Thursday, June 21, 2012

कांग्रेस प्रवक्ता रशीद की दिमागी हालत


कांग्रेस प्रवक्ता रशीद अल्वी के बयान कि अगर बीजेपी के इशारे पर देश में कोई नाचता है तो वह मुलायम सिंह यादव हैं। इस देश में अगर बीजेपी का सबसे बड़ा एजेंट कोई है, तो वह मुलायम सिंह यादव हैं, को समाजवादी पार्टी के लोगो को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए | अब सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को डॉ लोहिया के गैर कांग्रेस वाद के सिद्धांत का अनुशरण करना चाहिए और समाजवादियो की सरकार २०१४ में बैगैर कांग्रेस का साथ लिए बना कर दिखा देना चाहिए | डॉ लोहिया कांग्रेस को देश में व्याप्त सभी बुराइयों की जननी मानते थे और जो आज की तारीख में भी सत्य ही है | मुलायम सिंह यादव को आगे बढ़ कर देश में सभी समाजवादी राजनीतिक संगठनो की एका के प्रयास करने चाहिए और सभी समाजवादी विचारधारा के लोगो को एक मंच पर लाकर २०१४ के चुनावो के पश्चात् समाजवादी सरकार के गठन के प्रयास करने चाहिए | रशीद अल्वी के इस बयान पे प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता प्रो रामगोपाल यादव ने कहा कि अल्वी की दिमागी हालत ठीक नहीं है, वह पगला गए हैं। रशीद अल्वी के इस बयान के पश्चात् समाजवादी पार्टी के नेताओ में आक्रोश व्याप्त हो गया है |

Tuesday, June 19, 2012

दिनदहाड़े राष्ट्रीय राज्य मार्ग व जिला चिकित्सालय में मारपीट ,बाराबंकी पुलिस का गैर जिम्मेदार चेहरा उजागर


आज बाराबंकी जनपद में सड़क में गाड़ी को रास्ता ना देने के विवाद के चलते दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गयी | दोपहर ११ बजे के करीब लखनऊ के डॉ लोहिया अस्पताल से अपने रिश्तेदार मरीज को देखकर अपनी निजी मारुती कार से लौट रहे कोठी उस्मानपुर निवासी राजू सिंह पुत्र ब्रिजेश सिंह और उनकी माता श्रीमती विनोद सिंह का सफेदाबाद में धर्मेन्द्र यादव - बी डी सी , बंकी जो कि समाजवादी पार्टी के बाराबंकी सीट के विधायक धर्मराज यादव उर्फ़ सुरेश यादव के अनुज भी है व उनके दो अन्य साथियो का ओवर टेकिंग को लेकर वाद विवाद , गाली गलौज व अंततोगत्वा मार पीट तक हुई | सफेदाबाद में घटी इस घटना में धर्मेन्द्र यादव द्वारा राजू सिंह को गाली देने व थप्पड़ मारने के पश्चात् धर्मेन्द्र यादव व उनके साथियो को राजू सिंह ने अपनी कार में रखे डंडे से मारा | राजू सिंह के द्वारा मारे जाने से हतप्रभ रह गये धर्मेन्द्र यादव व उनके साथियो ने किसी तरह राजू सिंह को पकड़ा और उसकी जमकर धुनाई कर डाली | यह सब दिन दोपहरी राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर होता रहा और राहगीर इस मारपीट को देखकर भयभीत हो गये | सपा विधायक के भाई धर्मेन्द्र यादव से बुरी तरह पिटे राजू सिंह व उसकी माँ किसी तरह भग कर बाराबंकी जिला अस्पताल के आकस्मिक चिकित्सा कक्ष में अपना इलाज करने पहुचे ,उनके पीछे पीछे धर्मेन्द्र यादव यहाँ भी आ धमके | जिला चिकित्सालय में धर्मेन्द्र यादव के तमाम समर्थक तब तक पहुच चुके थे और उन लोगो ने अस्पताल कर्मियों तथा पुलिस कर्मियों कि मौजूदगी में दुबारा राजू सिंह व उसकी माँ को जमकर लात-घूंसों से मारा | बुरी तरह से घायल राजू सिंह व उसकी माँ ने पत्रकारों के पूछने पर अपने साथ हुई घटना को बताया | यहाँ पर इन पीडितो को इलाज तक कराने नहीं दिया गया | दूसरी तरफ स्थानीय विधायक के भाई धर्मेन्द्र यादव व उनके साथियों का मेडिकल परीक्षण हुआ | प्राप्त जानकारी के अनुसार राजू सिंह के उपर मार पीट का अभियोग धर्मेन्द्र यादव ने दर्ज कराया है | पत्रकारों ने जब राजू सिंह से दूरभाष से इस घटना के विषय में शाम को ७ बजे के लगभग बात करी तो उसने हताशा भरे शब्दों में कहा कि जब पुलिस कर्मियों कि मौजूदगी में मुझको व माँ को मारा गया और पुलिस कर्मी ही मुझको पकडे रहे तो मेरी फरियाद कौन सुनेगा | सपा विधायक के भाई के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं होगी इसलिए मैं प्राथमिकी नहीं दर्ज कराऊंगा | मैं बहुत मार खा चुका हूँ और आगे कोई खतरा नहीं उठाना चाहता हूँ| दोनों पक्षों की झूठी शान व अहंकार के चलते हुई इस दुखद घटना में बाराबंकी की मित्र पुलिस कहा खड़ी थी यह काबिले गौर है | सपा जिला अध्यक्ष मौलाना मेराज , विधायक सुरेश यादव ने धर्मेन्द्र यादव को बेकसूर बताया वही राजू सिंह का लहूलुहान चेहरा और श्रीमती विनोद सिंह की हालात से किसने किसको मारा यह साफ दिखाई दे रहा था | बहरहाल मामले की विवेचना पुलिस प्रशासन का कार्य है जिसमे निष्पक्षता परिलक्षित होनी चाहिए जैसा कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कथन व मंशा है|

