Wednesday, November 21, 2012

22 नवम्बर - स्व रामसेवक यादव और मुलायम सिंह यादव को जोडती तारीख

अरविन्द विद्रोही .......................................................................... तारीखों का अपना महत्व अलग ही होता है । पुरखों , शख्सियतों को प्रति दिन स्मरण करना , उनके आदर्शो-संकल्पों का स्मरण करना ,स्वयं अपने चारित्रिक-मानसिक विकास के लिए अत्यंत कारगर होता है । परन्तु पुरखों- शख्सियतों के जन्मदिन व पुण्य तिथि को विशेष यादगार दिवस के रूप में मनाना एक अच्छी सोच व सच्चे अनुयायी के प्रत्यक्ष परिलक्षित होने वाले गुणों में से एक होता है । अद्भुत संयोग की घडी तब आ जाती है जब एक ही दिन दो शख्सियतों का मेल हो जाये । तमाम ऐसे ही दिवसों में से एक दिवस 22 नवम्बर भी है,इस दिन समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का जन्म दिन तो है ही आज ही के दिन 1974 में समाजवादी पुरोधा राम सेवक यादव की आत्मा ने अपने नश्वर शरीर का त्याग कर परिनिर्वाण की प्राप्ति की थी । वर्तमान सामाजिक राजनितिक फलक पर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव एक बहुचर्चित राजनेता है । उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा के सैफई गाँव में माता श्रीमती मूर्तिदेवी के कोख से जन्मे मुलायम सिंह यादव के जन्म २२नवम्बर,१९३९ के समय उनके जन्मदाता पिता श्री सुघर सिंह यादव ने भी तनिक कल्पना नहीं की होगी कि उनकी संतान के रूप में जन्मा यह अबोध बालक करोडो-करोड़ गरीबो-मज़लूमो-पीडितो-वंचितों-आम जनों का दुःख हर्ता बनकर युगों युगों तक के लिए कुल का नाम रोशन करेगा | क्या उस वक़्त किसी ने भी तनिक सा सोचा होगा कि एक किसान के घर जन्मा यह बालक मुलायम अपनी वैचारिक-मानसिक दृठता और कुशल संगठन छमता के बलबूते समाजवादी विचारक डॉ राम मनोहर लोहिया का सबसे बड़ा जनाधार वाला अनुयायी व उनके संकल्पों,उनके विचारो को प्रचारित-प्रसारित करने वाला बनेगा? और स्व राम सेवक यादव का नाम जनसाधारण , नई समाजवादी पीढ़ी के लोगो के लिए अनजाना सा हो गया है । सवाल लाज़मी है की आखिर राम सेवक यादव थे कौन ? रामसेवक यादव ही वह शख्स थे जिन्होंने युवक मुलायम सिंह यादव की प्रतिभा को पहचान कर युवजन सभा की जिम्मेदारी सौपीं थी और राजनीती में आगे किया था । ग्राम ताला मजरे रुक्मुद्दीनपुर पोस्ट थल्वारा (वर्तमान में पोस्ट रुक्मुद्दीनपुर ) परगना व थाना सुबेहा हैदरगढ़ जनपद बाराबंकी के एक संपन्न कृषक परिवार में हुआ था । पिता श्री राम गुलाम यादव को किंचित भी अभाश न था कि उनका यह वरिष्ठ पुत्र देश की राजनीती में अपना व जनपद का नाम रोशन करेगा । दो अनुजों क्रमशः प्रदीप कुमार यादव और डॉ श्याम सिंह यादव तथा तीन बहनों क्रमशः रामावती , शांतिदेवी व कृष्णा के सर्व प्रिय भाई रामसेवक यादव की प्राथमिक शिक्षा कक्षा 4 तक की ग्राम ताला में ही हुई । मिडिल5 -6 की शिक्षा अपने एक करीबी रिश्तेदार जो की मटियारी-लखनऊ में रहते थे के घर पे रहकर ग्रहण करी ।कक्षा 7 की शिक्षा के लिए बाराबंकी के सिटी वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल में दाखिला लिया । सिटी वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल से कक्षा 8 की परीक्षा में सफल होने के पश्चात् हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्थानीय राजकीय हाई स्कूल में राम सेवक यादव ने दाखिला लिया । इंटर मिडियट की शिक्षा रामसेवक यादव ने कान्य कुब्ज इंटर कॉलेज से पूरी करी । उच्च शिक्षा स्नातक व विधि स्नातक की उपाधि लखनऊ विश्व विद्यालय से ग्रहण करके रामसेवक यादव ने बाराबंकी जनपद में वकालत करना प्रारंभ किया । आज़ादी के पश्चात् 1952 के चुनावो में कांग्रेस व नेहरु के नाम का डंका बज रहा था , वहीं दूसरी तरफ आज़ादी के पश्चात् देश में बुराई की जननी कांग्रेस व नेहरु को मानने वाले समाजवादी पुरोधा डॉ राम मनोहर लोहिया सोशलिस्ट पार्टी के माध्यम से देश के ग्रामीण जनता के हितकारी विचार व कार्यक्रम देने में जुटे थे ।बाराबंकी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दमदार प्रत्याशी जगन्नाथ बक्श सिंह के मुकाबिल सोशलिस्ट पार्टी ने रामसेवक यादव को अपना प्रत्याशी बनाया ,1952 का यह चुनाव रामसेवक यादव हार गए थे लेकिन सामाजिक राजनितिक सक्रियता व प्रभाव बढ़ता गया । बाराबंकी जनपद में 1955-56 में अलग अलग घटनाओ में कांग्रेस के विधायक भगवती प्रसाद शुक्ला और सोशलिस्ट पार्टी के विधायक लल्ला जी की हत्या हो गयी । सोशलिस्ट पार्टी के विधायक लल्ला जी की हत्या अपने मित्र सियाराम से मित्रता निभाने के परिणामस्वरूप हुई थी । लल्ला जी की हत्या के प्रतिकार स्वरुप रामसेवक यादव ने जनता को जगाने का शुरू किया तथा जालिमों - हत्यारों के इलाकों में जाकर सोशलिस्ट पार्टी की बैठकों -सभाओं का आयोजन किया । सोशलिस्ट पार्टी के विधायक स्व लल्ला जी की श्रधांजलि सभा बड्डूपुर में समाजवादी पुरोधा डॉ राममनोहर लोहिया ने कहा था कि --- लल्ला जी की शहादत ने यह साबित कर दिया है की खाली एक माँ के पेट से पैदा होने वाले ही दो सगे भाई नहीं होते बल्कि अलग अलग माँ के से पैदा होने वाले भी सगे भाई हो सकते है । सोशलिस्ट पार्टी के नेता रामसेवक यादव द्वारा लल्ला सिंह - सियाराम की हत्या के विरोध में जनांदोलन व मजबूत अदालती पैरवी के चलते ही मुख्य अभियुक्त भोला सिंह 26सहित लोगो को दोहरे हत्याकांड के इस मामले में सजा हुई थी । 1956 के दौरान हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा उप चुनाव में रामसेवक यादव रामनगर विधान सभा से विजयी हुए । 1957 के आम चुनावों में बाराबंकी जनपद की पर सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार जीते थे । 1957-62,1962-67 और 1967-71 तीन बार रामसेवक यादव लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए । उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रुधौली से 1974 में निर्वाचित हुए और उपभोक्ता विभाग और अध्यक्ष लोक लेखा समिति भी रहे । आपकी मृत्यु सिरोसिस ऑफ़ लीवर बीमारी के कारन हुई । रामसेवक यादव मन से गरीबों के दोस्त व वंचितों के साथी थे ।अपने गुणों के कारन ही वे डॉ लोहिया के प्रिय थे । पार्टी की जिम्मेदारी के साथ साथ डॉ लोहिया ने रामसेवक यादव को लोकसभा में पार्टी संसदीय दल का नेता भी बनाया था । स्व रामसेवक यादव के बाल्य काल से मित्र रहे वयोवृद्ध समाजवादी नेता अनंत राम जायसवाल (पूर्व मंत्री-पूर्व सांसद ) की नज़र में रामसेवक यादव के अन्दर आम जनता को जोड़ने और उनके लिए लड़ने की असीम ताकत थी , वो सही मायनों में गाँव -गरीब के नायक थे । स्व रामसेवक यादव के राजनितिक उत्तराधिकारी अरविन्द कुमार यादव ( पूर्व विधान परिषद् सदस्य ) के अनुसार डॉ लोहिया , राम सेवक यादव के पश्चात् अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी आन्दोलन व संघर्ष को नूतन आयाम दिए है । आज जरुरत है समाजवादी युवाओ को स्व रामसेवक यादव सरीखे समाजवादी आन्दोलन की आधार शिलाओं को स्मरण करने का ,उनके संघर्षो-विचारो के अनुपालन का ।

