्राम सिंह वर्मा सत्ताधारी बसपा सरकार में राज्य मंत्री है,इनकी अनुज वधु शीला सिंह भी दूसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुयी है| प्रभावी कुर्मी नेता संग्राम सिंह के मुकाबिल मज़बूत यादव प्रत्याशी के रूप में सुरेश यादव को उतार कर समाजवादी पार्टी ने बाराबंकी २६८ को इस बार हर हाल में जीतने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है | बाराबंकी विधान सभा २६८ से सपा टिकेट पर लड़ते रहे,विधायक रहे छोटेलाल यादव को यह बात कतई हज़म नहीं हुयी की दुसरे दल से आये व्यक्ति को राजनीतिक रूप से टिकेट दे देना अच्छा है| टिकेट वितरण में पुराने कार्यकर्ताओ से अन्याय किये जाने का आरौप छोटे लाल यादव ने हर मीटिंग में कही | समाजवादी पार्टी में अपनी बातो को नकार दिये जाने की बात कहते हुये छोटेलाल यादव ने इस्तीफा देकर अपनी नयी राजनीतिक राह चुनने का एलान कर दिया| कल केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद के साथ राजधानी लखनऊ के एक पाँच सितारा होटल में छोटेलाल यादव की मौजूदगी ने सारी राजनीतिक चक्र को साफ़ कर दिया है| अभी तक पानी पी पी कर बेनी प्रसाद वर्मा को कोसने वाले और उनके कृत्यों को गलत व एक जाती विशेष का विरोधी बताने वाले नेतागण किस दिन से बेनी प्रसाद वर्मा के कसीदे पढना ,उनका महिमा गान करना शुरु करते है, यह देखना बाकी है| राजनीति के मंझे खिलाडी कांग्रेस के गोंडा से सांसद बेनी प्रसाद वर्मा -केंद्रीय इस्पात मंत्री ने अपनी राजनीतिक सूझ-बुझ से एक बार पुनः अपने राजनीतिक विरोधियो को उलझा दिया है| बाराबंकी के विकास पुरुष माने जाने वाले बेनी प्रसाद वर्मा बाराबंकी की चुनावी राजनीति के केंद्र बिन्दु एक बार फिर बन चुके है| अपने तमाम राजनीतिक विरोधियो को विधान सभा २०१२ में बेनी प्रसाद वर्मा किनारे लगा देंगे यह जन चर्चा शुरु हो गयी है| चर्चा-परिचर्चा के अनुसार --- किसी को साथ मिला के,ख़ुशी से गले मिला के,किसी को किसी से लड़ा के ,और पुराने कांग्रेस्सियो की जगह अपने लोगो को विधान सभा का प्रत्याशी बनवा के दल के भीतर -बाहर एक साथ वर्चस्व स्थापित करने की मुहीम को अंजाम देने में बाराबंकी के विकास पुरुष बेनी प्रसाद वर्मा लग चुके है| केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने शहाब खालिद , सुरेन्द्र नाथ अवस्थी,राम रतन राव ,रामवीर सिंह, छोटे लाल यादव, वसीम राइन ,हुमायु नईम खान आदि को अपने पाले में कर के अपना राजनीतिक चातुर्य प्रदर्शित कर ही दिया है| राजनीतिक दलों में उपेक्षित पड़े नेताओ को महत्व -सम्मान देने के वायदे के साथ कांग्रेस में शामिल करवाने का महारथी प्रयास बेनी प्रसाद द्वारा जारी है| आने वाले समय में तमाम और किनारे पड़े नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते है| इन किनारे पड़े नेताओ के कांग्रेस में शामिल होने से कितना फायदा कांग्रेस को होगा यह तो चुनाव परिणामो से ही पता चलेगा लेकिन इस वक़्त तो कांग्रेस के पुराने नेताओ के होश फ़ाक्ता हो चुके है | दल बदलुओ के आने से विधान सभा का टिकेट काट जाने की आशंका ने कांग्रेस से टिकेट मांगने वाले नेताओ में निराशा व असंतोष व्याप्त हो रहा है| बाराबंकी २६८ से बीते चुनाव में भी कांग्रेस का टिकेट बसपा से टिकेट काट जाने के बाद कांग्रेस में शामिल हुये नईम सिद्धिकी को टिकेट से नवाज़ दिया गया था| चुनाव ख़त्म होते ही नईम ने कांग्रेस को अलविदा कह के पुनः बसपा का दमन पकड़ लिया था | बाराबंकी विधानसभा २६८ से पुनः टिकेट किसी दल बदलू का ना दे दिया जाये यह चिंता पुराने कांग्रेसियो को सता रही है| वर्तमान राजनीतिक परिवेश तो यही कहता है की कांग्रेस टिकेट वितरण के मामले में पुनः अपना इतिहास दोहराएगी, आगे जब तक प्रत्यासियो की सूची ना जारी हो तब तक कयास ही लगे जा सकते है| बाहर हाल अभी तो बेनी प्रसाद वर्मा ने अपना विरोध करने वालो को अपने झंडे तले लाकर एक जंग जीत ही ली है,कांग्रेस में शामिल तमाम नेता अब बेनी प्रसाद की कृपा के बूते ही आगे राजनीति कर पाएंगे यह आम चर्चा है|