Saturday, June 16, 2012

बाराबंकी नगर पालिका चुनाव - १५ जून


तपते गर्म मौसम में भी नगर पालिका बाराबंकी के अध्यक्ष पद के सशक्त दावेदार राजीव गुप्ता बब्बी - शहर अध्यक्ष समाजवादी पार्टी के समर्थन में सपा नेता कर रहे है जन संपर्क और बाराबंकी के सर्वांगीन विकास के लिए जिताने की कर रहे है अपील | शहर के कई वार्डो में घर घर जाकर वोट माँगा हफीज भारती और डॉ कुलदीप सिंह ने | समाजवादी पार्टी कार्यालय में कल जुटे जनपद के सपा नेता और चुनावी रणनीति -जन समस्या निवारण पे हुआ विचार विमर्श | भाजपा के लोग भी चिंतन,भोजन और विश्राम-भ्रमण में मशगूल | तेज़ गर्म हवा के कारण प्रचार में जुटे लोग शीतल पेय से बुझा रहे है प्यास | प्राप्त जानकारी के अनुसार समाजवादी पार्टी के प्रभावी मंत्री अरविन्द सिंह गोप सपा जिला इकाई समर्थित प्रत्याशियो के लिए जनपद के सभी पंचायतो में करेंगे प्रचार | जिला अध्यक्ष मौलाना मेराज द्वारा प्रत्याशियो के नाम पर अंतर कलह जारी , अन्य सपा नेता भी प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकना जारी रखे है , समाजवादी पार्टी की इस अंतर कलह का होगा २०१४ लोकसभा में भारी नुकसान लगाये जा रहे है यही कयास | निवर्तमान अध्यक्ष हफीज भारती का प्रचार भी शबाब पर , सुनियोजित तरीके से विजयानंद बाजपेई ने तेज़ की अपनी चुनावी चाल | सुशील गुप्ता , जावेद जेठू का अपने अपने प्रभाव वाले इलाको में जलवा कायम , अन्य जगह प्रभाव दिखाने और मतदाताओ को अपने पक्ष में करने में लगे है इनके भी समर्थक | भीषण गर्मी के प्रचार के चलते प्रत्याशी व समर्थको के अलावा मतदाता भी परेशान |चुनाव के समय भी विद्युत कटौती समाप्त करने पे नहीं है किसी भी सपा नेता का ध्यान, आगे का कौन होगा पुरसाहाल ?