Tuesday, November 20, 2012

डॉ लोहिया के विचारो और समाजवाद की अलख जगाये धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव

अरविन्द विद्रोही.................................. उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा के सैफई गाँव में माता श्रीमती मूर्तिदेवी के कोख से जन्मे मुलायम सिंह यादव के जन्म २२नवम्बर,१९३९ के समय उनके जन्मदाता पिता श्री सुघर सिंह यादव ने भी तनिक कल्पना नहीं की होगी कि उनकी संतान के रूप में जन्मा यह अबोध बालक करोडो-करोड़ गरीबो-मज़लूमो-पीडितो-वंचितों-आम जनों का दुःख हर्ता बनकर युगों युगों तक के लिए कुल का नाम रोशन करेगा | क्या उस वक़्त किसी ने भी तनिक सा सोचा होगा कि एक किसान के घर जन्मा यह बालक मुलायम अपनी वैचारिक-मानसिक दृठता और कुशल संगठन छमता के बलबूते समाजवादी विचारक डॉ राम मनोहर लोहिया का सबसे बड़ा जनाधार वाला अनुयायी व उनके संकल्पों,उनके विचारो को प्रचारित-प्रसारित करने वाला बनेगा? १२अक्तुबर,१९६७ में जुल्म अन्याय के खिलाफ लड़ते-लड़ते डॉ लोहिया हमारे बीच से चले गये ,रह गये सिर्फ उनके विचार-उनके संकल्प और उनके अनुयायी| डॉ राम मनोहर लोहिया के देहावसान के बाद १९६७ से लेकर १९९२ तक समाजवादी आन्दोलन-संगठन का विघटन अफसोसजनक व दुर्भाग्य पूर्ण रहा |४-५ नवम्बर ,१९९२ को बेगम हज़रत महल पार्क-लखनऊ में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के स्थापना सम्मेलन में देश भर के तपे-तपाये समाजवादियो के बीच संकल्प लिया कि अब मैं डॉ लोहिया द्वारा निर्धारित सिधांतो के आधार पर समाजवादी पार्टी का पुनर्गठन करूँगा ,तब से ले कर आज तक धरतीपुत्र की उपाधि से नवाजे गये मुलायम सिंह यादव ने तमाम राजनीतिक दुश्वारिया झेली हैं |डॉ लोहिया के कार्यक्रमों अन्याय के विरुद्ध सिविल नाफ़रमानी,सत्याग्रह,मारेंगे नहीं पर मानेगे नहीं,अहिंसा,लघु उद्योग,कुटीर उद्योग आदि मुद्दों को कर्म के छेत्र में व्यापक जनाधार करके स्थापित करने वाले सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही हैं |आज के राजनीतिक दौर में जहा सिर्फ भीड़ ही राजनीतिक ताकत मानी जाती है ,उस दौर में डॉ लोहिया के विचारो-कार्यक्रमों को मजबूती से व्यावहारिक रूप में लागु करते हुये मुलायम सिंह यादव ने भीड़ के पैमाने पर भी खुद को और समाजवादी पार्टी को हमेशा अव्वल साबित करके दिखाया है | ४-५नवम्बर,१९९२ को समाजवादी पार्टी के स्थापना सम्मेलन में तपे-तपाये धुर समाजवादियो का जमावड़ा डॉ लोहिया के विचारो-संकल्पों के प्रचार-प्रसार व समाजवादी मूल्यों की सरकार बनाने को लेकर हुआ था |समाजवादी पार्टी की स्थापना को 20 वर्ष पुरे हो चुके हैं|इन 20 वर्षो में मुलायम सिंह यादव व समाजवादी पार्टी दोनों ने तमाम उतार-चढाव देखे है| तमाम लोग समाजवादी पार्टी से अलग हुये और तमाम जुड़े भी,लेकिन जिन डॉ लोहिया के विचारो को ,समाजवादी सोच व संघर्ष की मशाल को मुलायम सिंह यादव ने अपने मजबूत हाथो में पकड़ लिया था ,उस पकड़ को मुलायम सिंह यादव ने कभी भी तनिक भी ढीला नहीं किया | अपनी-अपनी राजनीतिक विवशता-महत्वाकांछाओं की पूर्ति ना होते देख कई समाजवादी नेताओ ने समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ा|चन्द वैचारिक नेताओ ने बिना जमीनी हकीकत समझे समाजवादी पार्टी को त्याग करके डॉ लोहिया के विचारो के प्रचार -प्रसार व अनुपालन के एक बड़े अवसर को त्यागा| मौका पाकर तमाम अवसरवादी ,मौका परस्त ,शौकिया राजनीति करने वालो ने भी एक काकस बनाकर समाजवादी पार्टी को आघात लगाया|मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी ,समाजवादी आन्दोलन को कमज़ोर करने की कुचेष्टा सफल नहीं हो पाई और ऐसे तत्वों को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया| डॉ राम मनोहर लोहिया एक महान चिन्तक थे ,अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने का संकल्प उनके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण था|१२ अक्टूबर ,१९६७ को डॉ लोहिया के देहावसान के बाद डॉ लोहिया को एक महापुरुष मानने वाले मुलायम सिंह यादव ने आगे बढ़ कर मृत समाजवादी आन्दोलन में आगे बढ़ कर नयी जान फूंक दी| प्रसिद्ध समाजवादी लेखक स्व लक्ष्मी कान्त वर्मा ने अपनी पुस्तक समाजवादी आन्दोलन- लोहिया के बाद में लिखा है कि दस-बारह वर्ष आशा-निराशा भरे अनुभवों से गुजरने के बाद जब मुलायम सिंह ने १९९२ में डॉ लोहिया का नाम लेकर और उनके समस्त रचनात्मक कार्यक्रमों को स्वीकार करते हुये समाजवादी आन्दोलन को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया तो वह ना तो गाँधी थे और ना ही लोहिया थे| वह मात्र अपने युग के एक जागरूक व्यक्ति के रूप में पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे| मुलायम सिंह वास्तव में एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसने स्वतंत्रता के तीन-चार दशको तक आम आदमी के दुःख-दर्द,अन्याय और उपेक्षा को देखा और भोगा है| वे उस अंतराल की पीढ़ी के के प्रतिनिधि है जो समस्त संवेदनशील बिन्दुओ को अपने में समेट कर समाजवाद सत्ता और सगुण सिद्धांतो को कार्यान्वित करने का सपना देख रही है| जिस तरह गाँधी ने कभी यह दावा नहीं किया कि वह स्वयं कोई शंकराचार्य या मसीहा हैं,ठीक उसी प्रकार मुलायम ने भी कभी यह दावा नहीं किया कि वह दुसरे लोहिया हैं| उन्होंने डॉ लोहिया के साथ-साथ जयप्रकाश और आचार्य नरेन्द्र देव को भी अपना पुरखा स्वीकार किया है और जब इन्होने इनको अपना पुरखा मान लिया है तो यह शंका अपने आप समाप्त हो जाती है कि वह डॉ लोहिया बनना चाहते है या अकेले उन्ही के सिद्धांतो के उत्तराधिकारी हैं| वे स्वतंत्रता के बाद आर्थिक ,सामजिक,सांस्कृतिक और राजनीतिक न्याय के छेत्र में संघर्ष करने वाले चौधरी चरण सिंह के भी उत्तराधिकारी हैं| डॉ भीम राव अम्बेडकर के भी उत्तराधिकारी हैं और खुले दिमाग के एक संघर्ष शील समाजवादी कार्यकर्ता के रूप में लोहिया ,जयप्रकाश,आचार्य नरेन्द्र देव ,मधु लिमये,राज नारायण इन सब के विचारो और राजनीतिक प्रयोगों और प्रयासों के उत्तराधिकारी है| विगत नवम्बर २०११ में भी डॉ लोहिया