Wednesday, June 29, 2011

मानवता-सौहार्द-नैतिकता-भाई चारे की शिक्षा देते संत-डॉ कल्बे सादिक

मानवता-सौहार्द-नैतिकता-भाई चारे की शिक्षा देते संत-डॉ कल्बे सादिक अरविन्द विद्रोही बाराबंकी के कर्बला में मजलिस ए गम में शामिल होने का निमंत्रण वरिष्ट पत्रकार रिजवान मुस्तफा के द्वारा मुझे प्राप्त हुआ तो अपने सामाजिक सरोकार व पत्रकारिता के धर्म का पालन करने हेतु मैं वहा पहुच गया |तक़रीबन दोपहर १२ बजे इस्लामिक - शिया धर्म गुरु डॉ कल्बे सादिक समारोह स्थल पर आये, मंच पर आते ही उन्होंने उपस्थित जनों से मुखातिब होते हुए कार्यक्रम में देरी से आने के लिए माफ़ी मांगी | आज के दौर में जहा पर लोग अपनी बड़ी गलतियो पर सामाजिक-सार्वजनिक रूप से माफ़ी नहीं मांगते है,उस दौर में एक प्रख्यात हस्ती,एक धर्म गुरु द्वारा जन सामान्य से कार्यक्रम के प्रारंभ में ना आ सकने की माफ़ी मांगना,यकीन मानिये मैं तो हतप्रभ रह गया |और तो और देर से आने की पूर्व सूचना भी धर्म गुरु डॉ कल्बे सादिक ने आयोजक रिजवान मुस्तफा को दे दी थी |उसके बाद भी माफ़ी | आह ! विनम्रता की प्रतिमूर्ति - तुझे मेरा प्रणाम , उसी पल मैंने मन ही मन उन्हें अपना अभिवादन प्रेषित किया | मुझे आभास हुआ की आज यह समारोह कुछ विशिष्ट सन्देश प्राप्ति का स्थल बनेगा | अपने संबोधन में डॉ कल्बे सादिक ने धर्म क्या है ,पर सरल व मृदु वचनों में कहा कि धर्म वो है जो आपको गलत रास्ते पर जाने से बचाए | आज धर्म को बचाने की बात होती है,कोई इन्सान धर्म कैसे बचा सकता है? धर्म तो आपको बचाने ,सही रास्ता दिखाने के लिए है | धर्म के नाम पर मतभेद ख़त्म करने की अपील करते हुए धर्म गुरु डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि आज यहाँ कर्बला में शिया - सुन्नी, हिन्दू सभी धर्म के मानने वाले मौजूद है | मैं हज़रत साहेब को मानने वालो से पूछना चाहता हूँ कि हज़रत साहेब से जंग क्या हिन्दू ने लड़ी थी? बैगैर ज्ञान के मनुष्य जानवर से भी बदतर होता है | खुदा,परमेश्वर जो भी कहिये उसने सबसे बुद्धिमान मनुष्य को बनाया है और यह मनुष्य अपने कर्मो से अपने को सबसे नीचे गिरा लेता है | ज्ञान व विज्ञानं इन्सान व इस्लाम के फायदे के लिए है | ज्ञान हासिल करना नितांत जरुरी है | कई घटनाओ का हवाला देते हुए डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि जुल्म के खिलाफ लड़ने वाला ही सच्चा मुसलमान होता है , जुल्म करने वाला मुसलमान हो ही नहीं सकता | आतंकवाद के सवाल पर धर्म गुरु डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि मैं यह जिम्मेदारी लेता हूँ कि हज़रत मोहम्मद साहेब को मानने वाला कभी भी दहशत गर्त हो ही नहीं सकता , जो दहशत गर्त हैं और जो बेगुनाहों का खून बहाते है उनसे पूछा जाये यकीनन वो जुल्मी यजीद को मानने वाले ही होंगे | मोहम्मद साहेब को मानने वाला जुल्मी हो ही नहीं सकता | बहकावे और उकसाने वाली कार्यवाहियो से बचे रहने तथा अमन चैन की पैरोकारी करने की अपील करते हुए डॉ कल्बे सादिक ने एक वाकया सुनाया | उन्होंने बताया की यह बात हज़रत साहेब के दौर की है | एक अरबी उस मस्जिद में पाहुजा जिसे खुदा की इबादत के लिए रसूल ने अपने हाथो से तामीर की थी | उस अरबी ने मस्जिद में पेशाब करना शुरु कर दिया , वहा रसूल के साथ मौजूद सेवक ने उस अरबी को रोकना चाहा,रसूल ने सेवक से कहा - जरा ठहरो , उसे कर लेने दो पेशाब | वहा गन्दगी फैला कर वह अरबी वापस चल दिया , अब रसूल ने कहा मस्जिद में जो गन्दगी इसने पेशाब करके फैलाई है , उसको पानी से धो कर साफ़ कर दो | कई बाल्टी पानी डाल डाल कर वहा सफाई करवाई खुद रसूल ने | अरबी वहा आया था खलल पैदा करने के मकसद से व मार पीट के इसदे से | रसूल के इस प्रकार के व्यव्हार से वह अरबी भी रसूल का मुरीद हो गया | यह वाकया सुना कर डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि यह है हज़रत मोहम्मद साहेब का चरित्र | इस छमा और विनम्रता की राह पर चल कर रसूल ने इस्लाम को विस्तार दिया था और आज आप मुसलमान क्या कर रहे हो ? यह सोचिये...