Monday, October 31, 2011

घट रहा है समाजवादी पार्टी का जनाधार

कल संपन्न हुये बाराबंकी के जैदपुर विधान सभा के समाजवादी कार्यकर्ता सम्मेलन में सपा जिला अध्यक्ष मौलाना मेराज के रवैये से हुये कार्यकर्ता नाराज़, स्थानीय कार्यकर्ताओ ने मेहनत की और मंच पे कब्ज़ा जमाया जिला इकाई ने,विधान सभा इकाई के किसी नेता को बोलने का नहीं दिया मौका | दरियाबाद से प्रत्याशी राजीव कुमार सिंह -विधायक के अलावा बाकी घोषित प्रत्याशी सपा नेतृत्व के निर्देशों को दरकिनार कर पहुंचे दूसरी विधान सभा के कार्यकर्ता सम्मेलन में | कार्यक्रमों में देर से पहुचने के कारण समाजवादी पार्टी के नेताओ से हो रहे है कार्यकर्ता और आम जनता नाराज़| विधान सभा स्तर के नेताओ को नज़र अंदाज़ करने से होगा भारी नुकसान , घोषित प्रत्याशी है अपने में मगरूर , बसपा विरोध और अखिलेश यादव की मेहनत के भरोसे लड़ रहे है चुनाव | घट रहा है समाजवादी पार्टी का जनाधार लेकिन समाजवादी पार्टी की जिला इकाई और प्रत्याशी बेफिक्र|

Thursday, October 27, 2011

बधाई विज्ञापनों के जरिये अपना हित साधने , राजनीति चमकाने की और पत्रकारों को लुभाने की कोशिश

हम सभी ने दीप पर्व दीपावली मना लिया | पूंजीपतियो ने जम कर अपनी पूंजी का प्रदर्शन करते हुये जमकर अपने आवास , अपने व्यापारिक प्रतिषठान की सजावट रंग बिरंगे बिजली के झालरों से करवाई | एक एक पूंजीपति परिवार ने सिर्फ आतिशबाजी में ही हजारो रुपये स्वाहा कर दिये| इनकी देखा देखी परिवार के सदश्यो के मन रखने के लिए , परंपरा निर्वाहन के नाम पे मेहनत कशो ने भी अपनी सामर्थ से ज्यादा का धन दीप पर्व को उल्लास पूर्वक मानाने में खर्च किया | व्यापारिक वर्ग ने एक तरफ जहा जम के कमाई कि वही दूसरी तरफ इन्ही व्यापारियो ने अधिकारिओ के घर जा जाकर मिठाई ,आतिशबाजी और मेवा , कपडे आदि उपहार स्वरुप रिश्वत भेट की | यही नहीं तमाम कमाई वाली जगह पर नियुक्त सरकारी कर्मचारी व अधिकारिओ ने भी अपने उच्च अधिकारिओ को भेट देने में कोई कोताही नहीं रखी | दीपावली का असली आनंद तो नौकरशाह , पूंजीपतियो , व्यापारियो ने जम कर उठाया | यही नहीं राजनीतिज्ञों ने भी दीपावली का जमकर उपभोग किया | दीप पर्व के बहाने जन संपर्क किया , बड़ी बड़ी होर्डिंग्स लगवाकर बधाई सन्देश दिया | जिन लोगो ने कभी किसी का भला नहीं किया वो भी बधाई संदेशो और विज्ञापनों के द्वारा बधाई देते नज़र आये | राजनीति में नेपथ्य में पड़े जनाधार विहीन , असामाजिक तत्वों ने भी आने वाले विधान सभा चुनावो को ध्यान में रखते हुये दीप पर्व की बधाई आम जनता को दे डाली | अपने पास अनैतिक तरीके से जमा किये गये धन का प्रयोग अब विभिन्न पर्वो में बधाई संदेशो और समाचार पत्रों में विज्ञापनों को देने में करने में ये तत्त्व तनिक भी गुरेज़ नहीं करेंगे | मीडिया जगत भी ऐसे तत्वों के शोषण का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता है | सिर्फ चुनावी बेला में बधाई देने वालो के मंसूबो को भांप के आम जनता और मिडिया जगत दोनों भरपूर आर्थिक दोहन करने के इंतज़ार में इन तत्वों का हौसला अफजाई कर रही है |

Saturday, October 22, 2011

स्वार्थी,जनाधार विहीन ,विचार विहीन और सत्ता के दलाल प्रवृति के लोगो से समाजवादी संघर्ष को खतरा

अरविन्द विद्रोही समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव -सांसद की वर्तमान सरकार की जनविरोधी नीतिओ ,मनमाने-पन के खिलाफ निरंतर पुरे प्रदेश में क्रांति रथ से , साइकिल से यात्रा के कार्यक्रम ने व्यापक जन समर्थन जुटा लिया है और जन संघर्ष व समाजवादी आन्दोलन के युवा कंधो की मजबूती को साबित करने में रात दिन एक कर रहे है |काबिल-ए -तारीफ है समाजवादी आन्दोलन व संघर्ष के नव प्रतीक बन कर उभरे समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव का यह प्रयास | युवा समाजवादी अखिलेश यादव को जन संघर्ष खड़ा करने की इस मुहीम में सर राम मनोहर लोहिया की बातो का पूरा ध्यान भी रखना और उसका अनुपालन भी करना और करवाना चाहिए | डॉ लोहिया के विचारो की रौशनी अखिलेश यादव की अपनी राजनीतिक जीवन की तरक्की-बेहतरी के लिए कारगर ही साबित होगी, इसमें कोई शक सुबहा की लेश मात्र भी गुंजाइश नहीं है | डॉ राम मनोहर लोहिया समाजवादी विचारधारा की वो अखंड ज्योति है जिसकी रौशनी में धरती-पुत्र मुलायम सिंह यादव ने अपनी संघर्ष की राजनीति को परवान चढ़ाया | डॉ राम मनोहर लोहिया ने कहा था -- एक तरफ वे लोग जो कि आन्दोलन के उद्देश्यों के लिए तकलीफ उठाते है ,दूसरी तरफ वे लोग जो आन्दोलन के सफल होने के बाद उसके हुकुमती काम-काज को चलते है | और आप याद रखना कि ये संसार के इतिहास में हमेशा ही हुआ है |लेकिन इतना बुरी तरह से कभी नहीं हुआ जितना की हिंदुस्तान में हुआ है | और मुझे खतरा लगता है कि कही सोशलिस्ट पार्टी कि हुकूमत में भी ऐसा ना हो जाये कि लड़ने वालो का तो एक गिरोह बने और जब हुकूमत का काम चलाने का वक़्त आये तब दूसरा गिरोह आ जाये | डॉ लोहिया कि यह चिंता दुर्भाग्य वश समाजवादी पार्टी के शासन काल में अमर प्रभाव के चलते वाजिब साबित हुई और जिसका खामियाजा भी सपा ने भुगता | बा मुश्किल सत्ता कि दलाली करने वाले गिरोह के मुखिया से सपा को निजात मिला और तब सपा के विचारधारा आधारित नेताओ व कार्यकर्ताओ को एक असीम सुख-आनंद की अनुभूति हुई थी | क्रांति रथ के माध्यम से जन संवाद , जन संपर्क पर निकले अखिलेश यादव को अपने इर्द-गिर्द लगातार बने रहने वाले चापलूस,जनाधार विहीन,फरेबी,दलाल प्रवृति के लोग ना जमने पाए यह विशेष ध्यान देना होगा | ऐसे स्वार्थी तत्वों कि शिनाख्त करके जो अपने अपने विधान सभा में प्रत्याशियो की मदद करने के बजाय उनके आगे पीछे घुमा करते है उनको तत्काल हटा देना चाहिए | नेतृत्व के अगल बगल रहकर चित्र खिचवा के विधान सभा का टिकेट कटवाने -दिलवाने का खेल भी चल रहा है यह ध्यान देना अखिलेश यादव के लिए जरुरी है | लोकतंत्र में किसी को भी विजय श्री मतदाताओ के द्वारा मत दिये जाने के कारण ही होती है | मतदाता संगठन के ,संगठन के नेताओ के विचार ,क्रिया कलाप व संघर्ष के कारण अपना समर्थन व अमूल्य मत देकर प्रत्याशी को विजयी बनाता है | युवा समाजवादी संघर्ष के प्रतीक अखिलेश यादव को अपने साथ सिर्फ विचारवान , संघर्ष शील युवा साथियो को ही रखना चाहिए | क्रांति रथ यात्रा के प्रारंभिक चरण में ही समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ़ कहा था कि विधान सभा के घोषित सभी प्रत्याशी सिर्फ अपने अपने विधान सभा के कार्यक्रमों में ही भागीदारी करे ,चुनाव कार्य में जुटे ,मतदाताओ के बीच बने रहे और चुनाव जीतने के बाद लखनऊ आये | पार्टी नेतृत्व को ध्यान देना चाहिए की क्या उसकी बातो पर तनिक भी ध्यान दिया जा रहा है? वो कौन लोग है जो स्पष्ट निर्देशों के बाद भी धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के प्रेरणा पुंज डॉ राम मनोहर लोहिया और छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र के चित्र व जिक्र तक से परहेज़ कर रहे है | अब समाजवादी पार्टी के संगठन को , नेतृत्व को खुद , अखिलेश यादव को संगठन व पार्टी के घोषित प्रत्याशियो की होने वाली बैठक में उपरोक्त बिन्दुओ को संज्ञान में लेकर कड़े निर्देश जारी करने चाहिए | अंत में एक बात सब से जरुरी हर जगह अपना फोटो साथ में खिचवाने वाले और जगह जगह आलाकामान से निजी रिश्ते होने की बात कहने वाले चन्द एक लोगो को अपने से दूर अखिलेश यादव हटाते है या उनसे गलबहिया करके उन लोगो के द्वारा कही जा रही तमाम बातो को पुख्ता करते है | सभी विपक्षी दलों सहित मिडिया की भी नज़र इस समय अखिलेश यादव व उनके इर्द गिर्द के लोगो पर यह यह बात सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव को नहीं भुलाना चाहिए | अतीत की गलती ना दुहराने से भविष्य सँवरता ही है |