Friday, June 15, 2012

बाराबंकी नगर पालिका चुनाव


निवर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष हफ़ीज़ भारती के प्रति अभी भी है मतदाताओ में नाराज़गी , भाजपाई रंजीत बहादुर श्रीवास्तव के जरिये राजनीतिक मरुस्थली में कमल खिलाने की जद्दोजहद में लगे हुये है | विधान सभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी के पक्ष में रहे रंजीत बहादुर श्रीवास्तव के भाजपाई चोले को संशय से देख रहे है बुद्धिजीवी | अकेली महिला प्रत्याशी शिक्षक नेता नीता अवस्थी की बेबाकी की चर्चा हो रही है जगह जगह | दो धड़े में बड़ी समाजवादी पार्टी , विजयानंद बाजपेयी और सुशील गुप्ता भी पूरी ताकत से चुनावी समर में उतरे है | जावेद जेठू , अरशद , अहमद अली भी कर रहे है अपनी जीत का दावा | सपा शहर अध्यक्ष व बाराबंकी नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशी राजीव गुप्ता बब्बी को सपा जिला इकाई का मिल रहा है समर्थन , अब बब्बी के पक्ष में जुट रहे है सपाई | लोहिया वाहिनी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह भी अपने दम ख़म से चुनावी समर में अपना भाग्य अजमाते हुये | चुनाव प्रतिदिन होता जा रहा है और भी रोचक व दिलचस्प , अभी से कोई भी आकलन करना है बेमानी , सिर्फ प्रत्याशियो के जन संपर्क व समर्थन दाताओ पे रखी जा सकती है नज़र | बेनी व पुनिया दोनों की ख़ामोशी से प्रत्याशी बैचैन |

Tuesday, June 12, 2012

पत्रकारों का उत्पीडन


भ्रस्टाचार उजागर करने की कोशिश करने वाले बाराबंकी के इलेक्ट्रानिक मिडिया के साथी पत्रकारों का उत्पीडन शर्मनाक व दुखद है | रेत ठेकेदार से पुलिस की मिलीभगत के चलते ही रामनगर -बाराबंकी में रेत ठेकेदार ने पत्रकारों से दुर्व्यवहार किया ,यह तथ्य सामने आ रहा है | रामनगर थाना अध्यक्ष और वहा तैनात पुलिस कर्मियों की गतिविधियों की जाँच और रेत ठेकेदार की गिरफ़्तारी तत्काल होनी चाहिए | पत्रकार साथियो को भी इस तरह के मामलो के कवरेज में जाने के पहले अन्य साथी पत्रकारों तथा जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियो को सूचित करना चाहिए | बहरहाल पत्रकारों पर हमला निंदनीय है | अवैध रेत खनन करने वालो और उनको संरक्षण देने वाले राजनेताओ , उनके पैरोकार दलाल पत्रकारों तथा स्थानीय भ्रष्ट पुलिस कर्मियों के कारनामो को उजागर करने वाले पत्रकारों के साथ मैं हूँ | --- अरविन्द विद्रोही