हिन्दुओ के त्यौहार होली में रंग अगर मस्जिद की दीवारों पर पड़ जाये तो आप उत्तेजित हो जाते हो | अरे..होली का रंग तो पाक होता है, दीवारों पर चूना लगा कर दीवारों को फिर से चमका सकते हो लेकिन आप लोग तो इंसानों को चुना लगा सकते हो लेकिन मस्जिद की रंग लगी दीवारों पर चूना नहीं लगा सकते हो | इस्लाम जुल्म के खिलाफ लड़ने का , आपसी भाईचारे का , विनम्रता का सन्देश देता है | धर्मगुरु डॉ कल्बे सादिक ने मुसलमानों से कहा कि आप कि पहचान क्या है ? आज आप समाज में लम्बे कुरते , ऊँचे पायजामे , लम्बी दाढ़ी , टोपी से पहचाने जा रहे है | जिस जगह मीनारे, गुम्बद , मस्जिद होती है - लोग कहते है यहाँ मुसलमान रहते है | आज आपका बाहरी व्यक्तित्व आपकी पहचान बन चुका है | इस्लाम व मुसलमान का वास्तविक रूप सामने लाने की जरुरत है | डॉ कल्बे सादिक ने बताया कि सही मायने में मुसलमान बस्ती वो है जहा पर कोई मांगने वाला ना हो सब देने वाले हो | मस्जिद खुदा का घर होता है | वह पाक जमीन पर बननी चाहिए | किसी दुसरे की जमीन पर जुल्म जबरदस्ती के जोर से मस्जिद बनाने से वो खुदा का घर नहीं हो जाता | जुल्मी शासक लोग धर्म का इस्तेमाल अपने गुनाहों और जुल्मो को छिपाने के लिए धर्म का बेजा इस्तेमाल करते रहे है | ऐसे जुल्मी कभी भी खुदा के बन्दे नहीं हो सकते | जनाब डॉ कल्बे सादिक ने इस पर भी एक वाकया सुनाया | उन्होंने कहा कि अगर एक जरुरत मंद का मकान बनवा दिया जाये तो खुदा उसको अपना आशियाना मानता है | जरुरतमंदो की मदद करना खुदा के बताये राह पर चलना है | नेक कामों से इस्लाम का विस्तार हुआ , आज नेकी की राह पर सभी को चलने की जरुरत है | समाज में और विशेष कर मुसलमानों में शिक्षा की कमी पर धर्म गुरु डॉ कल्बे सादिक ने बार बार चिंता व्यक्त की | उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद् के नेता प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा है कि हर मस्जिद के बगल में मंदिर बनाया जायेगा, मैं उनसे अनुरोध करता हूँ कि वे हर मस्जिद के बगल में विद्या मंदिर की स्थापना जरुर करवा दे | जिससे हिन्दुओ के साथ साथ मुसलमान बच्चे भी शिक्षा ग्रहण करे और ज्ञान कि रौशनी में भारत की तरक्की में अपना योगदान करे | अंत में अपनी वाणी को विराम देने के पहले इस्लामिक शिया धर्म गुरु डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि बैगैर ज्ञान के इन्सान व देश - समाज की तरक्की नामुमकिन है | इसलिए ज्ञान हासिल कीजिये | समापन के अवसर पर कर्बला की जंग के वाकये को याद करते व दिलाते हुए धर्म गुरु ने सवाल किया कि यह जंग क्या हिन्दुओ से लड़ी गयी थी ? अरे ..वो यजीद और उसके लोग थे,और वो भी पांचो वक़्त के नमाज़ी ही थे ..जिन्होंने रसूल के नवासे को प्यासा ही मार डाला था | यह बात जन समुदाय को उद्वेलित कर गयी | लोगो की सिसकियाँ रुदन में तब्दील हो चुकी थी , इसी समय डॉ कल्बे सादिक ने कहा कि खुदा ना करे कभी ऐसा हो, लेकिन अगर कही फसाद हो जाये और आप मुसलमान किसी हिन्दू बस्ती में अपने परिवार व बच्चो के साथ पीने का पानी मांगोगे तो यह मेरा यकीन है कि हिन्दू फसाद भूल कर आपको अपने घर में पनाह देंगे, पानी - खाना देंगे , लेकिन इतिहास गवाह है कि उन यजीद के मानने वालो ने प्यासा ही मार डाला था | कर्बला का वह दर्दनाक मंज़र सुनकर रुदन कर रहे जन समुदाय का ह्रदय जुल्म के खिलाफ लड़कर शहीद हुए कर्बला के वीरो को अपने श्रधा सुमन अर्पित करने लगा था | इन्सान मात्र से प्रेम ,शिक्षा ग्रहण करने की सलाह , जरुरत मंदों की मादा , अन्याय - जुल्म से लड़ने की सीख़ देते हुए इस्लामिक शिया धर्म गुरु डॉ कल्बे सादिक ने अपनी वाणी को विराम दिया |