के विचारो पर समाजवादी पार्टी का गठन करने वाले मुलायम सिंह यादव एक बार फिर से राजनीतिक चुनौतिओ का सामना करने के लिए कमर कस चुके थे | राजनीतिक विश्लेषकों के इस पूर्वानुमान कि इस बार के उत्तर प्रदेश के विधान सभा के आम चुनावो में सपा की केंद्रीय भूमिका में मुलायम सिंह यादव नहीं रहेंगे ,असत्य साबित हो चुका है| अपने पिछले जन्म दिन के मात्र ५दिन पूर्व १६नवम्बर को राम लीला मैदान-एटा में आयोजित जन सभा में उमड़े अथाह जन सैलाब को संबोधित करके नयी चेतना व विश्वास उत्पन्न करने में कामयाबी हासिल करने वाले धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव ने पुनः साबित कर दिखाया था कि ७३ साल की उम्र में भी सपा कार्यकर्ताओ ,जनता व डॉ लोहिया के विचारो के प्रति समर्पण में तनिक भी कमी नहीं आयी है| चाहे उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार के द्वारा आम जनता,किसानों व जन संगठनो पे किये गये अत्याचार की बात हो या चाहे कांग्रेस की केंद्र सरकार के द्वारा राम लीला मैदान में बाबा राम देव और सोती हुई जनता पर ढाए गये जुल्म की बात हो ,मुलायम सिंह यादव ने हर एक जुल्म की ,अत्याचार की पुरजोर खिलाफत की है| डॉ राम मनोहर लोहिया के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने के सिद्धांत का पालन करते हुये समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश में जुल्मी सरकार बदलने की पुरजोर अपील के साथ एक बार पुनः क्रांति रथ यात्रा को उत्तर प्रदेश की सभी विधान सभाओ में भ्रमण हेतु रवाना किया था | उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के कुशल नेतृत्व में निकली रथ यात्रा में भारी तादात में जनता की उमड़ती भीड़ ने जहा सपा नेताओ के हौसले बढ़ा दिये थे और बसपा के खिलाफ समाजवादी पार्टी का युवा चेहरा अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के लोगों की उम्मीदों के नव केंद्र बिंदु बनकर उभरे | समाजवादी संघर्ष की विरासत को आगे बढ़ाते हुये मुलायम सिंह यादव के एक अन्य सेनानी इलाहाबाद के युवा नेता अभिषेक यादव ने अपने साथियो के साथ मिल कर १४नवम्बर को समाजवादी मूल्यों और छात्र संघ बहाली की हक़ की लड़ाई लड़ने के मार्ग को और अधिक दृढ़ता प्रदान की थी | समाजवादी संघर्ष की विरासत को बढ़ाते हुये धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के पहले और बाद में भी समाजवादी संघर्ष के तमाम तोहफे देकर आम जनता के हितो की आवाज बुलंद करते हुये उत्तर प्रदेश में समाजवादी कार्यकर्ताओ ने विधान सभा के आम चुनावों में जनता का विश्वास अर्जित कर समाजवादी मूल्यों की सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त किया | डॉ लोहिया के अनुयायी मुलायम सिंह यादव ने अपने को हर बार साबित कर दिखाया था और समाजवादी पार्टी के नेताओ और कार्यकर्ताओ ने भी बहुजन समाज पार्टी की तत्कालीन तानाशाह सरकार के खिलाफ परीक्षा की घडी में अपने अपने संघर्ष रूपी योगदान की आहुति डालकर धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव को आने वाले इस जन्मदिन का उपहार अग्रिम रूप से ही दे दिया था । समाजवादी आन्दोलन की विरासत को संजोंये हुए धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री उ0प्र0शासन के पद पर रहते हुए 1995 में कहा था,-डा0लोहिया जरूर चले गये हैं दुनिया से लेकिन उनके विचारों को कोई मिटा नहीं सकता।उनके विचारों पर चलना पडे़गा।आज उसी पर चलने की हम लोग कोशिश कर रहें हैं।चाहे विशेष अवसर की नीति हो,चाहे भूमि सेना का गठन हो,चाहे अंग्रेजी हटाओ का आन्दोलन हो,उसका समर्थन हम आज कर रहे हैं,सरकार में रहकर भी कर रहे हैं। भारत में समाजवाद की सोच,विचारधारा का जन्म भारत की ब्रितानिया हुकूमत से जंग-ए-आजादी के दौरान जेल के सींखचों,काल कोठरी में हुआ था।राजनैतिक आजादी व मूल्यों के साथ-साथ भारत में समाजवाद मूलतःनैतिक मूल्यों से भी जुड़ा हुआ है।समाजवादी आन्दोलन के पुरोधा आचार्य नरेन्द्र देव ने महात्मा गाँधी के जीवन दर्शन,व्यक्तित्व व जंग-ए-आजादी के आन्दोलन की जानकारी हासिल करके ही समाजवादी आन्दोलन को समझने पर जोर दिया था।लोकनायक जयप्रकाश नारायण अपने जीवन की अंतिम सांस तक समाजवाद,गाँधीवाद,सर्वोदय ओर सम्पूर्ण क्रंाति की अवधारणाओं के लिए जूझते रहे।जे0पी0 का भी सारा आन्दोलन गाँधी जी के सिद्धान्तों और समाजवाद के समीकरणों पर ही आधारित है।समाजवादी संगठन और समाजवादी नेता पूर्णरूपेण महात्मा गाँधी के विचारों से प्रभावित थे।दरअसल वास्तविकता ही है कि डा0लोहिया के देहावसान के पश्चात् समाजवादी आन्दोलन में बिखराव आ गया।जे0पी0 का व्यवस्था परिवर्तन के लिए खड़ा किया गया जनान्दोलन मात्र सत्ता परिवर्तन बन के रह गया। आज उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार है , सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव साफ तौर पर कह चुके है कि सरकार के कार्यो पर नज़र रखने और समाजवादी कार्यकर्ताओ से संवाद बरक़रार रखने की मंशा के कारण ही वो खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बने है जबकि निर्वाचित विधायकों की इच्छा थी । समाजवादी संघर्ष की विरासत के चलते उम्मीदों के केंद्र बिंदु युवा मुख्यमंत्री को सत्ता प्राप्ति के संघर्ष में भारी विजय हासिल हुई और समाजवादी संकल्पों - जनता से किये गये वायदों को पूरा करने व भ्रष्ट -नाकारा -गैरजिम्मेदार नौकर शाहों को सही ढर्रे पर लाने का प्रयास पुनः एक चुनौती माफिक अखिलेश यादव के सम्मुख है । पुलिस तंत्र मनमानी पर उतारू है , कानून व्यवस्था पर अकारण सवालिया निशान नहीं लग रहे हैं । आपराधिक घटनाओं की प्राथमिकी दर्ज़ करने में हीलाहवाली करना और वसूली करना मानो पुलिसिया प्रशिक्षण का अहम् हिस्सा है । एक पुत्र के रिश्ते और उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार के मुख्यमंत्री के नाते अखिलेश यादव को अपने पिता व सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के अवसर पर ही सही कानून व्यवस्था , नौकरशाही व भ्रष्ट - मनमाने पुलिस तंत्र पर तत्काल प्रभावी नियंत्रण करने का कठोर कदम उठाना चाहिए ।

