Wednesday, November 21, 2012

22 नवम्बर - स्व रामसेवक यादव और मुलायम सिंह यादव को जोडती तारीख

अरविन्द विद्रोही .......................................................................... तारीखों का अपना महत्व अलग ही होता है । पुरखों , शख्सियतों को प्रति दिन स्मरण करना , उनके आदर्शो-संकल्पों का स्मरण करना ,स्वयं अपने चारित्रिक-मानसिक विकास के लिए अत्यंत कारगर होता है । परन्तु पुरखों- शख्सियतों के जन्मदिन व पुण्य तिथि को विशेष यादगार दिवस के रूप में मनाना एक अच्छी सोच व सच्चे अनुयायी के प्रत्यक्ष परिलक्षित होने वाले गुणों में से एक होता है । अद्भुत संयोग की घडी तब आ जाती है जब एक ही दिन दो शख्सियतों का मेल हो जाये । तमाम ऐसे ही दिवसों में से एक दिवस 22 नवम्बर भी है,इस दिन समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का जन्म दिन तो है ही आज ही के दिन 1974 में समाजवादी पुरोधा राम सेवक यादव की आत्मा ने अपने नश्वर शरीर का त्याग कर परिनिर्वाण की प्राप्ति की थी । वर्तमान सामाजिक राजनितिक फलक पर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव एक बहुचर्चित राजनेता है । उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा के सैफई गाँव में माता श्रीमती मूर्तिदेवी के कोख से जन्मे मुलायम सिंह यादव के जन्म २२नवम्बर,१९३९ के समय उनके जन्मदाता पिता श्री सुघर सिंह यादव ने भी तनिक कल्पना नहीं की होगी कि उनकी संतान के रूप में जन्मा यह अबोध बालक करोडो-करोड़ गरीबो-मज़लूमो-पीडितो-वंचितों-आम जनों का दुःख हर्ता बनकर युगों युगों तक के लिए कुल का नाम रोशन करेगा | क्या उस वक़्त किसी ने भी तनिक सा सोचा होगा कि एक किसान के घर जन्मा यह बालक मुलायम अपनी वैचारिक-मानसिक दृठता और कुशल संगठन छमता के बलबूते समाजवादी विचारक डॉ राम मनोहर लोहिया का सबसे बड़ा जनाधार वाला अनुयायी व उनके संकल्पों,उनके विचारो को प्रचारित-प्रसारित करने वाला बनेगा? और स्व राम सेवक यादव का नाम जनसाधारण , नई समाजवादी पीढ़ी के लोगो के लिए अनजाना सा हो गया है । सवाल लाज़मी है की आखिर राम सेवक यादव थे कौन ? रामसेवक यादव ही वह शख्स थे जिन्होंने युवक मुलायम सिंह यादव की प्रतिभा को पहचान कर युवजन सभा की जिम्मेदारी सौपीं थी और राजनीती में आगे किया था । ग्राम ताला मजरे रुक्मुद्दीनपुर पोस्ट थल्वारा (वर्तमान में पोस्ट रुक्मुद्दीनपुर ) परगना व थाना सुबेहा हैदरगढ़ जनपद बाराबंकी के एक संपन्न कृषक परिवार में हुआ था । पिता श्री राम गुलाम यादव को किंचित भी अभाश न था कि उनका यह वरिष्ठ पुत्र देश की राजनीती में अपना व जनपद का नाम रोशन करेगा । दो अनुजों क्रमशः प्रदीप कुमार यादव और डॉ श्याम सिंह यादव तथा तीन बहनों क्रमशः रामावती , शांतिदेवी व कृष्णा के सर्व प्रिय भाई रामसेवक यादव की प्राथमिक शिक्षा कक्षा 4 तक की ग्राम ताला में ही हुई । मिडिल5 -6 की शिक्षा अपने एक करीबी रिश्तेदार जो की मटियारी-लखनऊ में रहते थे के घर पे रहकर ग्रहण करी ।कक्षा 7 की शिक्षा के लिए बाराबंकी के सिटी वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल में दाखिला लिया । सिटी वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल से कक्षा 8 की परीक्षा में सफल होने के पश्चात् हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्थानीय राजकीय हाई स्कूल में राम सेवक यादव ने दाखिला लिया । इंटर मिडियट की शिक्षा रामसेवक यादव ने कान्य कुब्ज इंटर कॉलेज से पूरी करी । उच्च शिक्षा स्नातक व विधि स्नातक की उपाधि लखनऊ विश्व विद्यालय से ग्रहण करके रामसेवक यादव ने बाराबंकी जनपद में वकालत करना प्रारंभ किया । आज़ादी के पश्चात् 1952 के चुनावो में कांग्रेस व नेहरु के नाम का डंका बज रहा था , वहीं दूसरी तरफ आज़ादी के पश्चात् देश में बुराई की जननी कांग्रेस व नेहरु को मानने वाले समाजवादी पुरोधा डॉ राम मनोहर लोहिया सोशलिस्ट पार्टी के माध्यम से देश के ग्रामीण जनता के हितकारी विचार व कार्यक्रम देने में जुटे थे ।