Sunday, June 26, 2011

अधिग्रहित कृषि भूमि किसानों के नाम भू अभिलेखों में वापस दर्ज हो


अधिग्रहित कृषि भूमि किसानों के नाम भू अभिलेखों में वापस दर्ज हो अरविन्द विद्रोही हमको अपना सामाजिक कर्त्तव्य किस प्रकार निभाना चाहिए और हमारे सामाजिक कर्त्तव्य क्या है ?कौन सा काम किया जाय और किस प्रकार किया जाय की वो समाज के लिए सार्थक व उपयोगी सिद्ध हो,यह प्रश्न मेरे जेहन में वर्षों से कौंधता रहता था | अपनी आत्म संतुस्ती के लिए कुछ सामाजिक काम किये,कुछ के आयोजन में सहभागिता की और अपनी इन चंद उपलब्धियो पर निश्चित तौर पर मानवोचित कमजोरी का शिकार होकर आत्म मुग्धता शिकार भी हुआ | हमारा सामाजिक सरोकार ,इसका उत्तर तलाशते तलाशते कई सवालों के चक्र व्युव्ह में मैंने अपने को घिरा पाया | पता नहीं कितने लोगो ने मुझसे कहा की पहले अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारी,उनके लिए अच्छा भोजन व सुख-सुविधा का प्रबंध करिए तब समाज की सोचिये | पहले अपनी व अपने परिजनों की फिक्र करिए ,अपने तरक्की की सोचिये फिर किसी की मदद की सोचिये | इन बातो ने हमको भौचक्का कर दिया | अमूमन हम बहस नहीं करते सिर्फ सुनते है और सामने वाले के कथन में सत्य वचन को ग्रहण करने की चेष्टा करते है लेकिन जब भी कोई यह बात हमसे कहता है तब हम जम कर बहस करते है | हमको तो यही समझ में आया है कि अपना काम तो सभी करते ही है, लेकिन समाज के कामों को चन्द लोग | अगर यह चन्द लोग भी सिर्फ पारिवारिक दायित्व के निर्वाहन मात्र व समाज में सर्व व्यापी हो चुके पूंजीवाद के फेर में पड़ जाय तो क्या होगा? अभी विगत वर्षो में मुझे सामाजिक कर्त्तव्य निर्वाहन की एक सार्थक दिशा मिली | जनपद बाराबंकी की तहसील फतेहपुर के रामनगर मार्ग पर पचघरा के किसानों की बेश कीमती कृषि भूमि के मनमाने अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष रत किसानों से ,उनकी समस्या से जुड़ना हुआ | बड़ी दुविधा और असमंजस की परिस्थितिओ में फंसे पचघरा के ये किसान अपनी बेश कीमती कृषि भूमि को उप मंडी के निर्माण के लिए अधिग्रहित कर लिए जाने से टूट कर बिखर से गये थे | वर्षो के आन्दोलन और संघर्ष के बाद पचघरा के इन किसानों को उनके ही किसान नेतृत्व ने प्रशासनिक दबाव व मिलीभगत के चलते धोखा भी दिया ,अपनी भूमि के मनमाने अधिग्रहण से बेजार पचघरा के किसान अपने नेता के दगाबाजी से भूमि से बेदखल किये जाने की आशंका से भयाक्रांत हो गये | प्रशासनिक अमले के साथ मिल कर उस भ्रष्ट किसान नेता ने जबरन सहमति पत्र पर किसानों के हस्ताक्षर करवाने की पुरजौर कोशिस की | यह कुत्सित प्रयास पचघरा के किसानों ने अपने आत्मबल के बूते विफल किया और इसी संकट की घडी में किसानों के बीच से ही एक किसान जिसकी अपनी भूमि भी अधिग्रहित की गयी है उसने अंगद की तरह अपना पाँव जमा दिया | पुराने संगठन से तत्काल इस्तीफा देकर पचघरा के साहसी किसानों ने अपना संगठन पचघरा भूमि अधिग्रहण विरोधी मोर्चा गठित कर के अपने हक के लिए लड़ना जारी रखा | मोर्चा के मुखिया का दायित्व ख़ुशी राम लोधी राजपूत को और संरक्षण का दायित्व फतेहपुर के वरिष्ट अधिवक्ता यादवेंद्र प्रताप सिंह यादव को सौपा गया | पचघरा के किसानों के इस संगठन ने अपनी हर बैठक में आने और खबर लिखने का दायित्व हमको दिया | भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष कर रहे किसानों ने अपनी भूमि को अधिग्रहण से मुक्ति और भू अभिलेखों में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए अपनी बात हर स्तर के अधिकारी व समस्त राजनितिक दलों तक पहुचाई है | पचघरा के इन किसानों ने विभिन्न क्रान्तिकारियो के जन्मदिन व बलिदान दिवस पर बैठक आयोजित करना शुरु कर दिया | मशहूर धन्नाग तीर्थ के विकास के लिए पैदल यात्रा पे निकले यात्रिओं का स्वागत डॉ भीम राव अम्बेडकर स्मृति पार्क-पचघरा में करके वही पर सभा करवाने तथा रात्रि विश्राम महादेव तालाब मंदिर परिसर में करवाने का सराहनिए काम इन किसानों ने किया | रात्रि भोजन व प्रातः जल पान की व्यवस्था भी पचघरा भूमि अधिग्रहण विरोधी मोर्चा ने किया | आज पचघरा के ये किसान अपने हक की व्यक्तिगत लड़ाई लड़ते लड़ते सामाजिक स्तर पर सबसे जुड़ते चले जा रहे है| खेती किसानी के दुष्कर काम को करने के साथ ही साथ पचघरा के किसान स्थानीय मुद्दों पर अपने विचार प्रकट करने लगे है | अभी १८ जून को जब फतेहपुर के समस्त पत्रकार मुंबई के दिवंगत पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या की सी बी आई जाँच और अन्य मांगो को लेकर काला दिवस मानाने और ज्ञापन देने के लिए तहसील परिसर में एकत्र हुए तब पचघरा के किसानों ने तहसील परिसर में आ कर पत्रकारों का साथ दिया | २४जुने को अपनी बैठक में पुनः जे डे की याद में इन किसानों ने २ मिनट का मौन रखा | पुरे प्रदेश-देश में कृषि भूमि के अधिग्रहण ने भयावह हालत उत्पन्न कर दिया है | किसानों के हक की लड़ाई में साथ देने की जगह राजनेता किसानों की दुर्दशा व मौतों पर अपना स्वार्थ सिद्ध करने हेतु नाना प्रकार की नौटंकी कर रहे है | इन राजनेताओ के कदाचरण व भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालो को शासन सत्ता अपने जुल्म से दबाने का प्रयास कर रही है | एक तरफ सत्ता की दबंगई और दूसरी तरफ राज्नेअताओ की नौटंकी,आम आदमी एक ज्वालामुखी की तरह सुलग रहा है | तमाम जगह के किसानों की तरह पचघरा के किसान आज भी सत्याग्रह पर है ,आंदोलित है | अन्ना हजारे और बाबा रामदेव दोनों के अनशन पर पचघरा भूमि अधिग्रहण विरोधी मोर्चा के संरक्षक यादवेन्द्र प्रताप सिंह यादव ने साथियो के साथ सहभागिता की है | आज पचघरा का किसान आन्दोलन स्वामी अग्निवेश की भी जानकारी में आ चुका है | पचघरा के किसानों के साथ उनकी भावना है | आन्दोलन के किसी वक़्त वो सहभागिता करेंगे यह उन्होंने कहा है | स्वामी अग्निवेश ने मुझसे मुलाकात के दौरान कहा कि लोकशक्ति को एकत्र करना जारी रखना ही सामाजिक कार्यकर्ताओ का काम है| यह बात मेरे मन में समां चुकी है | पचघरा के किसान अपनी शक्ति के बूते अपनी अधिग्रहित भूमि अपने नाम वापस दर्ज करवाने के लिए प्रयास रत है,लोग साथ डे रहे है | जिनकी दलाली व कुत्षित षड़यंत्र के मनसूबे विफल हो गये थे वो अब विकास का राग अधिकारिओ के सामने आलाप रहे है,यह वही है जिन्होंने इसी भूमि के अशिग्रहण को वापस लेने की मांग के समर्थन में जमकर राजनीती चमकाई है | किसानों के हक के लिए म़र मिटने की बात सभाओ में की और अब सौदेबाज़ी कर के किसानों को विभाजित कर मुआवजा दिलाने में रात दिन एक किये है | एक बात और क्या कोई ऐसा है जो विकास ना चाहता हो ? हा ,यह अवश्य है की आम जनता - किसान की बलिवेदी पर कोई भी कंक्रीट की ईमारत विकास की परिचायक नहीं हो सकती , यह मानने वाले किसानों की कृषि भूमि का अधिग्रहण समाप्त करने की बात कहते है | यह दुर्भाग्य पूर्ण विडम्बना है कि जब तक कोई मजलूम , किसान आत्म हत्या नहीं कर लेता या सरकारी दमन का शिकार नहीं हो जाता तब तक उसकी हक कि बात कहने तो दूर की बात है, उनकी बात सुनने के लिए भी आज के भांड सरीखे नौटंकी बाज़ नेता आते नहीं है ना ही उनके चाटुकार | संभवता यह नौटंकी बाज़ नेता किसानों की मौत का इंतज़ार करते है जिससे वो सत्ता धारी दल को कठघरे में खड़ा कर के अपना वोट बैंक बढ़ा सके |