Sunday, November 11, 2012

मन का रावण मारें ,अंधकार मिटायें - दीप पर्व मनायें

अरविन्द विद्रोही फिर इस वर्ष भी हमने,हम सबने लंकेश रावण के पुतले का दहन कर डाला।नव दुर्गा का उपवास रखा,शक्ति रूपों की पूजा की,माँ-स्वरूप् कन्याओं को भरपूर भोजन कराया,उन्हें भेटें दी।महिलाओ ने करवा चौथ का पर्व भी अपने सुहाग के लिए व्रत रखकर आनंद व उल्लास के साथ मना लिया । अब हम सभी को दीपावली की तैयारी में लगना है।सुख,समृद्धि,खुशियों के त्यौहार,मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री रामचन्द्र जी के लंका विजय व वनवास पूरा करने के पश्चात् अयोध्या वापस आने की प्रसन्नता में मनाया जाने वाला दीप पर्व भी हमें मनाना है।अंधकार भगाने के प्रतीक स्वरूप दीपावली का यह पुनीत पर्व सम्पूर्ण परिवार तथा समाज को बहुप्रतीक्षित सदैव रहा है।साथ ही साथ धनतेरस,नरक चौदस ,गोवर्धन पूजा,भैया दूज,कलम दवात आदि पर्व हम श्रद्धा-भक्ति व धूमधाम से मनायेंगें।सदियों से इन त्यौहारों को मनाने की परम्परा है और निःसन्देह सदैव रहेगी। प्रत्येक त्यौहार-परम्परा का एक विशेष महत्व होता है।उसके मूल में एक सन्देश-भाव छिपा रहता है।महापराक्रमी विद्वान दशानन लंकेश रावण पर अयोध्या के राजकुमार-वनवासी राम की विजय सिर्फ एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति पर विजय नहीं थी।न ही यह विजय राक्षसों की सेना पर वानरों,भील आदि रामभक्तों की सेना की विजय मात्र थी।वस्तुतःयह विजय थी-सत्ता के मद में चूर महापराक्रमी रावण के द्वारा स्त्री के अपमान के फलस्वरूप् उत्पन्न परिस्थितियों एवं असत्य के राही एवं मदमस्त रावण पर मर्यादा की स्थापना हेतु पिता के आज्ञा पालन हेतु अयोध्या छोड़कर वन में विचरण करने वाले सत्य के राही राम की।यह विजय थी-असत्य पर सत्य की। सत्यमेव जयते।सत्य की विजय हो।कैसे?कभी सोचा हमने? आज तो जन-मन-गण की सोच ही थक चुकी है या साफ-साफ कहें तो सोच निस्प्राण होकर विकृत अवस्था को प्राप्त हो चुकी है। जहाँ जिस धरा पर आदिकाल से वसुधैव-कुटुम्बकम् की अवधारणा स्थापित रही हो, वहां पाश्चात्य सभ्यता व पूंजीवाद इतना प्रभावी हो गया है कि पैसों के लिए परिवार भी विखण्डित हो रहे हैं।पारिवारिक विखण्डन अब व्यक्ति के आंतरिक टूटन की वजह बन गई है।अंधाधुंध आर्थिक उन्नति की मंजिलें तय करते-करते मनुष्य मानसिक-सामाजिक-चारित्रिक रूप से बिखरता जा रहा है।इन नैतिक मूल्यों का हनन व्यक्ति-परिवार-समाज सभी को हानि के अतिरिक्त कुछ भी नहीं दे रहा है। हाँ, तो बात फिर से दीपावली पर्व के सन्दर्भ में।दीप पर्व की हमारे वर्तमान जीवन में उपयोगिता की,असत्य पर विजय प्राप्त कर के अयोध्या वापस लौटे मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम चन्द्र जी के सम्मान व स्वागत में आयोजित हुए इस दीप पर्व के आज हमारे द्वारा परम्परागत रूप से मनाये जाने की प्रासंगिकता पर।माँ कैकेयी द्वारा मांगे गये पिता से वरदान की लाज रखने हेतु,पिता के वचनों की,राजधर्म की मर्यादा की रक्षा के लिए पत्नी-भाई समेत वन जाने जैसा आचरण क्या आज हमारे समाज में करने की कोई सोच भी सकता है?आज तो हालात यह हो गई है कि पुत्र के विवाहोपरान्त बेचारे माॅं-बाप ही घर से कब निकाल दिये जायें,इसका ही ठिकाना नहीं है।रिश्तों को भौतिकता रूपी दीमक चाट चुका है।लालच का बिच्छू अपना जहर लोगों के नसों में उतार चुका है।मिथ्याचरण मनुष्य के आभूषण रूप में सुशोभित हो रहा है।सदाचार मानव स्वभाव से विलुप्त हो चुका है और व्यभिचार आम जीवन शैली का अनिवार्य हिस्सा बना हुआ है।आज कहाँ हैं राम जैसा आज्ञाकारी पुत्र कहाँ है भरत-शत्रुध्न और लक्ष्मन जैसे भाई?क्या कोई स्त्री सीता जैसा कष्ट सहने का,पति के साथ दुःखमय जीवन जीने का निर्णय ले सकती है?त्याग की भावना की जगह वासना-पूर्ति की अभिलाषा अपना साम्राज्य स्थापित कर चुका है।तो क्या हमें अपने अन्दर के राक्षस रूपी इन विकारों को,आसुरी प्रवृत्तियों को खत्म करने का प्रयास नहीं करना चाहिए?क्या परम्परागत रूप से महाविद्वान पुलस्त्य ऋषि के नाती,महापराक्रमी,बलवान,ज्ञानी,शिवभक्त परन्तु अहंकारी,सत्ता मद में चूर,राक्षसी प्रवृत्ति के,स्त्री उत्पीड़क लंकेश रावण के पुतले का दहन कर के ही हम दशहरा मनाते रहेंगें?सिर्फ परम्परा के निर्वाहन हेतु दीप पर्व मनायेंगें? आइये……समाज के हितार्थ स्वयं की आन्तरिक आसुरी शक्तियों के खिलाफ धर्मयुद्ध की शुरूआत करें।अन्र्तद्वन्द छेड़े।चेतना को नया आयाम दें।नया सबेरा लाने की दिशा में कदम बढ़ायें।अपने मन के लंकेश को सदाचार रूपी बाणों से नाभि प्रहार यानि दुराचरण का खात्मा करके आसुरी शक्ति को परास्त कर परिवार-समाज की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें।यदि मानव एैसा करे तो श्री रामचन्द्र जी के लंका विजय के उल्लास में,अयोध्या वापसी की प्रसन्नता में आज तक मनाये जा रहे इन पर्वों की,दीप पर्व की प्रासंगिकता हमारे वर्तमान में है अन्यथा सिर्फ अवकाश,थोड़ा सैर-सपाटा,मन बहलाव व ईश्वर भक्ति के ढ़ोंग के लिए दीपावली मनाना कोई मायने नहीं रखता।