Tuesday, October 18, 2011

पूंजीवादी-साम्राज्यवादी व्यवस्था के विरोधी ,समाजवादी -देशभक्त ,सच्चे आशिक थे मजाज़ अरविन्द विद्रोही

१९ अक्टूबर ,१९११ को रुदौली तत्कालीन अवध प्रान्त वर्तमान में फैजाबाद जनपद में चौधरी सिराजुल हक़ के पुत्र रूप में जन्मे असरारुल हक़ ने उस दौर में अपनी आँखे खोली थी जब भारत भूमि ब्रितानिया हुकूमत की गुलामी की बेड़ियो में जकड़ी थी | आवाम एक दीवाने की तरफ अपनी महबूबा यानि आजादी को हासिल करने के लिए तड़प रही थी | अपनी महबूबा को पाने के लिए दिवानो ने जान ली भी और जान दी भी | पूंजीवादी - साम्राज्यवादी व्यवस्था और ब्रितानिया शोषण - दासता विरोधी उभर व जंग से असरारुल हक़ उर्फ़ शहीद उर्फ़ मजाज़ की शायरी पुख्ता होने लगी | भाई अंसार जो की आजाद भारत में सांसद रहे और १९९६ में जिनका इंतकाल हुआ तथा तीन बहनों क्रमशः आरिफा खातून , साफिया खातून , हामिद सालिम के अज़ीज़ मजाज़ कालांतर में शायरी के शौकीनों और कलमकारों के आँखों के तारे बन गये | रुदौली से लखनऊ , लखनऊ से आगरा , आगरा से अलीगढ तक का सफ़र मजाज़ ने शैक्षिक योग्यता हासिल करने के लिए किया | अमीनाबाद इंटर कॉलेज-लखनऊ से हाई-स्कूल , सैंट जोंस कॉलेज -आगरा से इंटर , अलीगढ विश्व -विद्यालय से बी ए पास करने वाले मजाज़ हाकी के एक बेहतरीन खिलाडी भी थे | मजाज़ को कॉलेज में ही हुये एक मुशायरे में बेहतरीन ग़ज़ल पेश करने के कारण गोल्ड मेडल दिया गया था | मजाज़ एक देश भक्त , दीवाने शायर थे | बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न मजाज़ की शायरी की बेबाक टिप्पणिया मजाज़ के अंतर्मन में व्याप्त प्यार , करुना , संवेदना , देश प्रेम और मज़लूमो के प्रति उनकी सोच को दर्शाती हैं |मिल मालिको के मुशायरो में शिरकत की जगह मजदूरों के द्वारा आयोजित मुशायरे में शिरकत करने व तवज्जो देने वाले समाजवादी विचार धारा के मजाज़ ने गुलाम भारत में जन्म लिया और दुर्भाग्य वश बिना समाजवादी राज्य निर्माण का सपना पूरा होते देखे आजाद भारत में ५ दिसम्बर , १९५५ को उपेक्षा व मानसिक तनाव का शिकार हो कर काल के हाथो शिकार हो गये | मजाज़ की शायरी में स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन (पहला जश्ने आजादी ), पूंजीवादी व्यवस्था का पुरजोर विरोध (मुझे जाना है एक दिन ,आहंगे जुनू ,सरमायादारी ) . शोषण की खिलाफत व करुना -संवेदना (इन्कलाब ,दिल्ली से वापसी ,एक जलावतन की वापसी,खाना बदोश ,नौजवान ) , धार्मिक समानता (ख्वाबे सहर , इशरते तन्हाई ) , गाँधी के प्रति श्रधान्ज़ली (सानिहा ) पढ़ते ही मजाज़ की वैचारिक दृठता व विस्तारिता परिलक्षित होती है| माजदा असद के शब्दों में --- मजाज़ जीवन को लतीफा समझते थे | संभवता यह चुटकुले ही उनके जीवन के रंजो गम को भुलाने या उन पर पर्दा डालने में मदद करते थे | उन्होंने अपने अन्दर के दुखो को भुलाने के लिए लतीफो का सहारा लिया | और आखिर मजाज़ को कौन स गम सताता था ? मजाज़ की बहन हमीदा सालिम लिखती है कि --- मजाज़ मेरा भाई एक नाटकिये ढंग से जीवन में उभरा और फिर इसी ढंग से डूब गया | इसके जीवन का आरम्भ साहस और उमंगो से भरा था लेकिन अंत अभावों और निराशा से घिर कर हुआ | वह जीवन को प्रकाशमय देखने की उम्मीद करता रहा और उसका जीवन धीरे धीरे अंधकारमय होता गया |उसने जीवन को अपनी तहरिकी क़ाबलियत की संपत्ति सौपी ,अपनी शायरी दी , जिसमे इस ब्रह्माण्ड को सुन्दर बनाने का साहस है, भविष्य को संवारने की उमंगें हैं,यौवन की जौलानी है,अनुभव का चिन्ह है ,चेतना है ,तड़प है,अशांति है ,सुन्दरता है ,सफाई है,सादगी है,लेकिन जीवन ने उसे परेशानिया तथा शर्मिंदगी दी ,उलझने ,छटपटाहटें दी,वह जीवन से प्यार मांगता रहा ,प्रसन्नता मांगता रहा ,चैन मांगता रहा ,खुशहाली मांगता रहा परन्तु जीवन धीरे-धीरे उससे दूर होता चला गया कि यहाँ तक जीवन की फसल को अपने लहू से सींचने वाले शायर को मौत की बाँहों में सोना पड़ा |वे आगे लिखती है कि मजाज़ को आगरे में फानी का पड़ोस तथा कॉलेज में ज़ज्बी का साथ मिला |शिक्षा का पतन और शेरो-शायरी के दौर का उत्कर्ष शुरु हुआ |कॉलेज पत्रिका के संपादक बने | दिल्ली रेडियो-स्टेशन में इसी समय नौकरी लगी |अलीगढ में गुजारा गया समय जग्गन भैय्या के जीवन का सबसे प्रकाशमय काल है,अधिकतर अच्छी कवितायेँ इसी काल में लिखी गयी | सरदार भाई,सत्ते भाई, भाई अंजान सब एक समूह से थे |मजाज़ जिसके पास तलवार की-सी तेज़ी और संगीत की-सी कोमलता दोनों ही है,जिसके ह्रदय में बागी की आग ,जिसकी रंगों में यौवन का उत्स ,जिसके कंठ में नगमा-ए-संज काफर था,जिसने क्रांति के नारे लगाने के स्थान पर क्रांति के राग गाये- वह मजाज़ शिक्षको का प्रिय ,विद्यार्थियो के लिए गर्व ,लडकियो के लिए चाहत था | अलीगढ से दिल्ली रेडियो स्टेशन की नौकरी के दौरान दिल्ली में ठहरने के दौरान मजाज़ ने दिल पर ऐसी चोट खायी जिसका घाव कभी ना भर सका| हमीदा आगे लिखती है ,-- मजाज़ ने अपने लिए घर वालो के लिए , समाज के लिए प्रेम किया ,ऐसा गहरा तथा घनिष्ठ कि अंतिम समय तक यह प्रेम इनके साथ रहा परन्तु भाग्य का खेल देखिये कि हाथ भी बढाया तो निषिद्ध वृझ की तरफ | दिल्ली की चोटी के खानदान की इकलौती पुत्री चंचल ,सुन्दर,नटखट ,लाड-प्यार में पली,सुख-ऐश्वर्या की और भारी -भरकम संपत्ति की स्वामिनी ,जो भी कहें ,ये बेल मंडवे चढ़ती तो कैसे ? परन्तु शायर चरणों में मोती बिखराता रहा,सिर पर फूल बरसता रहा और सिर्फ चन्द मुस्कानों की चाह रखता रहा |लेकिन बुरा हो उस समाज का , समाज की टेढ़ी-तिरछी कठोर दृष्टि से यह शायर घुट कर रह गया और उसका दिल टूट गया | सरदार जाफरी मजाज़ के गम की वज़ह को कुछ इस तरह बयान करते है,--- उसने उम्र भर में सिर्फ एक लड़की से मोहब्बत की और वह भी शादी शुदा थी | मजाज़ की मोहब्बत खामोश थी ,लेकिन शेरों से छलकी पड़ती थी | एक दिन उस घर का दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो गया | अब सिर्फ शिकस्ता-दिली और बेकारी है| दिल में इन्कलाब और बगावत की आग जल रही है,जिसे शराब भी नहीं बुझा सकती ,बल्कि उस आग को और भड़कती है | सबसे पहला जाम उन महबूब हाथो से मिला था , जिन्हें मजाज़ ने कभी छूने की कोशिस नहीं ही | इस कैफियत में मजाज़ की सबसे हसीन और उस अहद की सबसे भरपूर नज़्म आवारा की तख्लीक हुई जिसमे मजाज़ के जाती गम ,उसके इंकलाबी एहसासात के साथ मिलकर एक हो गये हैं ------------ शहर की रात और मैं नाशाद व नाकारा फिरूँ जगमगाती जागती सडको पर आवारा फिरूँ गैर की बस्ती है ,कब तक दर ब दर मारा फिरूँ ए गेम दिल ,क्या करूँ ! ए वहशते दिल ,क्या करूँ ! असरारुल हक़ उर्फ़ मजाज़ इंसानियत के पुजारी,प्रगतिशील,आन्दोलन के कवि,समाजवादी सोच के प्रहरी तथा एक सच्चे आशिक थे |कृष्ण चंदर ने कहा था कि मजाज़ हमारे ज़माने और हमारी पीढ़ी का सबसे ज़हीन ,बालिग नज़र और ज्याला शायर था | इस्मत चुगताई के अनुसार - लड़कियां मजाज़ के नाम के पर्चे निकल के खुश होती हैं | और हम सबके मजाज़ ने सिर्फ एक बार मोहब्बत की और उसी नाकाम मोहब्बत की दीवानगी को निभाते निभाते इस ज़माने से चले गये |