Friday, June 17, 2011

डॉ लोहिया की सोच -गंगा - स्वामी निगमानंद का बलिदान

डॉ लोहिया की सोच -गंगा - स्वामी निगमानंद का बलिदान अरविन्द विद्रोही डॉ राम मनोहर लोहिया सिर्फ एक व्यक्ति का नाम नहीं एक सम्पूर्ण आन्दोलन है | समाज-देश के हर पहलु पर सजग नज़र व सटीक - प्रखर - सार्थक विचार रखने वाले युग दृष्टा डॉ लोहिया भारत की राजनीति में कमज़ोर तबके के अमिट हस्ताक्षर है | डॉ लोहिया का साफ़ कहना था कि मैं आस्तिक नहीं हूँ लेकिन नदिया हमारे जीवन से जुडी है,इसलिए इनके बदहाली पर चिंतित हूँ | २४ फरवरी ,१९५८ को बनारस में दिये गये अपने भाषण में डॉ लोहिया ने नदियो के महत्व व हमारे कर्त्तव्य को विस्तार पूर्वक समझाया था | यह बात डॉ लोहिया जगह जगह बताते थे | डॉ लोहिया ने अपने सारगर्भित भाषण में कहा था --- विशेष संस्कृति व जलवायु के कारण भारत में राम कि अयोध्या सरयू के किनारे, कुरु-पंचाल - मौर्या और गुप्त गंगा नदी के किनारे , मुग़ल व सौर्शेनी नगर और राजधानिया यमुना के किनारे रही | इन नदियो में स्वाभाविक रूप से साल भर पानी रहता था | डॉ लोहिया ने बताया कि एक बार वे महेश्वर गये, महेश्वर वह स्थान है जहा अहिल्या अपनी शक्ति से गद्दी से बैठी थी | उस जगह पर तैनात एक संतरी ने डॉ लोहिया से पूछा था कि तुम किस नदी के हो? डॉ राम मनोहर लोहिया के शब्दों में --- यह दिल में घर कर जाने वाली बात है | उसने शहर नहीं पूछा , भाषा भी नहीं पूछी, नदी पूछी| जितने साम्राज्य बढे,किसी ना किसी नदी के किनारे बढे ..चोल कावेरी के किनारे,पांड्या वैगई के और पल्लव पालार के | उस समय आज से लगभग ५२ वर्ष पहले डॉ लोहिया ने प्रश्न उठाया था कि क्या हिंदुस्तान कि नदियो को साफ़ रखने का और साफ़ करने का आन्दोलन उठाया जाय? हिंदुस्तान की करोडो जनता का मन और क्रीड़ायें इन नदियो से बंधे है| नदिया है कैसी ? शहरो का गन्दा पानी इनमे गिराया जाता है| बनारस के पहले के जो शहर है,इलाहाबाद,मिर्ज़ापुर,कानपूर इनका मैला कितना मिलाया जाता है इन नदियो में ? कारखानों का गन्दा पानी नदी में गिराया जाता है- कानपूर में चमड़े आदि का गन्दा पानी | यह दोनों गन्दगी मिल कर क्या हालत बनाती है? यह थे उसी समय नदियो के हालत और युग दृष्टा डॉ लोहिया ने उस समय कटाक्ष भी किया था धर्म के गुरुओ पर कि,--- आज मैं आपसे एक बात ऐसी करूँगा जिसे धर्म के गुरुं को करनी चाहिए,लेकिन वे नहीं कर रहे और वह बात है नदियो को साफ़ करो| आह समाजवादी विचारक युग दृष्टा डॉ लोहिया आज आप नहीं हो हमारे बीच श-शरीर और नदी क्या कहू जीवन दायिनी गंगा की सफाई की आपकी पुरानी मांग पर सत्याग्रह कर रहा भारत भूमि का एक संन्यासी स्वामी निगमानंद गंगा के आस पास खनन रोकने की हसरत ह्रदय में समेटे चिर निद्रा में सो गया | सरकारों का घोर जनविरोधी - स्वार्थी व पूंजीवादी मानसिकता सत्याग्रहियो को गरियाने, धमकियाने , लतियाने तक ही नहीं रुका| सत्याग्रही स्वामी निगम नन्द का गंगा को बचाने हेतु हुई मौत सरकारों की निर्दयता का परिचायक है | ब्रह्म-लीन स्वामी निगमानंद का संकल्प अब आम जन का संकल्प कैसे बने ? क्या चाहते थे स्वामी निगमानंद ? सिर्फ यही ना कि जीवन दायनी पतित पावनी माँ गंगा में प्रदूषित जल व सामग्री-कचरा ना प्रवाहित हो| क्या दिक्कत थी शासन-प्रशासन को यह वाजिब मांग पूरी करने में? खैर शासन - प्रशासन में काबिज भ्रष्ट तंत्र के वाहक तो भारत की आत्मा, भारत की ग्राम्य व्यवस्था तथा भारत के जल-जंगल-जमीन पर पूंजीवादियो-साम्राज्यवादियो के दबाव-प्रलोभन में अनवरत कुठारा- घात कर ही रहा है, अब मनन तो यह करना होगा की आम जन क्या करे और कैसे करे ? डॉ राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि हिंदुस्तान कि नदियो कि योजना बननी चाहिए,इसके लिए आन्दोलन होना चाहिए,ऐसे आन्दोलन का मैं साथ दूंगा| आज गंगा की निर्मल धारा के लिए स्वामी निगमानंद के बलिदान के उपरांत गंगा सहित सभी नदियो में कचरा बहाने वाले , गंगा में गंदगी करने वाले सभी कारखानों की बंदी का आन्दोलन धार्मिक गुरुओ, साधू-संतो के साथ साथ प्रत्येक उस नागरिक को करना चाहिए जो गंगा को सिर्फ नदी ही नहीं माँ स्वरूपा मानता है | समाजवादी विचारक डॉ लोहिया के ही शब्दों में --- मैं चाहता हूँ कि इस काम में ,ना केवल सोशलिस्ट पार्टी के , बल्कि और लोग भी आयें ,सभा करे, जुलुस निकले, सम्मेलन करे और सरकार से कहें कि नदियो के पानी को भ्रष्ट करना बंद करो | क्या डॉ लोहिया के कथन के ५२ वर्ष बाद बदतर हो चुके हालत और स्वामी निगमानंद के अमर बलिदान के बाद भी सरकार नहीं चेतेगी?

Tuesday, June 14, 2011

दुनियॉं

घिर गये गम के बादळ
रूठ गयी हमसे खुशियॉं,
जाने हमसे क्या खता हुई
उजइ गयी हमारी दुनियॉं।
ऐसा क्या जळजळा उठा
घिर आयी काळी घटा (जीवन मे),
अपनो ने मुह मोइ ळिया
सपनो मे आना छोइ दिया।
टूट गये सारे रिश्ते
बढ गयी ये दूरियॉं,
न जाने ऐसी क्या वजह हुई
सुनसान हुई हमारी गळियॉ।
दिल दर्द से तइप उठा
जीवन अंधेरो मे घटा (बीता),
तकळीफो ने घेर ळिया
उम्मीदो ने दामन छोइ दिया।
घिर गये गम के बादळ
रूठ गयी हमसे खुशियॉं,
जाने हमसे क्या खता हुई
उजइ गयी हमारी दुनियॉं। by Vinay mohan Joshi