Saturday, November 10, 2012

बाराबंकी पुलिस का रवैया --अपराध न करेंगे दर्ज ,हम रहेंगे मस्त ,ठेंगे से रहो तुम त्रस्त

पिछले शनिवार - रविवार 27-28 की रात मेरे अपने निजी आवास पे हुई चोरी की घटना ने मुझे हैरानी के साथ साथ दहशत जदा भी कर दिया था । शनिवार 27 की रात 1 1.15 के पश्चात् मैं सोने के लिए बिस्तर के हवाले हो गया । घर में मैं अकेला था- पत्नी दोनों बेटों के साथ दशहरे के अवकाश में अपने मायके तहसील फतेहपुर में थी । रविवार 28 को सभी को लेने के लिए 10 बजे सुबह घर से फतेहपुर के लिए निकलने का कार्यक्रम सुनिश्चित कर लिया था यही कारन था कि देर रात तक पढना लिखना न करके सो गया ।फिर एक आहट सी लगने पे अचानक मेरी नींद खुली और मैं बिस्तर से उठ खड़ा हुआ । सोने के कमरे से बगल के बड़े कमरे की तरफ होकर मुंह धोने / लघु शंका करने के लिए बढ़ा , बड़े कमरे से लगे रसोई घर से खाना आदि दिए जाने वाले झरोखा जो कि ईटों से बंद था को खुला देख कर , उसमे से आती रौशनी देखकर मैं चौंक गया । तभी एकदम से नज़र बड़े कमरे से आंगन में खुलने वाले दरवाजे पे गयी और उसको भी खुला देखकर मैं सकते में आ गया । मैं समझ गया कि मेरे घर में कोई घुस चूका है और अपना हाथ साफ़ कर चूका है । बड़े कमरे की मेरी अपनी अध्धयन की मेज पर मेरा लैपटॉप मुझे दिखाई पड़ा । मेरे समझ में तुरंत ये आया कि रसोई के सामान पे चोरो ने अपना हाथ साफ़ कर लिया होगा ।मैं बड़े कमरे से आंगन में आया और बड़े कमरे से बिलकुल सटे रसोई घर को देखा । रसोई का सामान व ईटे बिखरे पड़े मिले लेकिन गैस - सिलेंडर आदि सुरक्षित मिले । आंगन में पड़ी तमाम वस्तुओं के साथ साथ बेटों की साइकिल भी सुरक्षित मिली । अब मेरी घबराहट एकदम से बढ़ गयी कि आखिर कौन आया और किस मकसद से ? कितना बजा है ये देखने के लिए मैं वापस बिस्तर वाले कमरे में आया और अपना मोबाइल तलाशने लगा , बिस्तर पर मोबाइल न मिलने पे मेरा माथा ठनका और तभी मेरी नज़र भीतरी कमरे के दरवाजे के पल्ले पे गयी जहा रात में मैंने अपने कपडे टांग दिये थे, कपड़े भी गायब दिखे । माज़रा लगभग साफ़ हो चूका था , अब समय देखने के लिए मैंने अपना लैपटॉप ऑन किया , उस समय लगभग 4.45 हुये थे । अपने मित्रों से संपर्क साधने के लिए तत्काल मैंने फेसबुक का अपना खाता खोला और अपने वाल पे चोरी की घटना को लिख दिया इस उम्मीद में कि अगर बाराबंकी के , मेरे पड़ोस के कोई भी व्यक्ति तक ये सुचना पहुच जाएगी तो वो मेरे घर आ जायेगा। संपर्क का साधन मोबाइल चोरी जाने के पश्चात् मैंने अंतरजाल को संपर्क के लिए प्रयोग किया । यह लिख कर मैं अपने घर की छत की तरफ चल पड़ा । जीने पे मेरा -पेंट शर्ट पड़ा मिला जिसमे से मेरा पर्स चोर साथ ले जा चूका था । मामूली 35 0 रूपये लेकिन सभी जरुरी कागज मतदाता पहचान पत्र , वाहन चालक अनुज्ञप्ति पत्र , पैन कार्ड , विजिटिंग कार्ड आदि अज्ञात चोर ले जा चूका था । छत से अगल बगल नीचे देखने के पश्चात् मैं दुबारा नीचे कमरे में आ गया । इस समय तक सुबह के 5 बज चुके थे। मैं घर से निकल कर मुख्य मार्ग विकास भवन मार्ग पे आ कर देखने लगा । मुख्य मार्ग निवासी इक श्रीवास्तव परिवार बाहर अपने बेटे को स्टेशन भेजने के लिए खड़ा था ,मैंने उनको भी अपने घर हुई चोरी की घटना बताई और उनके छोटे बेटे से अपना चोरी गया मोबाइल नंबर मिलाने को कहा , उसने तुरंत मिलाया लेकिन तब तक फ़ोन बंद हो चूका था । मिलाते रहना थोड़ी थोड़ी देर में यह कहने के बाद मैं अपने घर आ गया ।थोड़ी देर बाद कुछ समझ में न आने के कारण मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले अनिल श्रीवास्तव को घर से बाहर निकल कर उनके मुख्य द्वार से आवाज देकर जगाया और उनको अपने घर हुई घटना की जानकारी दी । वो तत्काल निकले और मेरे घर में कमरे-रसोई से लेकर छत तक गये । उनके घर के लोग भी जग गये और अपनी छत पर पड़ोसी प्रेम पाठक,उनकी पत्नी ,अनिल श्रीवास्तव की पत्नी भी पहुच गये । मैंने अपने पत्नी को फ़ोन करने के लिए अनिल श्रीवास्तव से फ़ोन माँगा तो उन्होंने सलाह दिया की अभी सुबह के 5.30 ही है , थोड़ी देर बाद करियेगा । वो भी अपने मोबाइल से मेरा नंबर मिलाये लेकिन चोर उसे बंद कर ही चूका था । थोड़ी देर में सभी लोग अपने घर चले गये । मैं एक बार फिर अपने घर में अकेला था ,कुछ देर बाद फेसबुक पर नज़र डाली तो स्थानीय दो -तीन मित्र ऑनलाइन दिखे , उन सभी को मैंने सन्देश दिया और मेरे एडवोकेट मित्र मो सबाह - प्रतिनिधि माननीय बेनी प्रसाद वर्मा (केंद्रीय इस्पात मंत्री ) ने जवाब दिया ,मैंने उन्हें ऑनलाइन चोरी की घटना की जानकारी दी और उन्होंने 30 मिनट के अन्दर मेरे घर आने की बात कही । कुछ देर बाद मैं फिर घर से बाहर सड़क पे निकला ,पड़ोस में ही रहने वाले मतीन अहमद प्रातः भ्रमण