Monday, October 17, 2011

सरकार महाभ्रष्ट व उसके विधायक-मंत्री लुटेरे है -- सरवर अली ,पूर्व विधायक





बाराबंकी | कमर तोड़ महंगाई ,भयंकर भ्रस्टाचार , जातिवाद , फिरकापरस्ती , राजनितिक गिरावट के विरुद्ध संघर्ष की रूप रेखा तैयार करने के लिए बाराबंकी जनपद की कुर्सी विधान सभा के इसरौली बाज़ार -फतेहपुर में दिनांक १६ अक्टूबर , दिन रविवार को दोपहर ११ बजे से स्थानीय नागरिको की एक निर्णायक सभा आयोजित की गयी | इस निर्णायक सभा की अध्यक्षता जनाब हाजी उस्मान गनी साहब तथा संचालन सुफियान अख्तर - पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने किया | निर्णायक सभा के मुख्य वक्ता समाजवादी सोच व पृष्ठ भूमि के जन नेता सरवर अली - पूर्व विधायक थे | इस निर्णायक सभा को संबोधित करने वाले प्रमुख लोगो में सरवर अली , मौलवी मोइद्दीन , जनाब सगीर अंसारी , गयास मियां , शब्बू खान , डॉ तौफीक अहमद , पंडित सुनील तिवारी , रफ़ी अंसारी , शकील बेलहरवी , मास्टर वीरेन्द्र विक्रम सिंह , जुम्मन अंसारी , रमेश यादव , रईस खान , विश्राम यादव , नेता राम लाल यादव , लल्लन प्रधान , कौशल बी डी सी , हाजी अबरार , कौशल वर्मा , मो फारुख , केदार नाथ मिश्र , मास्टर हरी राम यादव , गणेश यादव , मो अय्यूब तथा पंडित बलराम थे | सभी वक्ताओ ने अपने संबोधन में सरवर अली से विधान सभा का आगामी चुनाव लड़ने को कहा | सभा में उपस्थित स्थानीय नागरिको ने चुनाव लड़ने की मांग का पुरजोर समर्थन किया | निर्णायक सभा में उमड़ी हजारो किसानों-मजदूरों-युवाओ -स्थानीय नागरिको को संबोधित करते हुये मुख्य वक्ता सरवर अली-पूर्व विधायक ने कहा कि कृषि आधारित भारत देश में पहले से ही परेशान व जेरबार किसानों को उनकी उपज के सही मूल्य ना मिल पाने , खेती में उपयोग होने वाली समस्त सामग्री उर्वरक , बीज , डीज़ल , कीटनाशक दवा के दामो में चल रही लगातार बढ़ोत्तरी तथा समय से बिजली व नहरों में पानी ना मिल पाने के कारण किसान और भी परेशान और जेरबार होता जा रहा है | स्थानीय नागरिको की भारी उपस्थिति से उत्साहित सरवर अली ने समाजवादी चरित्र व तेवर में बोलते हुये कहा कि वर्तमान बहुजन समाज पार्टी कि सरकार महा भ्रष्ट सरकार है | ऐसी सरकार दुबारा ना बने यह मै चाहता हूँ| आज केंद्र व प्रदेश कि सरकारों ने लूट मचा रखी है | दोनों के मंत्री जेल में है और बेशर्मी पूर्वक सरकारे चल रही है | बाराबंकी जनपद के हालातो को भयावह करार देते हुये सरवर अली ने कहा कि राजनीतिक चरित्र में गिरावट के चलते बसपा सरकार के मंत्री से पुलिस का सिपाही रिश्वत दिलाने कि बात कहता है | सत्ता धारी बसपा कि वर्तमान स्थानीय विधायिका को दलित-जनविरोधी बताते हुये कहा ही ये राजनीतिक बदले की भावना से काम करती है | राजनीतिक विरोधियो को परेशान करना इनका शगल है | अधिकारिओ पर दबाव बना कर , उनसे मिली भगत कर के जनता की मेहनत की कमाई को यहाँ लुटा जा रहा है | ६० % से ज्यादा कमीशन खोरी की बात आम जन चर्चा में है | स्थानीय पुलिस की मनमानी की मनमानी का विवरण देते हुये मंच से ही सार्वजनिक रूप से पुलिस कर्मचारियो - अधिकारिओ को सुधर जाने व जनता को नाजायज़ परेशान आईंदा ना करने की चेतावनी देते हुये सरवर अली ने कहा कि अब जुल्म, नाइंसाफी बर्दाश्त के बाहर हो गयी है | कानून का पालन पुलिस वाले और सरकारी कर्मचारी भी करे अन्यथा उनको जनता सबक सिखाएगी ,उनका चालान काटेगी | अंत में सभा के संचालक सुफियान अख्तर ने सभी का हार्दिक धन्यवाद दिया तथा कहा कि अपनी सरज़मी के लिए काम करना , संघर्ष करना हमारी पहचान रही है | अपने पुरखो से मिली गरीबो , वंचितों, पिछडो , मज़लूमो , दलितों की सेवा कि विरासत व जिम्मेदारी को हम हमेशा निभाते रहे है और आगे भी निभाते रहेंगे | जन संघर्ष में ना हम कभी पीछे रहे है और ना आगे कभी पीछे रहेंगे |