भारत के हालत की जिम्मेदार सरकारे और जनविरोधी सोच


अरविन्द विद्रोही आज के हालत का जिम्मेदार कौन है? अगर भारत में कोई भूख से मरता है तो क्या सरकार जिम्मेदार नहीं है? किसानों की भूमि,मजदूर की मजदूरी हड़पने वाला तंत्र कब तक शोषण की बुनियाद पे टिका रहेगा? अफ़सोस तो यह भी होता है कि यहाँ अपने वतन में बहुत से लोगो के पास पहनने को कपडे नहीं है ,खाने को रोटी नहीं है,और दूसरी तरफ कुछ पूंजीवादी शोषक तंत्र के वाहक अपना तन दिखाने वाले कपडे महंगे दामो में खरीद कर प्रदर्शन करते है,पालतू कुत्तो को बिस्कुट खिलाते है|वाह रे भारत को विकास के पथ पर ६३ वर्षो में ले जाने वाली सरकार............................. अरे माँ भारती आप भी व्यथित हो गयी? अपने एक सपूत के कष्टों को देख कर ,अरे माँ तेरी कोख तो सदा सदा से वीरो और बलिदानियो को जन्म देती रही है| क्या आम जनों पर अत्याचार से तेरा भी ह्रदय द्रवित हो गया , कलेजा फटा जा रहा है माँ तेरा भी ? हजारो वर्षो की गुलामी के पश्चात् आजादी के इन ६४ वर्षो में ही अपनी ही संतानों के द्वारा अपने ही धरा के बंधु-बांधवो पर ढाए गये जुल्म व किये गये शोषण का लहराता पचम तेरे मन को अशांत कर गया है क्या? माँ भारती निवेदन है तेरे इस पुत्र का मन को शांत कर लीजिये| आपका अशांत मन इस धरा पर बड़ा ही प्रलयंकारी होगा| एक बात कहू माँ, जरा अपनी जुल्मी संतानों के प्रति प्रेम व अनुराग का त्याग मात्र कर दो,अब शोषण - अत्याचार- अनाचार के शिकार अपनी मेहनत संतानों की सुधि लो | तू वीरो की जननी, श्रेष्ट पथ-प्रदर्शको की जननी बस अपने व्यथित मन को सहेज कर अपनी भटकी भ्रष्ट संतानों को चेता तो दो| अब अपनी मेहनत-कश संतानों में हौसिला भर दो माँ भारती| हजारो-हज़ार साल की गुलामी के कारण अभी तेरी संताने गुलामी की,दासता की दंश से अभी भी उभर नहीं पाई है| भारत भूमि के किसान-मजदूर-नौजवान में जुल्म-शोषण-अत्याचार के खिलाफ लड़ने की नव शक्ति का संचार कर, अपने स्वाभिमान के लिए,अपने अधिकार के लिए मर मिटने की भावना का नूतन प्रवाह कर दो| ब्रितानिया हुकूमत के दौरान जुल्म का हर संभव तरीके से प्रतिकार कर तेरी बेडीयां काटने वाली संतानों की आत्मा भी आज द्रवित होगी माते | महात्मा गाँधी के नश्वर शरीर से आत्मा को हरने का काम तो सिर्फ एक बार नाथू-राम गोडसे ने किया लेकिन गाँधी के विचारो की निर्ममता पूर्वक प्रति-पल हत्या करने का काम करने का काम आजाद भारत की भ्रस्टाचार हितैषी जनविरोधी सरकार कर रही है| महात्मा गाँधी ने चरखे की अवधारणा को मूर्त रूप देते समय यह कदापि नहीं सोचा होगा कि सादगी व आम जन के द्वारा,आम जन के लिए सिर्फ वस्त्र नहीं विचार का प्रतीक खादी भ्रष्ट नेताओ का,ऐश्वर्या-भोग-विलासता -समृद्धि का लिबास बन जायेगा| आज खादी आम जन से दूर हो कर भ्रष्ट तंत्र के वाहको का गाँधी कवच बन चुका है| खादी का व्यापार गाँधी के चरघे कि अवधारणा को समाप्त कर चुका है| महात्मा गाँधी के अनन्य अनुयायी समाजवादी नेता-विचारक डॉ राम मनोहर लोहिया ने इस परिस्थिति को भांप कर ही चरखे की जगह किसान के फावड़े कि प्राथमिकता कि बात करते थे| चरघे की जगह फावड़ा को रखने की बात करने वाले डॉ लोहिया का कहना व मानना था कि चरखा भारत के आम जन के लिए उतना प्रासंगिक नहीं है जितना कि फावड़ा | खेती में ,नहर बनाने में, सिचाई के काम में, हदबंदी में,भूमि खोदने या समतल करने में,इमारतो को बनाने में,सड़क बनाने में, खेती- किसानी - मजदूरी से लेकर विकास के हर काम में फावड़ा उपयोगी है,यह भारत के हर व्यक्ति के जीवन में काम आने वाला औजार है| महात्मा गाँधी के ग्राम्य विकास कि बलि चढाने वाली सरकार किसानों की बदहाली,मजदूरों की दयनीय दशा और युवाओ की बेकारी की जिम्मेदार नहीं है तो और कौन है?
कृषि भूमि के अधिग्रहण ने अन्न-दाता किसान और भारत के ग्राम्य व्यवस्था के चिंतको की नीद हराम कर दी है|विदेशो से काले धन की वापसी की मुहीम के साथ साथ कृषि भूमि का अधिग्रहण सरीखे तमाम जनविरोधी कानों समाप्त किये जाने से ही देश-समाज विकास के मार्ग पर चल सकेगा| जगह जगह आम जनों पर पुलिसिया गुंडागर्दी का जो नज़ारा देखने को मिल रहा है, बाबा रामदेव व सत्याग्रहियो पर निर्मम अत्याचार देखने को मिला , वो सरकारों का जुल्म ही है| भारत की कांग्रेस सरकार तिलक-गाँधी के स्वराज्य के मूल मंत्र व भाव पर यह जो लगातार कुठाराघात करती चली आ रही है , वो भारत भूमि के बलिदानियो की आत्मा को लहूलुहान कर रही है | भारत एक लोकतान्त्रिक देश है| लोकतंत्र में सत्ताधारी दल को गफलत में नहीं पड़ना चाहिए| यह भी सत्य है कि चुनावो में सत्ता के बेजा इस्तेमाल व धन के अँधाधुंध वितरण से मतदाताओ को लोभ-लालच में डाल कर परिणाम अपने पक्ष में करने में इनको महारत हासिल है परन्तु आज पुनः एक बार भारत की तरुनाई,भारत का किसान,मजदूर, आम आदमी ,घर का बज़ट बेतहाशा बढती महंगाई से परेशान महिला शक्ति के दिलो-दिमाग में सरकार के द्वारा दी जा रही चोट से मन में आग लग चुकी है| लोगो के दिलो में लगी यह आग जुल्मी सरकार को ख़त्म कर के एक जनहित की सरकार को कायम करने की सोच में बदल चुकी है |