के अपने दैनिक चर्या के अनुसार मिल गए , उन्हें भी बताया । वो भी तुरंत मेरे मेरे घर और सब जगह देखे । कुछ मिनट के पश्चात् मतीन अहमद अपने घर चले गए और मैं अपने छत से लेकर बहार सड़क तक चहल कदमी करने लगा । कुछ ही देर में मो सबाह अपने वायदे के मुताबिक आ गये । सुबह के सात बजने को थे । मो सबाह के आने से मुझे थोडा सुकून मिला और मैंने कॉफ़ी बने और दोनों लोगो ने पी । इस बीच मो सबाह के मोबाइल से पत्रकार साथी मो अतहर - जिला संवाददाता , पंजाब केसरी को फ़ोन किया पर उनका मोबाइल उठा नहीं । उसके बाद समाजवादी पार्टी के नेता धीरज गुलसिया को फ़ोन से घटना की जानकारी दी और उन्होंने भी जल्दी मेरे घर आने को कहा । घटना की सूचना देने व प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन पत्र मो सबाह ने मेरे निवेदन पे मेरे बताये अनुसार लिखा । लगभग आधे घंटे बाद मो सबाह अपने घर के लिए चले , मैंने उनसे कहा कि अगर अतहर भाई का फ़ोन आयेगा तो उनको मेरे यहाँ चोरी की घटना से अवगत करा दीजियेगा और मैंने अपने घर बुलाया है ये कह दीजियेगा । मो सबाह के जाने के पश्चात् मैं अपनी छत पे गया और बगल में निवासी अनिल श्रीवास्तव जो अपनी छत पर अपने किसी सहकर्मी से वार्ता कर रहे थे, से बात करने लगा । उन्ही से मोबाइल लेकर मैंने अपनी को घर में घटित चोरी की घटना को बताया और कहा कि तुम किसी के साथ बच्चो को लेकर जल्द से जल्द आ जाओ । तभी सपा नेता धीरज गुलसिया आ गये और मैं नीचे आ गया ।उनके घटना स्थल देखने के पश्चात् मैंने कहा कि घटना की सुचना चलकर कोतवाल दे दी जाये और उन्होंने तुरंत हामी भरी और कहा कि चलिए । कमरे और मुख्य द्वार में ताला लगा कर मैं उनके साथ कोतवाली पंहुचा तब तक शायद 8बजने वाले थे । कोतवाली में मौजूद पुलिस कर्मी ने कहा कि अभी कोतवाल साहब नहीं है , 10 बजे के बाद आ जाइये , प्राथमिकी भी दर्ज हो जाएगी और कोतवाल साहब के से कुछ कार्यवाही भी हो जाएगी । मैं वापस अपने घर आ गया और दैनिक क्रिया से निवृत होने के पश्चात् कमरे में ही लेट गया । लगभग 9 बजे दो पुलिसकर्मी आये और मौका मुआयना देखने लगे ।कमरा , रसोई , आंगन और छत सभी जगह देखने के पश्चात् बड़े कमरे में बैठ कर वार्ता करने लगे तभी पंजाब केसरी के जिला संवाददाता मो अतहर और एक अन्य पत्रकार साथी अब्बास भी आ गये । उनके घर के अन्दर आने के चंद मिनट बाद ही आवास विकास चौकी प्रभारी सतीश यादव को साथ लेकर धीरज गुलसिया आ गये । सभी लोग एक साथ कमरे , रसोई , आंगन को देखते हुये छत तक गये और फिर कमरे में आकर बैठ गये । त्वरित कार्यवाही की बात कहते हुए चौकी प्रभारी ने स्वयं घटना का प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र माँगा ,जो की मैंने तुरंत दे दिया । दो दिन के भीतर चोरी के खुलासे की बात और समुचित कार्यवाही करने का आश्वासन देकर चौकी प्रभारी और अन्य पुलिस कर्मी चल दिये । यह सब 10.30 बजे तक हो गया , पुलिस चौकी प्रभारी के आने और उसके कथन से तब मुझे बहुत सुकून मिला था । दोपहर में परिवार वापस आ गया , साफ -सफाई और लोगो के आने जाने वार्ता में ही शाम हो गई । सोमवार और मंगलवार को फ़ोन से चौकी प्रभारी से मामले की प्रगति लेता रहा । मामले में प्रगति शून्य प्रतीत होने व चोरी का तक दर्ज न होने के बाबत जब चौकी प्रभारी से मैंने कहा तो उन्होंने कहा कि चोरी की जगह गुमशुदगी की दरखास्त दे दीजिये , चोरी की प्राथमिकी मत दर्ज कराइए । मैंने कहा कि जब चोरी हुई है तो गुमशुदगी की बात कैसे लिखूं? समाजवादी पार्टी के वरिष्ट नेता अरविन्द यादव - पूर्व विधान परिषद् सदस्य , जिला सचिव ज्ञान सिंह यादव , धीरज गुलसिया आदि ने भी चोरी की प्राथमिकी दर्ज करने और कार्यवाही करने के लिए सतीश यादव - चौकी प्रभारी आवास विकास कालोनी से कहा । अंततः शनिवार 3नवम्बर को बाराबंकी कोतवाल संतोष सिंह से पत्रकार साथी मो अतहर ,आशुतोष श्रीवास्तवा , रेहान के साथ प्रातः 10.30 पे मिला । कोतवाल बाराबंकी संतोष सिंह ने कहा कि दो - तीन दिन का मौका और दे दीजिये , अभियोग पंजीकृत के साथ साथ तब तक अपराधी भी सर्विलांस के द्वारा पकड़ में आ जायेंगे । साथी पत्रकारों की सलाह से मैंने भी कहा कि ठीक है सोमवार तक ही अभियोग पंजीकृत कर दीजियेगा । कोतवाल ने कहा कि गुमशुदगी अभी दर्ज करा दीजिये , मैंने इंकार और कहा कि चोरी हुई है , चोरी की रिपोर्ट लिखिए । खैर सोमवार 5 नवम्बर को अभियोग दर्ज करने और अभियुक्त का पता लगाने का आश्वासन मिल चूका था और पीरबटावन में किसी मामले की सुचना आने के कारण कोतवाल को वहा जाना था । औपचारिक नमस्कार के पश्चात हम सभी लोग बाराबंकी कोतवाली से निकल गये । कोतवाली से निकलने के पश्चात मेरा कार्यक्रम एकदम से मझगवां शरीफ तहसील फतेहपुर जाने का बन गया । शाम को लगभग 