Friday, June 8, 2012

भगत सिंह का अनुसरण कर्ता - शिष्य अमर बलिदानी हरिकिशन


अरविन्द विद्रोही ............................. आजाद भारत में तो आम जनता की इच्छा है कि कोई भगत सिंह की तरह जन्म लेकर उसकी बेड़ियों को काटने का कार्य करे , उच्च आदर्शो वाले क्रान्तिकारियो की पैदावार पड़ोस के घर में हो आम जन यही चाहते है | धन्य है वो परिवार , वो माताएं जिन्होंने अपनी कोख से पैदा की संतानों को क्रांति मार्ग पर चलने को प्रेरित किया | उत्तर-पश्चिम के सीमांत प्रान्त के मर्दन जनपद के गल्ला ढेर नामक स्थान पर गुरुदास मल के पुत्र रूप में सन १९१२ में बालक हरिकिशन का जन्म हुआ था | गुरु दास मल की माँ यानि कि हरिकिशन की दादी माँ बचपन से ही क्रान्तिकारियो के किस्से कहानियो के रूप में बालक हरिकिशन को सुनाया करती थी | क्रांति का बीज परिवार ने ही बोया | क्रांति बीज को पोषित करके , हरा-भरा करके माँ भारती के कदमो में समर्पित पिता गुरुदास मल ने किया | काकोरी कांड का बड़े लगन व चाव से अध्ययन हरिकिशन ने किया | रामप्रसाद बिस्मिल व अशफाक उल्लाह खान हरिकिशन के आदर्श बन गये | दौरान-ए-मुकदमा (असेम्बली बम कांड ) भगत सिंह के बयानों ने हरिकिशन के युवा मन को झक झोर दिया | भगत सिंह को हरिकिशन अपना गुरु मानने लगे | यह वह दौर था जब ब्रितानिया हुकूमत द्वारा पुरे देश में क्रान्तिकारियो पर दमन अपने चरम पर था | कांग्रेस के नेतागण अहिंसात्मक आन्दोलन के नाम पर क्रूर और चालाक अंग्रेजो से मानो नूराकुश्ती कर रहे थे | और तो और क्रान्तिकारियो के रास्ते में भी यही कांग्रेसी ही आ जाते थे | इन्ही परिस्थितो में क्रांतिपुत्र हरिकिशन ने पंजाब के गवर्नर ज्योफ्रे डी मोरमोरेंसी का वध करने का निश्चय किया | पंजाब विश्विद्यालय का दीक्षांत समारोह २३ दिसम्बर , १९३० को संपन्न होना था | समारोह की अध्यक्षता गवर्नर ज्योफ्रे डी मोरमोरेंसी को करनी टी और मुख्य वक्ता डॉ राधा कृष्णन थे | अपनी पूरी तैयारी के साथ हरिकिशन भी सूट-बूट पहन कर दीक्षांत भवन में उपस्थित थे | डिक्शनरी के बीच के हिस्से को काटकर उसमे रिवाल्वर रखकर समारोह की समाप्ति का इंतज़ार करने लगे | यह ध्यान देने की बात है कि हरिकिशन को गोली चलाने की ट्रेनिंग उनके ही पिता गुरुदास मल ने स्वयं ही दी थी | हरिकिशन एक पक्के निशानेबाज बन गये थे | समारोह समाप्त होते ही लोग निकलने लगे | हरिकिशन एक कुर्सी पर खड़े हो गये और उन्होंने गोली चला दी , एक गोली गवर्नर की बांह और दूसरी पीठ को छिलती हुई निकल गयी | तब तक डॉ राधा कृष्णन गवर्नर ज्योफ्रे डी मोरमोरेंसी को बचाने के लिए उनके सामने आ गये | अब हरिकिशन ने गोली नहीं चलायी और सभा भवन से निकल कर पोर्च में आ गये | पुलिस दरोगा चानन सिंह पीछे से लपके और वे हरिकिशन का शिकार बन गये , एक और दरोगा बुद्ध सिंह वधावन ज़ख़्मी होकर गिर पड़ा | हरिकिशन अपना रिवाल्वर भरने लगे परन्तु इसी दौरान पुलिस ने उन्हें धर दबोचा | इस तरह उस समय एक ब्रितानिया शोषक-जुल्मी की जन किसने बचायी और वे कितने बड़े देशभक्त थे , यह इस