Friday, June 10, 2011

जुल्म -अन्याय की खिलाफत मानव का पुनीत कर्त्तव्य


अरविन्द विद्रोही लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से निर्वाचित सरकार जब अपने देश-समाज के प्रति कर्त्तव्य पथ से विमुख होती है तब सत्याग्रह ,सविनय अवज्ञा , बहिष्कार, जन चेतना, और आम चुनावो में जुल्मी सरकारों की पराजय सुनिश्चित करने के लिए अपना जीवन लगाना यह सजग नागरिको व देश के नागरिक प्रहरियो का पुनीत कर्त्तव्य है| कुछ लोग भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ लड़ाई पे,उसको लड़ने वालो पे, लड़ाई के तरीको पे सवालिया निशान लगाते है,और इस प्रकार के सवाल हर युग में जुल्मी सल्तनत के खिलाफ लड़ने वालो के ऊपर लगाये जाते रहे है| जुल्म की खिलाफत करने की जगह कायरो की तरह सिसकने वाले नपुन्सको तुम क्या जानो जुल्म की खिलाफत करने वालो के इरादे| क्रांति की राह पे चलने वाले अपने भविष्य की चिंता नहीं करते वो तो सिर्फ अपनी जन्म-भूमि और आम जन के लिए अपनी जान दे भी सकते है और जुल्मी की जान ले भी सकते है|अराजकता की बात करते हो तुम कायरो? यह जो भ्रष्ट तंत्र के वाहको व निरंकुश सरकारों का गठबंधन व्यापक अराजकता फैलाये है ये तुम्हे नहीं दिखाई देती? जनता की मेहनत की कमाई लूटने वालो की खिलाफत करने से अराजकता फैलती है तो फैलनी ही चाहिए| कब तक हमको भ्रष्ट तंत्र की चक्की में पीसोगे? तोडना ही होगा यह भ्रष्ट तंत्र,हर संभव तरीके से,और जब यह बात किसी मतवाले के जेहन में समां जाती है तो जुल्मी शासक वर्ग उसको पागल और देश में अराजकता फ़ैलाने वाला साबित करने में जुट जाता है| लेकिन क्या जुल्मी हुकूमत आज तक इन मतवालों के कदम रोक सकी है जो अब रोक लेगी? ब्रितानिया हुकूमत की गुलामी से मुक्ति के मतवाले बलिदानियो की,क्रांति पथ के सेनानियो की,महात्मा गाँधी की सारी मेहनत पर पानी फेरने का दुष्कर्म आजाद भारत में लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से चयनित सरकार कर रही है| आजादी मिलने के तुरंत बाद महात्मा गाँधी ने सत्ता के उच्च पदों पे बैठे लोगो के भ्रस्टाचार के सम्बन्ध में चेतावनी दी थी| डॉ राम मनोहर लोहिया और मधु लिमये संसद में भी भ्रस्टाचार के मामले उठाते रहते थे| जयप्रकाश का आन्दोलन आज भी नजीर है| जवाहर लाल नेहरु के प्रधान मंत्रित्व काल में सत्ता की कोख में पल्लवित-पोषित भ्रस्टाचार भारत में आज आम नागरिको की नसों में रक्त बन कर प्रवाहित हो रहा है | भ्रस्टाचार की खिलाफत करने वालो को सत्ता मद में चूर,भ्रस्टाचार में सरोबौर , साम्राज्य वादी निरंकुश सरकारे पुलिसिया दमन की बदोलत कुचलने की कुचेष्टा में अपना सर्वस्व लगा रही है | पूंजीवाद का घिनौना तांडव भारत के आम नागरिक के प्रति दिन के जीवन का उपहास उडाता है और आम नागरिक मन मसोस कर अपनी किस्मत का रोना रो रहा है| कुछ लोग कहते है कि भारत विकास के पथ पर अग्रसर है,अरे जरा वातानुकूलित गाडियो से निकल के किसी सवारी गाड़ी की यात्रा तो कर के देखो,माल में राशन खरीदने वालो कभी राशन की दुकान से राशन लेने का कष्ट तो उठाओ,कभी सरकारी अस्पताल में पर्ची कटा के इलाज तो करवाओ,अपने बच्चो को सरकारी विद्यालय में पढ़ा के काबिल बनाओ,,क्या हिम्मत जुटा पाओगे भारत की आम जनता किसान और मजदूर की तरह जिंदगी जीने की कल्पना मात्र करने का? नहीं ना,अब अपने मेहनत का दंभ ना भरो ना ही काबिलियत का दावा करो| यह जो मेहनत कसो की मेहनत लूट के उनके अरमानो की चिता पे अपनी अट्टालिकाएं बना ली है तुम पूंजीपतियो ने, यह तुम्हारे द्वारा किये गये शोषण और बेईमानी की मिसाल है| सरकारों की अराजकता ,सरकारी कर्मिओ का भ्रस्टाचार और मनमाना-पन देखना हो तो कभी किसी लेखपाल से खतौनी बनवा के देखो,किसी थाने में अपने साथ हुई किसी घटना की रिपोर्ट दर्ज करा के देखो| मत ले जाना किसी प्रभावी व्यक्ति को , जरा जा के देखो एक आम नागरिक के रूप में| शोषण का वो नज़रिया देखोगे कि अगर आत्मा होगी तो लहू लुहान हो जाएगी और क्या कहू ? यहाँ तो अब वो व्यवस्था है कि जो सरकारी तंत्र के लूट की खिलाफत करे उसी पर सरकारी काम में बाधा का आपराधिक कृत्य अभियोग दर्ज हो जाता है,सोचो क्या आम जनता को लूटना अब मान्यता प्राप्त सरकारी काम हो गया है ? भ्रष्ट राजनेता-अपराधी-भ्रष्ट नौकरशाहों का काकस भारत के आम जन मानस के अधिकारों को,उनके स्वाभिमान को अपनी सत्ता की ताकत व अवैध अकूत सम्पदा के दम पे रौंदने का काम बदस्तूर जारी रखे है | इन भ्रष्ट तंत्र के वाहको व जनता का शोषण करने वालो के खिलाफ जन चेतना का काम करने वालो पर, आत्म सम्मान-स्वाभिमान का भाव जगाने , आत्म-रक्षा का बल पैदा करने वालो पर कांग्रेस की केंद्र सरकार का अत्याचार भारत के सुलगते मन को ज्वालामुखी बनाने का काम कर रहा है| और यह पूंजीवादी व्यवस्था की पोषक,निरंकुश भ्रष्टाचारियो की हितैषी कांग्रेस सरकार लोकतंत्र के नाम पर एक परिवार के इशारे पर नाचने वाली कठपुतली सरकार भ्रष्टाचारियो पर कार्यवाही की बजाय सत्याग्रहियो को लठिया कर जनतंत्र में जन की आवाज को दबाकर आखिर लोकतंत्र को किस खाई में धकेलना चाहती है ? आज हमारे देश की जो हालत है,किसान अपनी कृषि भूमि को बचाने के लिए जान दे रहा है, सरकारी नौकरियो में पैसे का चलन ,हर जगह लोलुपता ,यह जो सरकारी अराजकता है इसका शिकार आम नागरिक बदस्तूर हो रहा है,अब सरकारी तंत्र की मनमानी और अराजकता की खिलाफत करने से अगर अराजकता फैलने की बात होती है , वो भी सरकारी तंत्र द्वारा तो यह तो वो कहेंगे ही| शायद लोग भूल रहे है की जनता के लिए कानून तोड़ कर ही गाँधी महात्मा बना,भगत सिंह सरीखे युवा क्रांति की मिसाल बने, रासबिहारी बोष ने आजाद हिंद फौज बनाई और सुभाष बाबु ने उसकी कमान संभाली| आजाद भारत में जनता के लिए डॉ लोहिया धारा १४४ तोड़ने के कारण कई बार जेल गये | जन विरोधी काले कानून समाप्त होने चाहिए |भ्रष्टाचार ख़त्म होना चाहिए | क्या दिक्कत है? दिक्कत है कि कोई अपने खिलाफ कार्यवाही कैसे कर सकता है? आम नागरिको को उनके अधिकारों और देश - समाज के प्रति कर्त्तव्य के प्रति जागृत करना,अधिकार प्राप्ति के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देना भारत के नव निर्माण व समता मूलक समाजवादी समाज की स्थापना के लिए किया जाने वाला देश भक्ति पूर्ण कृत्य है| यही शाश्वत सत्य है कि मानव जाति को किसी पर भी अत्याचार करने का अधिकार नहीं है और जो भी व्यक्ति, शासक या शासन सत्ता अत्याचार करती है उसका प्रतिकार करना वीरोचित-न्यायोचित धर्म है|