बाराबंकी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दमदार प्रत्याशी जगन्नाथ बक्श सिंह के मुकाबिल सोशलिस्ट पार्टी ने रामसेवक यादव को अपना प्रत्याशी बनाया ,1952 का यह चुनाव रामसेवक यादव हार गए थे लेकिन सामाजिक राजनितिक सक्रियता व प्रभाव बढ़ता गया । बाराबंकी जनपद में 1955-56 में अलग अलग घटनाओ में कांग्रेस के विधायक भगवती प्रसाद शुक्ला और सोशलिस्ट पार्टी के विधायक लल्ला जी की हत्या हो गयी । सोशलिस्ट पार्टी के विधायक लल्ला जी की हत्या अपने मित्र सियाराम से मित्रता निभाने के परिणामस्वरूप हुई थी । लल्ला जी की हत्या के प्रतिकार स्वरुप रामसेवक यादव ने जनता को जगाने का शुरू किया तथा जालिमों - हत्यारों के इलाकों में जाकर सोशलिस्ट पार्टी की बैठकों -सभाओं का आयोजन किया । सोशलिस्ट पार्टी के विधायक स्व लल्ला जी की श्रधांजलि सभा बड्डूपुर में समाजवादी पुरोधा डॉ राममनोहर लोहिया ने कहा था कि --- लल्ला जी की शहादत ने यह साबित कर दिया है की खाली एक माँ के पेट से पैदा होने वाले ही दो सगे भाई नहीं होते बल्कि अलग अलग माँ के से पैदा होने वाले भी सगे भाई हो सकते है । सोशलिस्ट पार्टी के नेता रामसेवक यादव द्वारा लल्ला सिंह - सियाराम की हत्या के विरोध में जनांदोलन व मजबूत अदालती पैरवी के चलते ही मुख्य अभियुक्त भोला सिंह 26सहित लोगो को दोहरे हत्याकांड के इस मामले में सजा हुई थी । 1956 के दौरान हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा उप चुनाव में रामसेवक यादव रामनगर विधान सभा से विजयी हुए । 1957 के आम चुनावों में बाराबंकी जनपद की पर सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार जीते थे । 1957-62,1962-67 और 1967-71 तीन बार रामसेवक यादव लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए । उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रुधौली से 1974 में निर्वाचित हुए और उपभोक्ता विभाग और अध्यक्ष लोक लेखा समिति भी रहे । आपकी मृत्यु सिरोसिस ऑफ़ लीवर बीमारी के कारन हुई । रामसेवक यादव मन से गरीबों के दोस्त व वंचितों के साथी थे ।अपने गुणों के कारन ही वे डॉ लोहिया के प्रिय थे । पार्टी की जिम्मेदारी के साथ साथ डॉ लोहिया ने रामसेवक यादव को लोकसभा में पार्टी संसदीय दल का नेता भी बनाया था । स्व रामसेवक यादव के बाल्य काल से मित्र रहे वयोवृद्ध समाजवादी नेता अनंत राम जायसवाल (पूर्व मंत्री-पूर्व सांसद ) की नज़र में रामसेवक यादव के अन्दर आम जनता को जोड़ने और उनके लिए लड़ने की असीम ताकत थी , वो सही मायनों में गाँव -गरीब के नायक थे । स्व रामसेवक यादव के राजनितिक उत्तराधिकारी अरविन्द कुमार यादव ( पूर्व विधान परिषद् सदस्य ) के अनुसार डॉ लोहिया , राम सेवक यादव के पश्चात् अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी आन्दोलन व संघर्ष को नूतन आयाम दिए है । आज जरुरत है समाजवादी युवाओ को स्व रामसेवक यादव सरीखे समाजवादी आन्दोलन की आधार शिलाओं को स्मरण करने का ,उनके संघर्षो-विचारो के अनुपालन का ।