घटना से समझा जा सकता है | अब हरिकिशन पर अमानवीय यातनाओ का दौर शुरु हो गया | लाहौर के सेशन जज ने २६ जनवरी , १९३१ को हरिकिशन को मृत्यु दंड दिया | हाई कोर्ट ने भी फैसले पर मोहर लगायी | जेल में दादी ने आकर कहा -- हौसले के साथ फांसी पर चढ़ना | हरिकिशन ने जवाब दिया -- फिक्र मत करो दादी | शेरनी का पोता हूँ | पिता ने जेल में तकलीफ पूछने की जगह सवाल दागा --- निशाना कैसे चुका ? उत्तर मिला --- मैं गवर्नर के आस पास के लोगो को नहीं मरना चाहता था इसीलिए कुर्सी पर खड़े होकर गोली चलाई थी | परन्तु कुर्सी हिल रही थी | उसी जेल में भगत सिंह भी कैद थे | भगत सिंह से मिलने के लिए हरिकिशन अनशन पर बैठ गये | अनशन के नौवें दिन जेल अधिकारिओ ने भगत सिंह को हरिकिशन की कोठरी में मिलने के लिए भेजा | अपने गुरु से मिलकर हरिकिशन बहुत प्रसन्न हुये | आपके पिता गुरुदास मल को भी गिरफ्तार कर लिया गया | यातनाएं दी गयी जिससे उनकी मृत्यु हो गयी | हरिकिशन को ही छोटा भाई भगतराम सुभाष चन्द्र बोष को रहमत उल्लाह के छद्म नाम से अफगानिस्तान तक छोड़ने गया था | पूरा परिवार ही देश की आज़ादी में अपना योगदान और बलिदान देने में जुटा हुआ था | ९ जून , १९३१ को प्रातः ६ बजे लाहौर की मियां वाली जेल में इन्कलाब जिंदाबाद के नारे गुंजायमान होने लगे और फिर एक तूफान आने के बाद की खामोश छा गयी | वीर युवा हरिकिशन आज़ादी की राह पर फांसी के तख्ते पर चढ़ा दिया गया | २२ वर्षीया युवा हरिकिशन ने बयान दिया था --- अंग्रेजो के दमन चक्र से मेरा विश्वास अहिंसा से उठकर अशास्त्र क्रांति में द्रित हुआ है | अंग्रेज भारगवर्नर ज्योफ्रे डी मोरमोरेंसी त को कभी स्वतंत्र नहीं होने देंगे | मैं गवर्नर ज्योफ्रे डी मोरमोरेंसी को कठोर दमन के लिए उत्तरदायी मानता हूँ | दीक्षांत समारोह में गवर्नर ज्योफ्रे डी मोरमोरेंसी को दंड देना इसीलिए उचित था | उसे दण्डित होते देखने के लिए विशिष्ठ व्यक्तियों का समुदाय उपस्थित था | आइये , इस रणबांकुरे हरिकिशन की अंतिम इच्छा भी जान लीजिये -- मैं इस पवित्र धरती पर तब तक जन्म लेता रहूँ जब तक इसे स्वतंत्र ना कर दूँ | यदि मेरा मृत शरीर परिवार वालो को दिया जाये तो अंतिम संस्कार उसी स्थान पर किया जाये जहा पर शहीद भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु का संस्कार हुआ था | मेरी अस्थियाँ सतलुज में उसी स्थान पर प्रवाहित की जाये जहा उन लोगो की प्रवाहित की गयी है | लेकिन अफ़सोस ही कर सकते है कि ब्रितानिया हुकूमत ने हरिकिशन के पार्थिव शरीर को उनके परिवार को नहीं सौंपा और जेल में ही जला दिया | ब्रितानिया हुकूमत की दरिंदगी और हिंदुस्तान के गद्दारों के नापाक इरादों के शिकार बलिदानी हरिकिशन की शहादत की बेला पर उसे अंतिम विदाई देने वाला कोई था तो सिर्फ ओस की बुँदे | मात्रभूमि की आज़ादी के मकसद में क्रांति के उच्च आदर्शो की स्थापना करने वाले सभी सेनानी अपने आत्मोसर्ग की भावना के कारण युगों युगों तक क्रान्तिकारियो के लिए प्रेरणा के पुंज बन कर क्रांति पथ को आलोकित करते रहेंगे |