Wednesday, June 8, 2011

निरंकुश सरकारों के खिलाफ सत्याग्रह व संघर्ष


अरविन्द विद्रोही अब वो समय आ गया है की युवा वर्ग को अपना ध्यान आम जनता के बीच सरकार की निरंकुशता के खिलाफ जागृति पैदा करने में देना होगा| बेईमानो की हितैषी, जनविरोधी, निरंकुश सरकार और जनरल डायर के माफिक आचरण कर रहे लोगो को सबक सिखाने के लिए हमें ही आगे आना होगा| अभी ४ जून की रात को दिल्ली के राम लीला मैदान में मानवता को शर्म सार करने वाला, लोकतंत्र पे कुठारा घात करने सरीखा दुष्कर्म भारत की राजनीति को गहरे अंधे खड्ड में धकेलने वाला बर्बर कृत्य तथा-कथित ईमानदार मनमोहन सिंह की अगुआई व सोनिया गाँधी की रहनुमाई में चल रही निरंकुश-गैर जिम्मेदार-जन विरोधी सरकार की गुलाम पुलिस बल ने अंजाम दिया है| राम लीला मैदान में भारत की सत्तासीन कांग्रेस सरकार ने दरिन्दिगी में मानो गुलाम भारत की शासक रही ब्रितानिया हुकूमत को परस्त करने का मन बना लिया था| लोकतंत्र को भद्दा मजाक बना चुकी कांग्रेस को शायद विस्मृत हो चुका है कि ब्रितानिया हुकूमत ने जांलियावाला बाग में १३ अप्रैल ,१९१९ को जो दरिन्दिगी दिखाई थी,उसका प्रतिकार क्रांति के मतवालों ने लिया था| जालिया वाला बाग़ की अमानवीय घटना के बाद भारतीय युवा वर्ग आक्रोशित हुआ था | भगत सिंह ,उधम सिंह सरीखे तमाम किशोर वहा की माटी माथे पे लगा के बोतलों में भर के, ब्रितानिया हुकूमत कि दबंगई का प्रतिकार लेने की सौगंध खा के घर लौटे थे | १२ वर्षीय उधम सिंह इस अमानविए घटना के चश्मदीद गवाह थे | हृदय में प्रतिशोध कि ज्वाला लिए उधम सिंह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गये | आखिरकार १३ मार्च, १९४० को रक्त पिपासु गवर्नर मुकल ओडायर जिसने जांलियावाला बाग में बर्बर कार्यवाही का आदेश जनरल डायेर को दिया था ,को एक के बाद एक ५ गोलिओं से भून कर पंजाब केसरी लाला लाजपत राय कि निर्मम व दुर्भाग्य पुण्य हत्या का बदला ले लिया था | १२ जून ,१९४० को वीर उधम सिंह को ब्रितानिया हुकूमत फांसी पर लटका दिया था | भारत में ऐसे रन-बांकुरो कि कमी नहीं है हो अपने नेता के अपमान व हत्या का बदला अपनी जमीन पर ही नहीं दुश्मन के घर में घुस के भी लेते है | इसके पूर्व क्रान्तिकारियो के बौधिक नेता के रूप में स्थापित हो चुके भगत सिंह,राजगुरु व सुखदेव को साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस की निर्ममता के शिकार लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए हिंदुस्तान रिपब्लिक सोशलिस्ट एसोशिएसन ने चुना था | १७ दिसम्बर,१९२८ को पुलिस अधिकारी सांडर्स व एक हेड कांस्टेबिल को ब्रितानिया हुकूमत की बर्बरता के बदले मृत्युदंड माँ भारती के इन सपूतो ने दे दिया| आजाद भारत में सो रहे सत्यग्राहियो पर बर्बरता पूर्वक लाधी बरसाने,आंसू गैस छोड़ने वाले पुलिस बल को अपना पौरुष सीमा पर व सीमा पार से संचालित हो रहे भारत विरोधी आतंक वाद के खात्मे में दिखना चाहिए था | आतंकवादियो की दामाद की तरह खातिरदारी करने वाली कांग्रेस की सरकार भारत के आम नागरिक को लतियाने व धमकियाने में अपनी ताकत लगा रही है | आखिर कांग्रेस सरकार चाहती क्या है? क्या काला धन वापस भारत लाने की बात करना ,सत्याग्रह करना बंद हो जाना चाहिए? याद आ जाना चाहिए इन जन विरोधी लोगो को कि महात्मा गाँधी के १९२१ के असहयोग सत्याग्रह आन्दोलन में मात्र १४ वर्ष के चन्द्र शेखर आजाद ने अपने कोमल शरीर पे १५ कोड़े खाए थे, महत्मा गाँधी के सत्याग्रह का यह सिपाही जब ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ सत्य के मार्ग पे चलता हुआ क्रांति के पथ का राही बना तो ब्रितानिया हुकूमत के बड़े बड़े सुरमा अपने अपने जान को बचने की फ़िराक में रहते थ | सत्याग्रहियो पे सरकारी जुल्म ने हमेशा क्रांति के मतवालों को जन्म दिया है | जुल्म का प्रतिकार लेने के लिए भारत के युवा वर्ग्य ने अपनी जान की बाज़ी हर युग में लगायी है और जुल्मी को दंड दिया है | उत्तर प्रदेश की माया सरकार की पुलिस निर्ममता का विरोध करने वाले राहुल गाँधी और उनके चाटुकारों को दिल्ली के राम लीला मैदान में अपनी सरकार के जुल्म नहीं दिखाई दे रहे है क्या? आतंकवादियो को मनपसंद पकवान व भारत की सत्याग्रही जनता को लाठी खाने को देने वाली निक्कमी सरकार के जिम्मेदारो ने बेशर्मी का विश्व रिकॉर्ड बना डाला है | सरकार के जुल्म से आज भारत की आम जनता का मन सिसक रहा है | आम आदमी के कलेजे में आग लग चुकी है | मंहगाई,बेकारी,कुशिक्षा ,कृषि भूमि का जबरन व मनमाने अधिग्रहण,जन सुविधाओ-जन अधिकारों की बदहाली की मार झेल रहे भारत के आम नागरिक सरकार की इस निर्मम कृत्य को देखकर स्तब्ध है| महात्मा गाँधी को अपना आदर्श मानने का दावा करने वाली सरकार के द्वारा महत्मा गाँधी के ही सत्याग्रह के राही स्वामी रामदेव और जन समुदाय के साथ किया गया कुकृत्य मन को आंदोलित कर चुका है | क्या पता आजाद भारत में जुल्मी सरकार के आतंक व जुल्म की मूक गवाह राम लीला मैदान की माटी भी किशोरों ने अपने माथे पे लगा के जुल्म के प्रतिकार की सौगंध उठा ली हो | सरकार के जुल्म से ही क्रांति के सेनानी जन्म लेते है | जब सरकारे अपनी ताकत का प्रयोग अपने ही सत्याग्रही नागरिको पे करेंगी तो निश्चित ही माँ भारती खुद अपने सपूतो को जुल्म का प्रतिकार करने हेतु प्रेरित करेंगी | आज माँ भारती की पुकार को सुनने और उसको पूरा करने का समय आ गया है| सरकारों के इस जनविरोधी जुल्मी दौर में समाजवादी चिन्तक व विचारक, महात्मा गाँधी के अनुयायी डॉ राम मनोहर लोहिया की बात याद आ जाती है| कांग्रेस को आजाद भारत में व्याप्त बुराई,भ्रस्टाचार का जिम्मेदार मानने वाले डॉ लोहिया अन्याय के खिलाफ संघर्ष को समाजवादियो का कर्त्तव्य मानते थे| जायज़ मांगो को लेकर सत्याग्रह पर बैठे स्वामी राम देव और अन्य सत्याग्रहियो पर अत्याचार का विरोध सभी समाजवादियो को करना ही चाहिए| सरकारों की निरंकुशता की खिलाफत करके समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने एक अच्छा काम किया है | डॉ राम मनोहर लोहिया युग दृष्टा थे | डॉ लोहिया की गैर कांग्रेस वाद की अवधारणा पर अमल करने का समय लोकतंत्र व समाजवाद में विश्वाश रखने वाले सभी राजनितिक व्यक्ति व संगठनो के सम्मुख आ गया है | देश में सत्ता पे काबिज नाकारा-निरंकुश सरकारों को उखाड़ फैंकने और जन अधिकारों की बहाली की सोच रखने वालो को अब व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई में अपना योगदान खुद ही सुनिश्चित करना चाहिए | समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया पूरी जिंदगी शोषण ,अत्याचार,अन्याय,जुल्म के खिलाफ लड़े और मज़लूमो की आवाज बने | आज सरकारों के निरंकुशता के खिलाफ सभी समाजवादियो की , डॉ लोहिया को मानने वालो की आवाज उठनी भी चाहिए और निरंकुश हो चुकी सरकारों के खिलाफ सड़क से सांसद तक विरोध-संघर्ष भी होना चाहिए|

