Tuesday, October 11, 2011

समाजवादी दलों की एका ही डॉ लोहिया-जय प्रकाश नारायण को सच्ची श्रधांजलि

अरविन्द विद्रोही १२ अक्टूबर , १९६७ को समाजवाद के प्रखर प्रवक्ता , युग दृष्टा डॉ राम मनोहर लोहिया की आत्मा ने नश्वर शरीर त्याग कर दिया था | आज डॉ लोहिया स-शरीर भले ही ना हो लेकिन उनके विचार , उनका चिंतन , उनकी राष्ट्र परक , आम जन हित की सोच एक अनमोल विरासत के रूप में हमारी धरोहर के रूप में विद्यमान है | चिर सत्याग्रही , अन्याय का प्रतिकार तत्काल करने वाले क्रांति के मतवाले डॉ लोहिया समाजवादी आन्दोलन के जरिये भारतीय राजनीति से कांग्रेस की भ्रष्ट सरकारों को उखाड़ फैकने की अदम्य इक्छा शक्ति रखते थे | जयप्रकाश नारायण ने भले ही डॉ लोहिया के जीवन काल में उनकी यह इक्छा ना मानी हो लेकिन १९७७ में जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेसी सरकारों को धूल चटा कर लोहिया की बात मानी जरुर | और डॉ लोहिया तो कहते ही थे कि -- लोग मेरी बात सुनेंगे जरुर लेकिन मेरे मरने के बाद | आज ना तो गाँधी है , ना जयप्रकाश और ना ही डॉ लोहिया | आज के दौर में करतार सिंह सराभा , रास बिहारी बोस , भगत सिंह , आजाद , अशफाक , सुभाष सरीखे क्रांतिकारी भी नहीं है | आज आम जन हित चिंतन की जगह स्वयं हित चिंतन या समूह हित चिंतन को प्राथमिकता दी जा रही है | भारत की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सरकारों का चरित्र आम जन विरोधी ही साबित होता रहा है | तानाशाह सरकारों के विरुद्ध अनवरत सत्याग्रह चलाने की मंशा रखने वाले डॉ लोहिया की आत्मा को इधर कुछ सुकून तो मिला ही होगा | भ्रस्टाचार में सरोबोर सरकारों के खिलाफ आंदोलनों ने उम्मीद जगाई है | जनता में आये उबाल को बनाये रखने के डॉ लोहिया की सप्त क्रांतियो पर ध्यान देना नितांत जरुरी है |नर-नारी समानता , रंग भेदों पर आधारित विषमता की समाप्ति , जन्म तथा जाती पर आधारित असमानता का अंत , विदेशी जुल्म का खात्मा तथा विश्व सरकार का निर्माण , निजी संपत्ति से जुडी आर्थिक असमानता का नाश और संभव बराबरी की प्राप्ति , हथियारों के इस्तेमाल पर रोक और सिविल नाफ़रमानी के सिधान्त की प्रति स्थापना तथा निजी स्वतंत्रताओ पर होने वाले अतिक्रमण का मुकाबला इन सात बिन्दुओ - विचारो के लिए संघर्ष ही समाजवादियो की पहचान है | लोहिया के चित्र-जिक्र व उनके विचारो को मूर्त रूप देने में लगा व्यक्ति ही डॉ लोहिया का सच्चा शिष्य हो सकता है , समाजवादी हो सकता है अन्यथा वो रंगे सियार या पाखंडी के सिवाय कुछ नहीं कहा कहा जा सकता है | डॉ लोहिया जीवन पर्यन्त अन्याय के खिलाफ प्रतिकार करते रहे | लोकतान्त्रिक अधिकारों के सिकुड़ने के खिलाफ सड़क-सदन के अलावा डॉ लोहिया ने अदालत का भी सहारा लिया | डॉ लोहिया एक मजबूत और बराबरी का समाज बनाने के लिए जीवन पर्यन्त लगे रहे | आज डॉ लोहिया को अपना आदर्श मानने वालो , उनके विचारो का अनुसरण कर्ता स्वयं को मानने