Saturday, October 15, 2011

लोहिया और जयप्रकाश नारायण मधु लिमये की नज़र में-अरविन्द विद्रोही -

स्वतन्त्र भारत की राजनीति और चिन्तन धारा पर जिन गिने -चुने लोगो के व्यक्तित्व का गहरा असर हुआ है , उनमे डॉ राम मनोहर लोहिया और जय प्रकाश नारायण प्रमुख रहे हैं | भारत के स्वतंत्रता युद्ध के आखिरी दौर में दोनों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण रही है | हजारीबाग जेल से जयप्रकाश के बाग़ जाने की घटना ने चिंगारी का काम किया और इस एक घटना के कारण जयप्रकाश की लोकप्रियता बहुत बढ़ गयी | भूमिगत आंदोलनों को प्रज्ज्वलित करने में लोहिया की भूमिका कार्यक्रम और विचार की दृष्टि से असाधारण था | भूमिगत रेडिओ की कल्पना को उषा मेहता और उनके साथियो की मदद से डॉ लोहिया ने ही साकार किया था | सुचेता कृपलानी जैसी गाँधी वादी और अच्युत पटवर्धन जैसे समाजवादी , इनके बीच की कड़ी लोहिया ही थे समाजवादी नेता समझते थे कि महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरु में जवाहरलाल अपेक्षतया ज्यादा प्रगतिशील और वामपंथी हैं | उनकी यह भी धारणा थी कि नेहरु गाँधी और सुभाष चन्द्र बोष से ज्यादा आधुनिक हैं| लोहिया का यह सम्मोहन १९४२ से ही टूटने लगा था और गाँधी जी की हत्या के दिन तक पूरी तरह टूट चुका था | लेकिन जयप्रकाश का मोह आखिर तक नहीं टूटा | जयप्रकाश के मन में नेहरु के प्रति गहरा प्रेम था , वे नेहरु के परिक्रमा पथ से कभी नहीं निकल पाए | लोहिया का आत्म परीक्षण समाजवादी दल के मुल्यांकन की दृष्टि से महत्व पूर्ण है | जहा तक अशोक मेहता , जयप्रकाश आदि का सवाल है , उनमे निश्चित ही धीरज की कमी रही | जय प्रकाश सदभाव से ओत-प्रोत थे | लोहिया की तरह उनमे भी सत्ता-पिपासा लेश मात्र नहीं थी, मगर उनमे विचारो की स्पष्टता नहीं रहती थी | वे अगल-बगल के लोगो से जल्दी प्रभावित हो जाते थे | साथ ही , किसी भी विवादस्पद प्रश्न पर स्पष्ट राय देने तथा उस पर अड़े रहने में जय प्रकाश को हिचक होती थी | चाहे सुभाष चन्द्र बोस के दुबारा अध्यक्ष पड़ का चुनाव लड़ने की बात हो , या त्रिपुरी कांग्रेस के बाद हुये मतभेदों का प्रश्न , चाहे कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में अपनाये गये रुख का सवाल , किसान मजदूर प्रजा पार्टी के साथ विलीनीकरण की समस्या हो या कांग्रेस के साथ सहयोग का विवाद जय प्रकाश अक्सर ढुलमुल नीति अपनाते थे , अपना मत नहीं बना पाते थे | लोहिया इन तरीको से बहुत नाराज़ रहते थे | जय प्रकाश दल के महामंत्री थे | किसी बड़े संगठन को चलाने के लिए लचीलेपन की , समझौते की जरुरत होती है | जय प्रकाश ने लोहिया से कहा था -- आखिर तुमने मुझको दल का महामंत्री बना रखा है तो महामंत्री को यह सुविधा होनी चाहिए कि वह आखिर में बोले , सबकी राय सुनकर , आखिर सबको साथ लेकर चलना है | लोहिया कुछ हद तक जय प्रकाश कि बात सही मानते थे | लोहिया चिंतन-मनन वाले आदमी थे | लेकिन वे क्रांति शुन्य नेता नहीं थे , सृज़न शील चिंतन के साथ तमाम जन आन्दोलन कि अगुवाई की | लेकिन संगठन बनाने का एक अलग कौशल होता है | लोहिया खुद मानते थे कि उनमे ना इस तरह का कौशल है और ना ही इस तरह के काम के प्रति आस्था | १९५५ के बाद दो तीन साल तक संगठन बनाने का प्रयोग लोहिया ने किया लेकिन सफलता नहीं मिली | लोहिया को चाह थी सिर्फ दिमागी नेतृत्व की | जय प्रकाश कुशल संगठन कर्ता थे | कांग्रेस समाजवादी दल की स्थापना काल से संगठन की जिम्मेदारी जय प्रकाश ने संभाली | जय प्रकाश के व्यक्तित्व में करिश्मा था | १९५२ के चुनावो में समाजवादी दल की हार के बाद जय प्रकाश का मन दल से दूर हटने लगा | चुनावी हार को व्यक्तिगत पराजय मन वे भूदान की तरफ , विनोबा भावे की विचार धारा की ओर मुड़े | अनशन आदि के आध्यात्मिक प्रयोगों में वे उलझ गये | इसी बीच नेहरु ने जय प्रकाश को एक पत्र लिख कर दिल्ली आकर सहयोग-वादी बात चीत का न्यौता दिया , बात चीत का सिलसिला शुरु हुआ | जय प्रकाश में हुये इन परिवर्तनों को लोहिया पसंद नहीं करते थे | पंच मढ़ी सम्मेलन १९५२ में जय प्रकाश की कार्यकर्ताओ ने जन संघर्ष के मोर्चे पर पहल ना करने पर आलोचना की | जय प्रकाश के मन में जवाहर लाल की सरकार के बारे में गुस्सा नहीं था जो बाद में इंदिरा सरकार के बारे में उनके मन में पैदा हुआ | अतः नेहरु के समय में सरकार से जूझने के लिए , टक्कर लेने के लिए जो चिंगारी , जो प्रखरता होनी चाहिए , वह उत्पन्न नहीं हो पाई | लोहिया इस बात को लेकर दुखी हो जाते थे कि उनके द्वारा इतने आन्दोलन चलाये गये , इतने विचार दिये गये , लेकिन इसका श्रेय उन्हें कभी नहीं मिला | १९५७ से लोहिया निरंतर कोशिश करते रहे कि जय प्रकाश राजनीति में वापस आये | लोहिया की बातो और कोशिशो का उस समय कोई असर जय प्रकाश पर नहीं पड़ा | जय प्रकाश ने यहाँ तक कहा कि देश को इस तरह हिलाने कि प्रक्रिया पर ना उनका विश्वास है , ना इस तरह के काम में उनको कोई रूचि है | समाजवादी आन्दोलन का यह दुर्भाग्य रहा कि जय प्रकाश - लोहिया के बीच मतभेदों के कारण दोनों का व्यक्तित्व व गुण परस्पर पूरक होते हुये भी आपसी सहयोग का सिलसिला टूट गया | अफ़सोस इस बात का था कि समाजवादी आन्दोलन में परिवर्तन की गाड़ी को जय प्रकाश - लोहिया रूपी बैलो को जोड़ने वाला कोई गाँधी नहीं था | जो काम लोहिया चाहते थे कि जय प्रकाश करे और जिसे करने में राम मनोहर लोहिया के जीवन काल में जय प्रकाश ने इंकार किया , वही काम उन्होंने १९७४ के बाद किया | लोहिया का बस चलता तो वे कांग्रेस का तख्ता १९६७ में ही उलट देते | जय प्रकाश ने जब यह काम संभाला तब तक समाजवादी आन्दोलन विघटित होते होते अत्यंत कमजोर हो गया था | देश की राजनीति को नयी दिशा देने या देश के आर्थिक-सामजिक ढांचे में बुनियादी तबदीली लाने की उसकी छमता ख़त्म हो चुकी थी | लोहिया में निर्भीक बन आत्म परीछन करने का बड़ा गुण था | लोहिया सम दृष्टि वाले थे | जय प्रकाश में सम दृष्टि का अभाव था | धनी-मानी और बड़े लोगो से वे प्रभावित हो जाते थे | उनके व्यवहार में फर्क आ जाता था | लोहिया और जे पी दोनों पर गाँधी का प्रभाव था | लोहिया का व्यक्तित्व लुभावना होते हुये भी प्रखरता थी , शब्द तीखे होते थे | भावना का वे ख्याल नहीं रखते थे | जय प्रकाश का स्वाभाव सौम्य था , व्यक्तित्व में मिठास थी | वे म्रदु भाषी थे , वे किसी को जल्दी नाराज़ नहीं करते थे | दोहिया का डालिए प्रणाली व लोकतंत्र में पूर्ण विश्वास था | वे लोकतंत्र को हर प्रकार से समृद्ध बनाना चाहते थे और जय प्रकाश राष्ट्रीय सहमति , दल हीन लोकतंत्र , दल विहीन राजनीति आदि अवास्तविक कल्पनाओ के शिकार थे | लोहिया की सप्त क्रांति और जय प्रकाश की संपूर्ण क्रांति में अंतिम उद्देश्यों को लेकर कोई फर्क नहीं | जे पी सप्त क्रांति को ही सम्पुर्न्य क्रांति मानते थे | प्रखर राष्ट्रीयता के प्रवक्ता लोहिया सिकुड़ने वाले राष्ट्रवाद के समर्थक नहीं थे | लोहिया और जय प्रकाश के आदर्श उतुंग थे | नागालैंड , कश्मीर , बांग्ला देश आदि के प्रश्नों के बारे में जय प्रकाश द्वारा की गयी पहल उनकी आदर्श वादिता का उत्तम सबूत है | लोहिया की अपनी एक सम्यक- दार्शनिक दृष्टि थी और जय प्रकाश के व्यक्तित्व में गज़ब का जन -आकर्षण | डॉ लोहिया ने १९५४ में ही जय प्रकाश को पत्र लिखा था ---- देश की जनता का तुमसे लगाव है , तुम चाहो तो देश को हिला सकते हो , बशर्ते देश को हिलाने वाला खुद ना हिले |