6बजे वहा से वापस बाराबंकी घर पंहुचा । इस दौरान कई पत्रकारों ने बाराबंकी कोतवाल संतोष सिंह व आवास विकास चौकी प्रभारी सतीश यादव से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कहा , लेकिन आपराधिक घटनाओं को ना दर्ज करने की फितरत के चलते अभियोग पंजीकृत पुलिस द्वारा नहीं किया गया । पुलिस के प्राथमिकी तक ना दर्ज करने के कारण मंगलवार 6 नवम्बर को तहसील दिवस के अवसर अपने घर हुई चोरी की घटना और पुलिस द्वारा कार्यवाही ना करने की सूचना और प्राथमिकी दर्ज किये जाने का प्रार्थना पत्र सुनील चौधरी -सदर उप जिला अधिकारी को दिया । उनके साथ सी ओ सिटी दीपेन्द्र चौधरी मौजूद थे , पूरा प्रकरण समझने के पश्चात अधिकारी द्वय ने स्पष्टतः कहा कि कल आप कोतवाली से चोरी की घटना की प्राथमिकी रिपोर्ट की प्रति ले लीजियेगा । दूसरे दिन शाम को पता करने पे अभियोग दर्ज ना होने की जानकारी मिली । गुरुवार 8 नवम्बर को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को बाराबंकी आना निश्चित था ,7नवम्बर की शाम को चौकी प्रभारी सतीश यादव ने वार्ता करने पे कहा कि कोतवाल साहब सहित सभी उसी में व्यस्त हैं , कार्यक्रम के पश्चात प्राथमिकी दर्ज हो जायेगी । 8 नवम्बर को सपा प्रमुख आये और चले भी गए ,आज शनिवार 10नवम्बर तक भी मेरे घर शनिवार - रविवार 27-28 को हुई चोरी की घटना को बाराबंकी की पुलिस ने दर्ज नहीं किया है । गुरुवार 8 नवम्बर को एक सुखद लेकिन हैरान कर देने वाला वाकया हुआ । दोपहर बाद करीब 3.15 बजे जब मैं पंजाब केसरी के बाराबंकी कार्यालय में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के द्वारा दिए गये भाषण पे पत्रकार साथियों से विचार विमर्श कर रहा था तभी मेरे पडोसी मतीन अहमद जी का फ़ोन आया । उन्होंने कहा कि तत्काल आ जाओ ,तुम्हारा पर्स मिला है । तत्काल वहा मौजूद अब्बास भाई के साथ अपने मोहल्ले आ गया । मेरे घर के चंद कदम पहले विकास भवन मार्ग पे ही मतीन भाई का निर्माणाधीन अतिथि गृह है , वही मतीन भाई मिले । मुख्य मार्ग पे सड़क के किनारे ईटों का एक चट्टा लगा हुआ है , उसी पे मेरा चोरी गया पर्स एक ईटें से दबा कर रखा था ,जिसको वहा कार्य कर रहे मजदूर ने देखा था और मतीन भाई को सूचना दी । खैर ,मैंने पर्स मिलने की सूचना तत्काल चौकी प्रभारी सतीश यादव को दिया और उन्होंने एक घंटे में आने को कहा , दुर्भाग्यवश आज 10नवम्बर दिन शनिवार दोपहर 1.25 तक भी लगभग 46 घंटे बीत जाने के बाद भी चौकी प्रभारी का एक घंटा नहीं हुआ । बाराबंकी में आवास विकास चौकी प्रभारी सतीश यादव की इन हरकतों से साफ़ समझ में आ चूका है कि पुलिस अपराधी को संरक्षण दे रही है।पड़ोसियों और मित्रों की सलाह से मैंने कल 9नवम्बर को अपना पर्स वहा से उठा के अपने कब्जे में ले लिया । पुलिस की इन सारी गैर जिम्मेदाराना व भ्रष्टाचार युक्त आचरण की जानकारी मैंने सुनील चौधरी - उपजिलाधिकारी को दिया । उनके द्वारा भी पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने व कार्यवाही करने को निर्देशित किया गया था , जिस को तक नज़र अंदाज़ पुलिस कोतवाल द्वारा किया गया । कोतवाली अंतर्गत आवास विकास कालोनी चौकी इलाके में अपराधों को दर्ज न करने के सिलसिले का ताज़ा प्रमाण मेरे अपने निजी आवास में पिछले 27-28 की रात हुई चोरी की प्राथमिकी आज तक दर्ज न किया जाना है । कोतवाली इलाके में अपराध हो ही नहीं रहे है ये साबित करने के लिए प्राथमिकी ही नहीं दर्ज करी जाती है । कोतवाली अंतर्गत आवास विकास कालोनी चौकी इलाके में तमाम चोरी की घटनायें प्रकाश में आई है जिनकी प्राथमिकी नहीं दर्ज की गयी है । चौकी प्रभारी आवास विकास कालोनी और बाराबंकी शहर कोतवाल दोनों लोग मेरे अपने घर हुई चोरी की घटना की प्राथमिकी दर्ज करने में हीला हवाली कर रहे है ।अपराधों पर नियंत्रण और अपराधियों पे नकेल कसने के स्थान पर बाराबंकी कोतवाली पुलिस अपराध छुपाने और अपराधियों को बचाने में जुटी हुई स्पष्टतः दिखाई दे रही है । वसूली अभियान को अपना पहला व अंतिम ध्येय बना चुकी बाराबंकी कोतवाली पुलिस की नाक के नीचे अनवरत घटित आपराधिक घटनाओं से यह साबित हो रहा है कि कोतवाली बाराबंकी के पुलिस कोतवाल/चौकी प्रभारी गैर जिम्मेदार व कर्त्तव्य निर्वाहन के प्रति लापरवाह है । बाराबंकी पुलिस के इस कदाचरण , मनमाने आचरण और अभियोग ना दर्ज कर अपराधियों को संरक्षण देने के मामले को अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मा अखिलेश यादव एवं पुलिस व गृह विभाग के आला अधिकारीयों के संज्ञान में सोमवार 12नवम्बर को इस मामले का शिकायती पत्र सौंप कर कराऊंगा और घटना की प्राथमिकी दर्ज करवाने के निवेदन के साथ साथ इन गैर जिम्मेदार पुलिस कर्मियों को उचित दंड दिए जाने का भी अनुरोध करूँगा ।