वालो को एक जुट होना चाहिए | और यह एक जुटता किस लिए हो , यह भी समझ लेना चाहिए | प्रदेश-देश दोनों जगह की राजनीति में लाठी-गोली के जरिये जनता को , जनता की आवाज को दबाने-कुचलने वालो की सरकारे है | यह सरकारे पूंजीवादी-साम्राज्यवादी ताकतों का प्रतिनिधित्व कर रही है | समाजवादी ताकतों को इन भ्रष्ट - जनविरोधी सरकारों को हटाने के लिए और ना सिर्फ हटाने के लिए वरन समाजवादी मूल्यों की , डॉ लोहिया के विचारो के अनुपालन करने वाली सरकार को बनाने के लिए एक साथ होना चाहिए | आज समाजवादी बिखरे है | सभी अपने-अपने मुगालते में है | डॉ लोहिया एक कर्म योगी थे | कर्म प्रधान , चिंतन शील व्यक्तित्व के धनी डॉ राम मनोहर लोहिया को सच्ची श्रधांजलि होगी -- समाजवादी विचार धरा के विभिन्न व्यक्तिओ व दलों का एकीकरण और समन्वय | उत्तर प्रदेश की वर्तमान राजनीति में बसपा सरकार के मुकाबिल समाजवादी पार्टी सड़क से सदन तक मजबूती से संघर्ष कर रही है | डॉ लोहिया के विचारो की पार्टी बनाने से शुरु हुआ मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफ़र तमाम उतार-चढाव के बाद आज पुनः जनता की उम्मीदों का केंद्र बिंदु बना है | समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव -सांसद एक बार पुनः क्रांति रथ यात्रा पर निकल चुके है | चार चरण की यात्रा में मिले व्यापक जन समर्थन ने सत्ताधारी बसपा को चौकन्ना व अन्य राजनीतिक दलों को अचंभित कर दिया है | समाजवादी पार्टी के युवा नेता अखिलेश यादव में सौम्यता के साथ साथ जुझारूपन का अनोखा मिश्रण देखने को मिल रहा है | डॉ लोहिया के विचारो की शिक्षा छोटे लोहिया स्व जनेश्वर मिश्र से ग्रहण करने वाले अखिलेश यादव के अन्दर जनता को आकर्षित करने की गज़ब की शक्ति देख कर बरबस लोकनायक जयप्रकाश नारायण याद आ जाते है | डॉ लोहिया के विचारो और जय प्रकाश नारायण के करिश्माई व्यक्तित्व का अनूठा मिश्रण बन के उभर रहे है अखिलेश यादव , यह समाजवादी आन्दोलन के लिए एक शुभ संकेत है | अब समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को सभी समाजवादियो को, सभी समाजवादी दलों की एका की पहल करनी चाहिए | व्यापक जनाधार वाले नेता धरतीपुत्र माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव की समाजवादी एका की पहल से , समाजवादी दलों की एका से उत्तर प्रदेश की विधान सभा २०१२ के ही नहीं वरन पुरे देश के चुनावो में समाजवादी पार्टी व सहयोगियो का परचम लहराएगा व डॉ लोहिया की समाजवादी एका के मनसूबे , आन्दोलन की मजबूती तथा समाजवादी राज्य की स्थापना का संकल्प पूरा होगा | निः संदेह यह कार्य डॉ लोहिया के विचारो की सबसे बड़ी जनाधार वाली पार्टी समाजवादी पार्टी की अगुआई व मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में ही होना संभव है और यह होना ही डॉ लोहिया-जय प्रकाश नारायण के प्रति सच्ची श्रधांजलि होगी समाजवादियो वादियो की तरफ से लोहिया - जय प्रकाश को |