Saturday, June 4, 2011

समाजवादी पार्टी -असंतुष्ट -कार्यकर्ता और अरविन्द सिंह गोप


अरविन्द विद्रोही तमाम राजनितिक विषमताओं और झंझावातों के बावजूद स्वर्गीय रामसेवक यादव की जन्म व कर्म स्थली बाराबंकी में समाजवादी आन्दोलन का एक बार पुनः परचम लहराते हुए समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव अरविन्द सिंह गोप- विधायक व पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश शासन ने अपनी सांगठनिक छमता व मिलनसारिता के बदौलत समाजवादी पार्टी नेतृत्व द्वारा दिये गये दायित्व का बखूबी निर्वाहन करते हुए अपनी उपयोगिता व छमता दोनों सिद्ध कर दी है | ज्ञात हो की समाजवादी पार्टी के नेतृत्व ने २ जून को पुरे प्रदेश में जनपद स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलन के आयोजन का निर्देश दिया था| बाराबंकी जनपद में नेतृत्व द्वारा आगामी विधान सभा २०१२ के आम चुनाव के लिए घोषित पार्टी प्रत्याशियो को लेकर समाजवादी पार्टी के राम सागर रावत-पूर्व सांसद,छोटे लाल यादव-पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री,रामवीर सिंह,अनंत राम जयसवाल-पूर्व सांसद,कुसुम लता रावत,सिद्धीक पहेलवान,अरविन्द यादव -पूर्व विधान परिषद् सदस्य आदि तमाम नेता आक्रोशित व असंतुष्ट हैं| इन समाजवादी नेताओ ने विगत २५ मई को जनपद बाराबंकी मुख्यालय के कमला नेहरु पार्क के सामने सामाजिक एकता सम्मेलन का आयोजन किया था | इस सम्मेलन में भारी तादाद में कार्यकर्ता जुटे थे| इसी सम्मेलन में प्रस्ताव पास कर के समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव से मांग की गयी थी कि बाराबंकी में घोषित प्रत्याशी सूची को निरस्त किया जाये| इस अवसर पे उपस्थित रहे वयोवृद्ध समाजवादी नेता अनंत राम जयसवाल ने कहा था कि विधान सभा कमेटी व स्थानीय कार्यकर्ताओं कि राय पर समाजवादी पार्टी के टिकेट वितरित होते थे और अभी भी होने चाहिए| निश्चित रूप से यह ध्यान में और अमल में लाने वाली बात है| और २५ मई से सिर्फ ७ दिन के अन्तराल पे २ जून को आयोजित समाजवादी पार्टी के जनपद स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में बाराबंकी जनपद की सभी विधान सभा कमेटीओ के समस्त नेताओं,जनपद कमेटी व घोषित प्रत्याशियो ने उपस्थित हो कर के समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव जिंदाबाद,डॉ लोहिया अमर रहे ,राम सेवक यादव अमर रहे,समाजवादी पार्टी जिंदाबाद,अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारों से बाराबंकी कि समाजवादी धरा को गुंजाएमान कर दिया| समाजवादी पार्टी के जनपद स्तर के इस कार्यकर्ता सम्मेलन में सभी फ्रंटल संगठन के कार्यकर्ता मौजूद रहे| सहकारी बैंक के पूर्व और अध्यक्ष समाजवादी पार्टी के जिला महासचिव धीरेन्द्र कुमार वर्मा के कुशल संचालन में सफलता पूर्वक संपन हुए इस सम्मेलन की मौलाना मेराज ने किया| सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में अहमद हसन-नेता प्रति पक्ष विधान परिषद् मौजूद रहे| सम्मेलन प्रभारी विजय सिंह,ज़रीना उस्मानी-प्रांतीय कार्यसमिति सदस्य,राम गोपाल रावत-पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष,राम मगन रावत-पूर्व विधायक,राजेव कुमार सिंह-विधायक,फरीद महफूज़ किदवई-विधायक,सुरेश यादव उर्फ़ धरम राज सिंह,ज्ञान सिंह यादव आदि ने कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया|एक स्वर में सभी वक्ताओं और कार्यकर्ताओ ने समाजवादी पार्टी के नेतृत्व के द्वारा घोषित प्रत्याशियो को जिताने का संकल्प दोहराया| टिकेट ना मिलने से नाराज नेता तथा समाजवादी पार्टी के नेतृत्व द्वारा अरविन्द सिंह गोप को अत्यधिक महत्व दिये जाने की बात सार्वजनिक मंचो से कहने वाले नेताओ को अब आत्म मंथन व आत्म विश्लेषण भी करना चाहिए| समाजवादी पार्टी से विधायक व मंत्री रहने के बावजूद कोई भी उल्लेखनीय काम ना कर पाने की स्वीकारोक्ति आखिर क्या साबित करती है? विगत आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकेट पे चुनाव लड़ के हार चुके नेता गण हर चुनाव में मानो पार्टी टिकेट पे अपना जन्म सिद्ध अधिकार मान चुके है|क्या सिर्फ विधान सभा के टिकेट के लिए ही इस असंतुस्टों की आस्था समाजवादी पार्टी में थी यह बात आम जनता में चर्चा का विषय बन चुका है| असंतुष्ट समाजवादी नेताओ की आँख की किरकिरी बन चुके अरविन्द सिंह गोप ने बाराबंकी जनपद में समाजवादी पार्टी के बिखर रहे कुनबे व आधार को जोड़ने का महती काम किया है| मुलायम सिंह यादव के खसम खाश तथा बाराबंकी के विकास पुरुष-धुर समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा द्वारा समाजवादी पार्टी छोड़ने पर उनके साथ गये तमाम समाजवादी नेताओ व कार्यकर्ताओं की पुनः समाजवादी घर में ससम्मान वापसी करवाने का काम अरविन्द सिंह गोप ने ही किया| राधेश्याम वर्मा-पूर्व विधायक,राम गोपाल रावत-पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष,शाहाब खालिद,स्वर्गीय रामसेवक यादव जी के भतीजे विकास यादव,धीरज गुलाशिया आदि प्रमुख नेता अरविन्द सिंह गोप के ही अथक प्रयास से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता बनके पुनः मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में काम करने लगे| यही नहीं भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष राम नाथ मौर्या,हरिनाम सिंह वर्मा,राजलक्ष्मी वर्मा-पूर्व विधायक,मौर्या समाज ने नेता वीरेन्द्र प्रधान आदि लोगो को भी अरविन्द सिंह गोप ने ही डॉ लोहिया के विचार धारा पर आधारित और मुलायम सिंह यादव के संघर्ष व कुशल नेतृत्व पर बनी समाजवादी पार्टी से जोड़ा|संगठन विस्तार और समाजवादी आन्दोलन में नए लोगो को शामिल करने का दुष्कर काम करने वाला निश्चित रूप से किसी भी नेतृत्व का प्रिये हो जाता है और उसको और उसकी बातो को महत्व भी मिलता है,और मिलना भी चाहिए,यह सत्य है|

Friday, June 3, 2011

समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता सम्मेलन











कल समाजवादी पार्टी का सभी जनपदों में कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ | भारी तादात में सम्मेलन स्थल पे जुटे समाजवादी आन्दोलन के योधा| बाराबंकी जनपद में समाजवादी पार्टी के नेता अरविन्द सिंह गोप के कुशल प्रबंधन और मिलनसारिता का दिखा परिणाम,उमड़ा कार्यकर्ताओं का सैलाब|बाराबंकी विधानसभा से प्रत्याशी सुरेश यादव सैकड़ों समर्थको के साथ पहुचे सम्मेलन में | उत्साह से लबरेज़ समाजवादी युवा कार्यकर्ताओ ने डॉ लोहिया अमर रहे,मुलायम सिंह यादव जिंदाबाद,अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाये|डॉ लोहिया,जनेश्वर मिश्रा,मधु लिमये,जय प्रकाश नारायण,राम सेवक यादव,राजा बलभत्र सिंह चहलारी,के ड़ी सिंह बाबु आदि के स्मृति द्वार सम्मेलन स्थल जाने वाले मार्ग पे बनाये गये|समाजवादी आन्दोलन की मजबूती और समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशियो को जिताने का संकल्प लिया समाजवादी कार्यकर्ताओ ने...