Tuesday, October 11, 2011

समाजवादी दलों की एका ही डॉ लोहिया-जय प्रकाश नारायण को सच्ची श्रधांजलि

अरविन्द विद्रोही १२ अक्टूबर , १९६७ को समाजवाद के प्रखर प्रवक्ता , युग दृष्टा डॉ राम मनोहर लोहिया की आत्मा ने नश्वर शरीर त्याग कर दिया था | आज डॉ लोहिया स-शरीर भले ही ना हो लेकिन उनके विचार , उनका चिंतन , उनकी राष्ट्र परक , आम जन हित की सोच एक अनमोल विरासत के रूप में हमारी धरोहर के रूप में विद्यमान है | चिर सत्याग्रही , अन्याय का प्रतिकार तत्काल करने वाले क्रांति के मतवाले डॉ लोहिया समाजवादी आन्दोलन के जरिये भारतीय राजनीति से कांग्रेस की भ्रष्ट सरकारों को उखाड़ फैकने की अदम्य इक्छा शक्ति रखते थे | जयप्रकाश नारायण ने भले ही डॉ लोहिया के जीवन काल में उनकी यह इक्छा ना मानी हो लेकिन १९७७ में जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेसी सरकारों को धूल चटा कर लोहिया की बात मानी जरुर | और डॉ लोहिया तो कहते ही थे कि -- लोग मेरी बात सुनेंगे जरुर लेकिन मेरे मरने के बाद | आज ना तो गाँधी है , ना जयप्रकाश और ना ही डॉ लोहिया | आज के दौर में करतार सिंह सराभा , रास बिहारी बोस , भगत सिंह , आजाद , अशफाक , सुभाष सरीखे क्रांतिकारी भी नहीं है | आज आम जन हित चिंतन की जगह स्वयं हित चिंतन या समूह हित चिंतन को प्राथमिकता दी जा रही है | भारत की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सरकारों का चरित्र आम जन विरोधी ही साबित होता रहा है | तानाशाह सरकारों के विरुद्ध अनवरत सत्याग्रह चलाने की मंशा रखने वाले डॉ लोहिया की आत्मा को इधर कुछ सुकून तो मिला ही होगा | भ्रस्टाचार में सरोबोर सरकारों के खिलाफ आंदोलनों ने उम्मीद जगाई है | जनता में आये उबाल को बनाये रखने के डॉ लोहिया की सप्त क्रांतियो पर ध्यान देना नितांत जरुरी है |नर-नारी समानता , रंग भेदों पर आधारित विषमता की समाप्ति , जन्म तथा जाती पर आधारित असमानता का अंत , विदेशी जुल्म का खात्मा तथा विश्व सरकार का निर्माण , निजी संपत्ति से जुडी आर्थिक असमानता का नाश और संभव बराबरी की प्राप्ति , हथियारों के इस्तेमाल पर रोक और सिविल नाफ़रमानी के सिधान्त की प्रति स्थापना तथा निजी स्वतंत्रताओ पर होने वाले अतिक्रमण का मुकाबला इन सात बिन्दुओ - विचारो के लिए संघर्ष ही समाजवादियो की पहचान है | लोहिया के चित्र-जिक्र व उनके विचारो को मूर्त रूप देने में लगा व्यक्ति ही डॉ लोहिया का सच्चा शिष्य हो सकता है , समाजवादी हो सकता है अन्यथा वो रंगे सियार या पाखंडी के सिवाय कुछ नहीं कहा कहा जा सकता है | डॉ लोहिया जीवन पर्यन्त अन्याय के खिलाफ प्रतिकार करते रहे | लोकतान्त्रिक अधिकारों के सिकुड़ने के खिलाफ सड़क-सदन के अलावा डॉ लोहिया ने अदालत का भी सहारा लिया | डॉ लोहिया एक मजबूत और बराबरी का समाज बनाने के लिए जीवन पर्यन्त लगे रहे | आज डॉ लोहिया को अपना आदर्श मानने वालो , उनके विचारो का अनुसरण कर्ता स्वयं को मानने वालो को एक जुट होना चाहिए | और यह एक जुटता किस लिए हो , यह भी समझ लेना चाहिए | प्रदेश-देश दोनों जगह की राजनीति में लाठी-गोली के जरिये जनता को , जनता की आवाज को दबाने-कुचलने वालो की सरकारे है | यह सरकारे पूंजीवादी-साम्राज्यवादी ताकतों का प्रतिनिधित्व कर रही है | समाजवादी ताकतों को इन भ्रष्ट - जनविरोधी सरकारों को हटाने के लिए और ना सिर्फ हटाने के लिए वरन समाजवादी मूल्यों की , डॉ लोहिया के विचारो के अनुपालन करने वाली सरकार को बनाने के लिए एक साथ होना चाहिए | आज समाजवादी बिखरे है | सभी अपने-अपने मुगालते में है | डॉ लोहिया एक कर्म योगी थे | कर्म प्रधान , चिंतन शील व्यक्तित्व के धनी डॉ राम मनोहर लोहिया को सच्ची श्रधांजलि होगी -- समाजवादी विचार धरा के विभिन्न व्यक्तिओ व दलों का एकीकरण और समन्वय | उत्तर प्रदेश की वर्तमान राजनीति में बसपा सरकार के मुकाबिल समाजवादी पार्टी सड़क से सदन तक मजबूती से संघर्ष कर रही है | डॉ लोहिया के विचारो की पार्टी बनाने से शुरु हुआ मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफ़र तमाम उतार-चढाव के बाद आज पुनः जनता की उम्मीदों का केंद्र बिंदु बना है | समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव -सांसद एक बार पुनः क्रांति रथ यात्रा पर निकल चुके है | चार चरण की यात्रा में मिले व्यापक जन समर्थन ने सत्ताधारी बसपा को चौकन्ना व अन्य राजनीतिक दलों को अचंभित कर दिया है | समाजवादी पार्टी के युवा नेता अखिलेश यादव में सौम्यता के साथ साथ जुझारूपन का अनोखा मिश्रण देखने को मिल रहा है | डॉ लोहिया के विचारो की शिक्षा छोटे लोहिया स्व जनेश्वर मिश्र से ग्रहण करने वाले अखिलेश यादव के अन्दर जनता को आकर्षित करने की गज़ब की शक्ति देख कर बरबस लोकनायक जयप्रकाश नारायण याद आ जाते है | डॉ लोहिया के विचारो और जय प्रकाश नारायण के करिश्माई व्यक्तित्व का अनूठा मिश्रण बन के उभर रहे है अखिलेश यादव , यह समाजवादी आन्दोलन के लिए एक शुभ संकेत है | अब समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को सभी समाजवादियो को, सभी समाजवादी दलों की एका की पहल करनी चाहिए | व्यापक जनाधार वाले नेता धरतीपुत्र माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव की समाजवादी एका की पहल से , समाजवादी दलों की एका से उत्तर प्रदेश की विधान सभा २०१२ के ही नहीं वरन पुरे देश के चुनावो में समाजवादी पार्टी व सहयोगियो का परचम लहराएगा व डॉ लोहिया की समाजवादी एका के मनसूबे , आन्दोलन की मजबूती तथा समाजवादी राज्य की स्थापना का संकल्प पूरा होगा | निः संदेह यह कार्य डॉ लोहिया के विचारो की सबसे बड़ी जनाधार वाली पार्टी समाजवादी पार्टी की अगुआई व मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में ही होना संभव है और यह होना ही डॉ लोहिया-जय प्रकाश नारायण के प्रति सच्ची श्रधांजलि होगी समाजवादियो वादियो की तरफ से लोहिया - जय प्रकाश को |