Thursday, November 8, 2012

दिवंगत ब्लैक लिस्टेड शराब व्यवसाई की प्रतिमा का मुलायम सिंह द्वारा अनावरण

दिवंगत ब्लैक लिस्टेड शराब व्यवसाई गुरु प्रसाद जयसवाल - पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका बाराबंकी की प्रतिमा अनावरण के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के आज आगमन के पहले ही बाराबंकी कोतवाली पुलिस का कहर बाराबंकी के नागरिको पर बरसा । तमाम रास्तो पर बैरिकैडिंग लगाकर नागरिको को अपने अपने घर में कैद में रहने को किया मजबूर , छाया चौराहे पर अपनी जीविका के लिए प्रति दिन जमा होकर मजदूरी तलाशने वाले मजदूरों को खदेड़ा गया । सड़क के किनारे खड़ेवाहनों के स्वामियों - चालको से प्रातः से ही अभद्र व्यवहार बाराबंकी पुलिस कर्मियों द्वारा मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर किया गया है । बाराबंकी नगर पालिका में आयोजित दिवंगत ब्लैक लिस्टेड शराब व्यवसाई गुरु प्रसाद जयसवाल - पूर्व अध्यक्ष की प्रतिमा का अनावरण समारोह आयोजित करने वाले वयो वृद्ध पूर्व सांसद अनंत राम जयसवाल ने अभी हालिया संपन्न उत्तर प्रदेश विधान सभा के आम चुनावो में समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशियों का खुलकर व जम कर विरोध किया था और कांग्रेस के प्रत्याशियों की मदद करी थी लेकिन बाराबंकी की सभी सीटो पर समाजवादी पार्टी के ही प्रत्याशी जीते । प्रचंड बहुमत से अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार का गठन भी हुआ और चुनावो के दौरान समाजवादी पार्टी का खुलम खुल्ला विरोध करने वाले और मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव पर व्यक्तिगत प्रहार करने वाले तमाम जनाधार विहीन लोगो के होश फाख्ता हो गए थे । अपने पुराने रिश्तों की दुहाई देकर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव से बधाई देने के लिए मिलने की मिन्नतों से मिली सफलता के पश्चात् मुलायम सिंह यादव पे अपना व्यक्तिगत प्रभाव व पकड़ दिखाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त कार्यक्रम वर्षो से अनावरण के लिए नगर पालिका परिसर में दिवंगत ब्लैक लिस्टेड शराब व्यवसाई गुरु प्रसाद जयसवाल - पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका बाराबंकी की प्रतिमा अनावरण का आयोजन पूर्व सांसद महोदय को समझ में आया । जबकि इस प्रतिमा का अनावरण बहुजन समाजपार्टी के शासन काल में ही एक संगठन के लोगो ने कर था । बाराबंकी समाजवादी धरा पर ब्लैक लिस्टेड शराब के कारोबारी की प्रतिमा अनावरण करके समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने महात्मा गाँधी के मध निषेध कार्यक्रम व शराब बंदी आन्दोलन की अवधारणा पर आघात पहुचाया है । शराब के कारोबारी को महिमा मंडित करके मुलायम सिंह यादव ने समाजवाद की नूतन अवधारणा का प्रतिपादन ही कर डाला । बकौल सपा मुखिया शराब के कारोबार से सरकार को दुसरे नंबर का राजस्व प्राप्त होता है इसलिए शराब व्यवसाई की प्रतिमा लगाई जा सकती है । दलित समाज के महापुरुषों की प्रतिमाओ पर लगातार हो हल्ला मचाने वाले और मूर्ति लगाने को जनता के धन की बरबादी करार देने वाले सपा नेतृत्व को आखिर हो क्या गया है यह मेरी समझ से परे है । आज के इस प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के रंजीत बहादुर श्रीवास्तव - नगर पालिका अध्यक्ष की विशिष्ट उपस्थिति और राष्ट्रीय स्वयं संघ के अजय सिंह के संचालन से भ्रम पैदा हो चुका है । बहरहाल शराब व्यवसाई पुत्र के शराब व्यवसाई दिवंगत पिता की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम के चलते शराब के शौक़ीन पत्रकारों की पौ बारह रही , खूब दावतें कटी और विज्ञापन / नगदी के बहाने दीपावली का भी इन्तेजाम हो ही गया । बाराबंकी के ही गाँधी वादी समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा - अध्यक्ष गाँधी जयंती समारोह ट्रस्ट ने इस प्रतिमा अनावरण समारोह के आयोजन के औचित्य पर सवाल उठाये थे और मुलायम सिंह यादव से इस कार्यक्रम में न आने की अपील की थी । खैर मुलायम सिंह यादव आज बाराबंकी आये और चले भी गये लेकिन पार्टी के जिला कार्यकर्ताओं में एक निराशा भर के गये जिसका खामियाजा आगामी लोकसभा में भुगतना पड सकता है ।

बाराबंकी कोतवाली पुलिस का कहर

दिवंगत ब्लैक लिस्टेड शराब व्यवसाई गुरु प्रसाद जयसवाल - पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका बाराबंकी की प्रतिमा अनावरण के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के आज आगमन के पहले ही बाराबंकी कोतवाली पुलिस का कहर बाराबंकी के नागरिको पर बरसा । तमाम रास्तो पर बैरिकैडिंग लगाकर नागरिको को अपने अपने घर में कैद में रहने को किया मजबूर , छाया चौराहे पर अपनी जीविका के लिए प्रति दिन जमा होकर मजदूरी तलाशने वाले मजदूरों को खदेड़ा गया । सड़क के किनारे खड़ेवाहनों के स्वामियों - चालको से प्रातः से ही अभद्र व्यवहार बाराबंकी पुलिस कर्मियों द्वारा मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर किया जा रहा है ।

Sunday, November 4, 2012

बाराबंकी शहर कोतवाली पुलिस का मनमाना - भ्रष्ट रवैया

बाराबंकी शहर कोतवाली पुलिस का मनमाना - भ्रष्ट रवैया बदस्तूर जारी है । कोतवाली अंतर्गत आवास विकास कालोनी चौकी इलाके में अपराधों को दर्ज न करने के सिलसिले का ताज़ा प्रमाण मेरे अपने निजी आवास में पिछले शनिवार - रविवार की रात हुई चोरी की प्राथमिकी आज तक दर्ज न किया जाना है । कोतवाली इलाके में अपराध हो ही नहीं रहे है ये साबित करने के लिए प्राथमिकी ही नहीं दर्ज करी जाती है । कोतवाली अंतर्गत आवास विकास कालोनी चौकी इलाके में तमाम चोरी की घटनायें प्रकाश में आई है जिनकी प्राथमिकी नहीं दर्ज की गयी है । चौकी प्रभारी आवास विकास कालोनी और बाराबंकी शहर कोतवाल दोनों लोग मेरे अपने घर हुई चोरी की घटना की प्राथमिकी दर्ज करने में हीला हवाली कर रहे है । कल इस घटना के सन्दर्भ में / बाराबंकी कोतवाली पुलिस के कदाचरण के संदर्भ में समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेंद्र चौधरी - विधान परिषद सदस्य से मुलाकात कर के अवगत कराऊंगा । ---- अरविन्द विद्रोही