Sunday, June 3, 2012

स्थानीय निकाय चुनाव -राजनीतिक दल,प्रत्याशी व मतदाता ---आशुतोष कुमार श्रीवास्तव


लोकतंत्र को परिभाषित करते हुये विद्वानों ने कहा है कि लोक तंत्र का मतलब होता है - लोक + तंत्र , मतलब जन सामान्य का शासन |लोकतंत्र में लोकप्रिय सरकार या नेता जनता द्वारा , जनता के लिए व जन सामान्य का होने कि परिकल्पना की गयी है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में लोकतंत्र अपने मायने बदल चुका है या कहना चाहिए की लोकतंत्र के मायने बदल दिये गये है | जनता से मीठे मीठे वायदे करके सत्ता को किसी तरह हासिल कर के लोकतंत्र की आत्मा व मतदाता को चुनावो के पश्चात् ठेंगा दिखाना आज ने अधिकाश नेताओ का चरित्र बन चुका है | वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर गहमा गहमी मची हुई है| निर्वाचन आयोग ने पुरे प्रदेश में चार चरणों में चुनाव करने की रुपरेखा बना कर चुनावो के कार्यक्रमों की घोषणा कर ही दिया और नामांकन कार्य शुरु भी हो चुके है | एक बार पुनः आम जनता की कीमत नेताओ की नज़र में बढ़ सी गयी है | सुबह होते ही सभासद और अध्यक्ष पद के प्रत्याशी व उनके समर्थक मतदाताओ के घर की परिक्रमा करना शुरु कर देते है जो देर रात तक जारी रहता है , एक गया नहीं दूसरा हाज़िर | चुनाव मैदान में हर सूरत में विजय हासिल करने के लिए मतदाताओ को लुभाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है| मतदाताओ से प्रेमपूर्वक मिलना , अपनी नजदीकियो को याद दिलाना सिर्फ चुनाव के दौरान तक ही रहेगा यह बात आम मतदाता प्रत्याशियो के जाते ही कह देते है | मतदाता आपसी वार्ता में साफ़ कहते है की अभी ये अपने फायदे के लिए अपना पन दिखा रहे है जीत जाने के पश्चात् इनके दर्शन ही दुर्लभ हो जायेंगे | इनके दरवाजे हमारे लिए बंद हो जायेंगे | चुनाव जीतने के पश्चात् निर्वाचित जनप्रतिनिधि लोकतंत्र का मजाक बनाते हुये अपनी स्वार्थ सिद्धि में जुट जायेंगे , विकास कार्यो में मनमाने तरीका अपनाएंगे | स्थानीय निकाय चुनाव में सत्ता धारी समाजवादी पार्टी व विधान सभा में मुख्य विपक्षी दल दोनों ही दल अपने चुनाव चिन्हों पर प्रत्याशी लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाई है | दोनों ही राजनीतिक दलों में स्थानीय निकाय चुनाव में प्रत्याशिता घोषित करने में आत्म विश्वास की कमी साफ दिखाई पड़ती है | मुख्य विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी ने पहले तो निकाय चुनाव में भागीदारी से साफ इंकार किया था लेकिन पता नहीं अब किस तिलिस्म के चलते कार्यकर्ताओ का हौसला बढ़ाने की बात कहते हुये प्रत्याशियो को निर्दालिये लड़ने की बात कही जा रही है | सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में भी मारामारी मची हुई है , चुनाव ना लड़ने की स्पष्ट घोषणा के बावजूद स्थानीय निकाय के दावेदार अपने अपने को सपा का प्रत्याशी बता कर जनता को भ्रमित करने में कोई कसर नहीं रख रहे है | अभी मार्च में ही पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाली सपा अपने कार्यकर्ताओ को अदालिये अनुसाशन में बंधे रखने में नाकामयाब सी दिख रही है | भाजपा - कांग्रेस के पास यहाँ कुछ खोने के लिए बचा ही नहीं है और ये दोनों दल अपने अपने चुनाव चिन्हों पर प्रत्याशियो को लड़ा कर अपना वजूद दुबारा हासिल करने में लगे हुये है | इन दोनों दलों को इनके ही अपने चिरागों ने जलाकर खाक कर डाला है , इनको निचा दिखाने के लिए गिरो की जरुरत ही नहीं है | अभी तो स्थानीय स्तर के मानिये के खजाने व दरवाजे आम जनता के लिए खुले हुये है , धर्मनिष्ठ - कर्तव्यनिष्ठ बनने की होड़ लगी हुई है | इस समय सारे प्रत्याशी जनता के हितो के लिए अपने को न्योछावर कर देना चाहते है और उसके लिए अपने को जनप्रतिनिधि बनाना चाहते है | काश यही ज़ज्बा वास्तव में इन प्रत्याशियो के आ जाता तो बजबजाती नाली , कूडो के ढेर ,मच्छरों की फौज , जलभराव , उबड़ खाबड़ सड़क आदि से निजात मिल जाये और जन सुविधाएँ बहाल हो सके |