Monday, October 10, 2011

भ्रस्टाचार में शामिल हैं बसपा सरकार के सभी मंत्री - अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज क्रांति यात्रा के दौरान कहा कि प्रदेश की बसपा सरकार में मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक सभी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं, इसके चलते माया सरकार ने जनता का विश्वास खो दिया है। जनता की निगाहों में इस सरकार की कोई साख नहीं रह गई है। इसे अब जाना ही है। अगली सरकार समाजवादी पार्टी की बनेगी तभी कानून का राज स्थापित हो सकेगा। बसपा सरकार ने जो लूट मचाई है उसका हिसाब लिया जाएगा और लुटेरों को कड़ी सजा भी दी जायगी।
अखिलेश यादव आज सीतापुर जनपद के हरगांव, महौली और सिधौली में समाजवादी क्रान्ति रथ से यात्रा के बाद इटौंजा (बख्शी का तालाब) लखनऊ में आयोजित विशाल जनसभा केा संबोधित कर रहे थे।यहाँ पर घोषित प्रत्याशी गोमती यादव के साथ ज्ञान सिंह यादव , प्रेम प्रकाश यादव , धर्मानंद तिवारी,अशोक देव , सुभाष यादव आदि ने क्रांति रथ का स्वागत किया | हर जगह घंटों पहले से भारी भीड़ उनके स्वागत में खड़ी मिली। जोशीले नारों और पुष्पवर्षा के बीच उनका कारवां जिधर से गुजरा नौजवानों का उत्साह छलक पड़ा और साइकिल, मोटर साइकिल, कारों के काकिले के साथ पैदल ही रथ के साथ दौड़ते रहे।
समाजवादी क्रान्ति रथ से अपनी यात्रा के चौथे चरण में अखिलेश यादव को बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के भी कई जगह नौजवानों ने रोककर उनको फूलमालाओं से लाद दिया। सड्क किनारे मकानों के छज्जे पर खड़े लोग युवा नेता की एक झलक पाने के लिए घंटों बेचैन रहे। समाजवादी क्रान्ति रथ के पहुचने पर कई जगह इतनी भीड़ उमडी कि सारी व्यवस्थाएं भंग हो गई।
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर तीखे प्रहार करते हुये कहा कि वे बजट में धन की व्यवस्था के बगैर जिले बनाती जा रही हैं। बिना किसी ठोस योजना के केवल प्रचार के लिए आज ही मुख्यमंत्री ने 6 हजार करोड़ रूपए की योजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास कर दिया। करीब 40 हजार करोड़ रूपए बसपा राज में पत्थर के हाथियों और मुख्यमंत्री की प्रतिमाओं पर लुटा दिए गये । इनसे दलितों का कोई भला होने वाला नहीं है। कानून व्यवस्था दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है।
अखिलेश यादव ने कहा कि किसान, वकील, व्यापरी, शिक्षक सभी इस सरकार की उपेक्षा और दमन के शिकार हैं। नौजवानों को रोजगार मिला नहीं, उल्टे उनको समाजवादी पार्टी सरकार में मिलने वाला बेरोजगारी भत्ता भी बंद हो गया। कन्या विद्याधन योजना रद्द हो गई। समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही समाजवादी पार्टी के कार्यकाल की बंद योजनाएं पुनः चालू की जायेंगी और पिछड़ों, मुस्लिमों तथा किसानों के हित में नई योजनाएं लागू की जाएगीं। सड़क-पुल निर्माण का काम तेजी से होगा। मंहगी शिक्षा पर रोक लगेगी।
सिधौली की जनसभा में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि किसानोें को खाद, पानी, बीज नहीं मिल पा रहा है। बाढ़ में फसल उजड़ गई है। पशुओं की चारे के अभाव में मौते हो रही हैं। इनको राहत देने के बजाए मुख्यमंत्री चीनी मिलें बेचकर कमीशन बटारने में लगी है। किसानों को गन्ना का लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है। चीनी मिल मालिकों को छूट दे रखी है।
इससे पूर्व महोली में प्रत्याशी एवं विधायक श्री अनूप गुप्ता एवं प्रत्याशी श्रीमती आर0पी0 चैधरी के साथ 30 हजार से ऊपर की भीड़ ने श्री यादव का भव्य स्वागत किया। वहाॅ उन्होंने क्रान्ति रथ से जनता को संबोधित किया। इस क्रान्ति रथ यात्रा में भगवती सिंह , सुशीला सरोज ,राजेंद्र चौधरी ,संजय लाखर , सुनील यादव एवं रामसागर यादव भी थे |

Saturday, October 8, 2011

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और लूट का साम्राज्य है- अखिलेश यादव

“उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार और लूट का साम्राज्य है। लोकतंत्र मजाक बनकर रह गया है। गरीबों, बीमारों और किसानों का पैसा पत्थरों और फव्वारों में लगा दिया गया है। अल्पसंख्यकों की दशा खराब है। नौजवान बेकारी से कुंठित है। किसान की जबरन भूमि छीनी जा रही है। मुख्यंमंत्री सिर्फ कालाधन और उगाही के फेर में है। इस भ्रष्ट सरकार को हटाकर ही प्रदेश का भला हो सकता है। समाजवादी क्रान्तिरथ इस संकल्प के साथ ही चल रहा है और तब तक चलता रहेगा जब तक वर्तमान मुख्यमंत्री को कुर्सी से हटाकर उनसे उनके कारनामों का हिसाब नहीं ले लिया जाता है।“
उक्त उद्गार आज समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने क्रान्तिरथ से लखनऊ से लेकर सीतापुर तक जगह-जगह जोशीले स्वागत के बीच व्यक्त किए। जनता में इतना उत्साह था कि पूर्व निश्चित स्थानों से इतर कई जगहों पर भी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हो गए और उन्होने क्रान्तिरथ रोककर अखिलेश यादव को फूलमालाओं से लाद दिया। सैकड़ों कारों का काफिला उनके पीछे था। खास बात यह कि मुस्लिम बड़ी संख्या में जगह-जगह इसमें शामिल हुए। बुर्के में मुस्लिम महिलाएं भी अखिलेश यादव के स्वागत में आई थीं। उनको देखने और सुनने के लिए बच्चे और नौजवान पेड़ों तक पर चढ़ गए थे। महिलाओं ने घरों की छतों से उनपर पुष्पवर्षा की। कई जगह पटाखें दगाकर भी उनका स्वागत किया गया। उनके पीछे विशाल कारवां को देखकर लगता था जैसे क्रान्तिरथ की आंधी आ गई हो।
अखिलेश यादव के साथ पूर्वमंत्री भगवती सिंह, साॅसद सुश्ीाला सरोज, प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी, क्रान्तिरथ में साथ थे। एमएलसी श्री यशवन्त सिंह एवं युवा नेता श्री संजय लाठर, सुनील यादव, आनन्द भदौरिया, नफीस अहमद, धनञ्जय शर्मा , नावेद सिद्दीकी,vikas यादव भी इस यात्रा में शामिल थे।
श्री यादव ने कुर्सी बाजार (बाराबंकी) में धीरेन्द्र वर्मा बाराबंकी जिला महासचिव के कुशल संचालन में आयोजित सभा में 25 हजार से ज्यादा एकत्र जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुसलमानों को आरक्षण की चिट्ठी लिखने से मुसलमानों का भला होनेवाला नहीं हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार ने ही गरीबों, मुस्लिमों, पिछड़ों और किसानों की भलाई नीति बनाई थी और सरकार में उन्हें लाभ पहुॅचाया है। वर्तमान सरकार तो किसानों को बिजली,खाद, बीज, पानी भी नही दे पाई है। उनकी जमीन छीनकर बिल्डरों को बांटती रही है।
उन्होने कहा बसपा राज में अपराधी ही भयमुक्त हैं। छह महीनों में दो सीएमओ की हत्या हो गई। डिप्टी सीएमओ सचान की निर्मम हत्या जेल में हो गई। सरकार के मंत्री भ्रष्टाचार में संलिप्त है। कई विधायक लूट, अपहरण, हत्या के अपराधों में जेल में बंद है। कई मंत्री लोकायुक्त की सिफारिश पर हटाए गए हैं तो अभी कई और मंत्रियों की जांच चल रही है। मुख्यमंत्री कालाधन को ठिकाने लगाने और ज्यादा से ज्यादा लूट में लगी है। श्री यादव ने आव्हान किया कि लोकतंत्र और जनहित में इस बसपा सरकार को हटाने में जनता सहयोग करे। मायाराज के हटने तक यह समाजवादी क्रान्तिरथ चलता रहेगा।
अखिलेश यादव आगे बढ़े तो बेहटा पेट्रोल पम्प पर अपने साथियों के साथ राजेश यादव बबलू ने जबरदस्त स्वागत किया। बेहटा बाजार में भारी भीड़ ने उनका उत्साहपूर्ण स्वागत किया। पैकरामऊ में सुभाष यादव और मो0 नसीम मुन्ना अपने साथियों के साथ मौजूद थे। पलका में अखिलेश यादव ने शांति के प्रतीक कबूतर आकाश में छोड़े तो उनके जिन्दाबाद के नारों से आकाश गंूज उठा। लखनऊ- बाराबंकी की सीमा पर हजारों की भीड़ उनके साथ थी।
अखिलेश यादव के पूर्व निश्चित कार्यक्रम के अनुसार उन्हें आज समाजवादी क्रान्तिरथ यात्रा के चौथे चरण में स्पोर्ट्स कालेज के पास स्वागत के साथ कुर्सी, महमूदाबाद, रेउसा और बिसवां होते हुए सीतापुर जाना था। लेकिन स्वागत स्थल से पहले ही पहाड़पुर चैराहे पर (टेढ़ी पुलिया के पास) पंकज यादव ने बड़ी संख्या में जोशीले नारों के साथ क्रान्तिरथ की अगुवानी करते हुए अपने प्रिय नेता का स्वागत कर किया। स्पोटर््स कालेज पर सर्वश्री गोमती यादव, विजय यादव, अशोक यादव, शकील खाॅ, राम सागर यादव, रामवृक्ष यादव, हनीफ खाॅ, मुजीबुर्रहमान “बबलू“, मो0 एबाद, रामशंकर यादव, जावेद, अशोक यादव देव, संतोष यादव, मुकेश शुक्ला, यामीन खाॅ, राहुल सेन सक्सेना, राजेन्द्र सिंह गप्पू, प्रेमलता यादव, प्रदीप शर्मा ने अखिलेश यादव को फूलमालाओं से स्वागत किया।

कुर्सी बाजार बाराबंकी में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का बहुत ही भव्य स्वागत हुआ। यहां पूर्वमंत्री अरविन्द्र सिंह गोप, पूर्व साॅसद राम सागर रावत, पूर्व विधायक फरीद किदवई, जगदीप यादव, धीरेन्द्र वर्मा ,जरीना उस्मानी, मो0 शाहिद, चै0 कलीमुददीन,पूर्व विधायक रविदास मेहरोत्रा, राम मिलन यादव, अलीम किदवई, कुलदीप वर्मा,ज्ञान प्रकाश मिश्र तथा मौर्य समाज के जिलाध्यक्ष डा0 अम्बरीष कुमार ने अपने प्रिय नेता का शानदार स्वागत किया।
बाराबंकी सीमा पार करते हुए अखिलेश यादव का स्वर्गीय राम सेवक यादव के वंशज विकास यादव ने गांव अनवारी में और अमरसंण्डा में स्थानीय समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने समाजवादी क्रान्तिरथ को रोककर अपने प्रिय युवा नेता को मालाएं पहनाई।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रथ का महमूदाबाद, रेउसा, बिसवां, होते हुए सीतापुर पहुंचने पर जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। जनसमूह के उत्साह के चलते उनकी यात्रा काफी विलम्ब से सीतापुर पहुॅच सकी। अखिलेश यादव आज सीतापुर में ही रात्रि विश्राम कर रहे है और कल, 9 अक्टूबर,2011 को हरगांव, महौली, सिधौली होते हुए लखनऊ लौटते समय इटौंजा (बक्शी का तालाब) में आयोजित जनसभा को सम्बोधित करेगें।

Wednesday, October 5, 2011

समाजवादी धरा पर होगा क्रांति रथ यात्रा पर निकले समाजवादी संघर्ष के नायक का भव्य स्वागत - गोप

अरविन्द विद्रोही बाराबंकी जनपद की कुर्सी विधान सभा से समाजवादी क्रांति यात्रा ८ अक्टूबर को होकर गुजरेगी | क्रांति यात्रा के स्वागत की तैय्यारी में कोई कोर कसार ना रह जाये इसके लिए जनपद की इकाई के साथ समाजवादी पार्टी के विधायक व पूर्व मंत्री अरविन्द सिंह गोप अपने पुरे लाव लश्कर के साथ पुरे मनोयोग से जुटे हुये है | चौथे चरण के कार्यक्रम में बाराबंकी के कुर्सी से क्रांति रथ के निकलने की सूचना मिलते ही जनपद के अध्यक्ष मौलाना मेराज , महासचिव धीरेन्द्र वर्मा , रामनाथ मौर्या ,कुतुब्बुददीन अंसारी , अलीम किदवई , आदि प्रमुख नेताओ के साथ विचार-विमर्श किया |तत्पश्चात सबसे पहले कुर्सी विधान सभा के सभी संभावित प्रत्याशियो की बैठक जिला मुख्यालय में आयोजित करके क्रांति रथ यात्रा के कार्यक्रम के प्रचार - प्रसार करने की व सफल बनाने की जिम्मेदारी अलग अलग दी गयी | इस बैठक के बाद कुर्सी विधान सभा के ही सभी प्रमुख नेताओ की भी बैठक जिला मुख्यालय में आयोजित की गयी | संगठन के लोगो को इस बैठक में न्याय पंचायत स्तर पर क्रांति रथ यात्रा के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी सौपी गयी | ३अक्तुबर को कुर्सी विधान सभा के रीवा-सीवा में ग्राम्य स्तर तक के नेताओ की एक वृहद् बैठक हुई जिसमे समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के द्वारा क्रांति रथ यात्रा के स्वागत की भूमिका स्थानीय स्तर पर बनायीं गयी | यहाँ सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि क्रांति रथ यात्रा की जनसभा का आयोजन कुर्सी बाज़ार में किया जायेगा | आज प्रातः ११बजे से ही समाजवादी पार्टी कार्यालय बाराबंकी में सभी घोषित प्रत्याशियो सहित संगठन के जिम्मेदार नेताओ ने पहुचना शुरु कर दिया | क्रांति रथ यात्रा की तैय्यारियो की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुये समाजवादी नेता अरविन्द सिंह गोप -विधायक ,पूर्व मंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में संघर्षो का ही परिणाम है कि आज क्रांति रथ यात्रा को अभूत पूर्व जन समर्थन मिल रहा है | आम जनता का रुख साफ़ बटा रहा है कि २०१२ के आम चुनावो में समाजवादियो की सरकार बनेगी | अरविन्द सिंह गोप ने कहा कि २०१२ के आम चुनावो में बसपा का सूपड़ा जनता साफ़ कर देगी | ८ को कुर्सी में क्रांति रथ यात्रा के नायक अखिलेश यादव के विचारो को सुनने के लिए ज्यादा से ज्यादा आम जनता कैसे पहुचे , यह जिम्मेदारी हमारी आपकी भी है | बसपा के तानाशाही जुल्मी शासन से ऊब चुकी जनता समाजवादी पार्टी को विकल्प मान चुकी है | अब जनता के साथ जुड़े रहना और उनकी उम्मीदों पर खरे उतारना समाजवादियो का काम है | बैठक कि अध्यक्षता जिला अध्यक्ष मौलाना मेराज और संचालन संगठन के महासचिव धीरेन्द्र वर्मा ने किया | वर्तमान विधायक समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता फरीद महफूज़ किदवई ने भावुक होकर कहा कि मैं पूरण समाजवादी और नेता जी मुलायम सिंह यादव का अनुयायी हूँ| अरविन्द सिंह गोप को मैं अपने दिल से छोटा भाई मानता हूँ| समाजवादी पार्टी के और मेरे व्यक्तिगत दुश्मन रोजाना नयी अफवाह फैलाते है , उन पर कतई ध्यान देने कि जरुरत नहीं है | हम सभी लोग मिलकर जनपद कि सभी6सीटो पर सपा का परचम लहराने में जुट चुके है | पार्टी का हर निर्णय हम सभी को मानना है | इस अवसर पर पूर्व सांसद राम सागर रावत ने जोश भरते हुये कहा कि जनपद बाराबंकी में समाजवाद कि जड़े इतनी गहरे है कि उनको हिलाना कोई आसान काम नहीं है | सभी सीते सपा जीतेगी और समाजवाद का परचम लहराया जायेगा | संचालन कर रहे समाजवादी पार्टी बाराबंकी के महासचिव धीरेन्द्र वर्मा ने सभी समाजवादी साथियो से कहा कि अब वो वक़्त आ गया है जब हमको अपनी एका की ताकत विपक्षियो को दिखानी है | ८ तारीख को क्रांति रथ यात्रा में इतनी जनता जुटा देनी है कि समाजवादी संघर्ष के नायक अखिलेश यादव को यह विश्वास हो जाये कि बाराबंकी में समाजवादी पार्टी जन जन में व्याप्त है | आज की बैठक में राम गोपाल रावत - जैतपुर विधान सभा के प्रत्याशी , सपा अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश सचिव अलीम किदवई , राम नाथ मौर्या , राम मगन रावत -प्रत्याशी हैदरगढ़ ,जिला उपाध्यक्ष राम चन्द्र मिश्र , ज्ञान प्रकाश मिश्र , इज़हार हुसैन , सुरेश यादव , डॉ कुलदीप सिंह ,चौधरी कलीमुद्दीन उस्मानी , उमाकांत श्रीवास्तव , राम मनोहर यादव , दुःख हरण यादव , ज्ञान सिंह यादव , इन्द्रेश सिंह ,फरजान उस्मानी ,आशीष त्रिपाठी , कामता यादव , यशवंत यादव , अलीम गुड्डू ,पारस चौहान ,मास्टर मुस्तफा , सरोज मौर्या , कमलेश यादव , श्याम प्रकाश त्रिवेदी ,नसीम गुड्डू, मोल्हे राम यादव , डॉ अम्बरीश शास्त्री ,जुबेर कमाल आदि प्रमुख नेता गण मौजूद रहे |

कुर्सी विधान सभा के विकास और स्थानीय मुद्दों पर लडूंगा चुनाव - सरवर अली

आखिर कार आज समाजवादी विचारधारा के जन नेता सरवर अली ने तमाम समर्थको - आम जनता के दबाव के चलते आगामी विधान सभा २०१२ में कुर्सी विधान सभा से चुनाव लड़ने का फैसला १६ अक्टूबर को इसरौली चौकी पर आयोजित सभा में सभी की सहमति से करने का निर्णय लिया | आज सुबह ८ बजे से ही उनके समर्थको ने उनके घर पर पहुचना शुरु कर दिया | १० बजे तक सैकड़ो स्थानीय नागरिको के आ जाने से और इनके दबाव के चलते सरवर अली काफिले के साथ आस पास के ग्रामो में भ्रमण और सलाह लेने के लिए निकल पड़े | दर्ज़नो ग्रामो का भ्रमण करने के दौरान सर्व समाज के व्यापक समर्थन और मुस्लिम समुदाय में उत्साह को देखते हुये १६ अक्टूबर को सभा का निर्णय लिया गया | भ्रमण के बाद ग्राम घमसड़ में एक सभा को संबोधित करते हुये समाजवादी नेता पूर्व विधायक सरवर अली ने कहा कि यह मेरी जन्म स्थली है |गाँव की प्रधानी से ,ब्लाक प्रमुख और विधायक बनने तक के सफ़र में मैंने हमेशा दबे , कुचले , मज़लूमो, वंचितों और और आप सभी के हित लिए संघर्ष किया है | लगभग ४० वर्षो के बाद कुर्सी विधान सभा सामान्य हुई है | दुखत बात है की कुर्सी को चारागाह समझ कर बाहरी लोग सिर्फ विधायक बनने के लिए आज हमदर्दी दिखने का नाटक करते घूम रहे है | इन अवसरवादी बाहरी तत्वों को कुर्सी विधान सभा से बाहर का रास्ता दिखाने में कोई कोर कसार नहीं छोड़ेंगे |इस मौके पर प्रमुख रूप से गणेश यादव , डॉ प्रताप , भगौती यादव , चौधरी हनीफ अंसारी ,हाजी हनीफ मंसूरी , पंडित सरजन महराज , प्रधान कौशल वर्मा , कौशल बी डी सी , शब्बू खान , रुखसार खान , हाजी अबरार खान , जुम्मन अंसारी ,मौलवी मोहायदीन , प्रधान मुन्ना अंसारी , लाल मोहम्मद राईन , यासीन अंसारी , श्री केशन गौतम , गयादीन रावत समेत सैकड़ो समर्थक थे |

Sunday, October 2, 2011

समाजवादी साइकिल यात्रा



समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव की क्रांति रथ यात्रा के तीनो चरण में उमड़ी भीड़ से उत्साहित होकर धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव ने कहा कि कार्यकर्ताओ के संघर्ष व बसपा सरकार कि जनविरोधी नीतिओ के कारण आम जनता समाजवादी पार्टी कि सरकार उत्तर प्रदेश में बनाना चाहती है | सभी कार्यकर्ताओ को मनोयोग से घोषित प्रत्याशियो को भारी मतों से जिताने के लिए जुट जाना चाहिए | सरकार बनने पर कार्यकर्ताओ को निर्वाचित विधयाको से ज्यादा महत्व मिलेगा | कार्यकर्ताओ में ख़ुशी की लहर व्याप्त , समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भरा जोश | आज २ अक्टूबर को प्रातः १० बजे गाँधी पार्क - लोहिया नगर गाजिआबाद में भारी तादाद में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता जमा हुये | महात्मा गाँधी के जन्मदिन पर आयोजित समाजवादी साइकिल यात्रा गाँधी पार्क - लोहिया नगर से अम्बेडकर रोड मलिवारा से चौधरी रोड , चौधरी रोड से घंटा घर होते हुये नया बस अड्डा , नए बस अड्डे से हिंडन नदी होते हुये मोहन नगर , मोहन नगर से M4U राजेंद्र नगर मोड़ , राजेंद्र नगर मोड़ से कान्हा काम्प्लेक्स होते हुये डॉ राम मनोहर लोहिया पार्क में समाप्त हुई | इस अवसर पर विवाह योग्य युवक युवतियो का परिचय सम्मेलन भी आयोजित किया गया | इस कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी मौजूद थे |

मानव का धर्म से नाता और पाखंड --अरविन्द विद्रोही

मानव का धर्म से गहरा नाता है |धर्म क्या है , इसका सरल भाव में उत्तर है जो धारण करने योग्य है| मानव को एक सही राह दिखाने की व्यवस्था को धर्म मना जाता है | पाँच तत्वों से निर्मित मानव मात्र की शारीरिक संरचना जन्म लेते समय भेद नहीं करती |विभिन्न उपासना पद्धतियाँ धर्म के स्वरुप में हमारे सामने विधमान है | सनातन धर्म अपनी पुरानी और मानव मात्र ही नहीं वरन ब्रह्माण्ड के चल-अचल जीव-जन्तुओ , जड़ के प्रति अनुराग रखने व व्यवस्था में प्रत्येक का मान-महत्व सुव्यवस्थित रखने के कारण अपनी श्रेष्टता को प्रदर्शित करता आया है | सनातन धर्म अपनी श्रेष्ठ व कल्याणकारी उपासना पद्धतिओं व उपदेशो ,विचारो के कारण अपना विस्तार कर सकता है | दुर्भाग्य वश सनातन धर्म के मतावलंबियो में धर्म के मूल स्वरुप व धर्म ग्रंथो के प्रति रुझान -जानकारी अर्जित करने की सदिक्षा लुप्त प्राय से हो गयी है | गुरु कुल तो खैर बीते ज़माने की बात हो गयी है , स्कुलो -महा विद्यालयों की पुस्तकों में भी धर्म-संस्कृति-राष्ट्र गौरव की कथाओ व चरित्रों का ज्ञान ख़त्म कर दिया गया है, सीमित कर दिया गया है | नैतिकता व सदाचार की शिक्षा आज बेमानी मानी जाने लगी है | साहित्य समाज का दर्पण होता है | साहित्य से ही समाज को दिशा भी मिलती है | आज साहित्य का स्वरूप भी काफी तेजी से परिवर्तित हुआ है | आज पुस्तकों , अखबारों , पत्र-पत्रिकाओ से रेडियो ,दूर-दर्शन तक का सफ़र करते -करते साहित्य इलेक्ट्रानिक मीडिया व अंतर्जाल यानि की इंटरनेट तक आ पहुंचा है | पूर्व में जहा पुस्तके ही ज्ञान प्राप्ति व सूचनाओ का माध्यम होती थी , आज वैश्विक स्तर पर एक स्पंदन मात्र से कोई भी अपने को जोड़ सकता है | ज्ञान व विज्ञानं अपने विकास में गुणोत्तर वृद्धि कर रहे है लेकिन क्या हम अपने मष्तिष्क में सदियो से व्याप्त ग्रन्थियो , अंध विश्वासों से निजात पा सके है ? आखिर हमारा मन मष्तिष्क क्या चाहता है ? धर्म ग्रंधो का बोध ,ज्ञानार्जन का हमें चाव नहीं रहा , फुर्सत नहीं रही विचारो के आदान प्रदान की | विज्ञानं की बातो का आस्थाओ के मसलो पर हमें यकीन नहीं होता | ना धर्म की सम्पुर्न्य बोधता की ललकता ना ही विज्ञानं की कसौटी पर चलने का हौसला | ताजिंदगी श्रुतियो , काल्पनिक मन गढ़ंत घटनाओ के पीछे अंध विश्वास में भागता मनुष्य वास्तव में धर्म के मूल स्वरुप को खंडित करने में अपना महती योगदान देता चला जा रहा है | उपरोक्त सारी बाते लिखने के पीछे मेरे मन में व्याप्त पीड़ा ही है | मेरा जैसा व्यक्ति जो धर्म के पहलु पर लिखने से सदैव परहेज़ करता रहा , आंतरिक पीड़ा व मन की विवशता से यह लिख रहा हूँ | समाज में व्याप्त इश्वर के प्रति , सर्व-शक्तिमान के प्रति , उसके अवतारों के प्रति , उसके बताये मार्गो , वचनों , नियमो के प्रति अटूट श्रधा रखने वाला भारतीय जनमानस बार-बार पाखंडियो के द्वारा छला जा रहा है | ऋषियो-मुनिओ -तपस्विओ की गौरवशाली परंपरा को , उनके तपोबल से उपजी व निर्मित धार्मिक श्रधा को तमाम साधू-संत वेश धारी ठगों ने छलने व धूमिल करने का कुत्सित कार्य किया है | महानगरो के यह ठग अपने मायाजाल में , अपनी बाजीगिरी में नेता-अपराधी-नौकरशाह तीनो को फँसाते रहे है |ठगी का यह जाल सुनियोजित रूप में शहरो-महानगरो में व्याप्त था ही अब ग्रामीण अंचल में भी मेहनत कश किसान -मजदूर की मेहनत की ,खून पसीने की कमाई पर इन पाखंडी लुटेरो की नज़र पड़ चुकी है | ग्रामीण अंचलो में पूर्व में भी या यह कहिये की सदैव से ही वो बाते जन चर्चा बन जाती है जो सत्य नहीं होती |ग्रामीण अंचलो की यह जन चर्चाये पहले ग्रामीण इलाको से ही फैलती थी और अब धर्म के नाम पर अन्धविश्वास और पाखंड का व्यापार करने वाले इन इलाको में सुनियोजित तरीके से चर्चाओ को जन्म दे कर , अपना प्रचार करवा के जनता का भावनात्मक , धार्मिक , आर्थिक दोहन कर रहे है | मानव जीवन में सदाचार , नैतिकता , बंधुत्व , प्रेम , अपनत्व की जगह सिर्फ पाखंड का प्रचार मानव के धार्मिक मूल को नष्ट कर रहा है | उपासना मार्ग की जगह अगर धर्म के तत्त्व व मार्ग का अनुसरण करने की शिक्षा दी जाये व ग्रहण की जाये तो सामाजिक - धार्मिक कुरितियो से छुटकारा मिलने में तनिक देर नहीं लगेगी |