Sunday, September 25, 2011

डॉ लोहिया को भुलाते और सपा नेतृत्व के निर्देशों को नकारते सपाई -----

राजनीतिक दलों में विचार धरा आधारित कार्यकर्ताओ की जगह चुनाव जीतने के फेर में गैर राजनीतिक चरित्र के लोगो,दल बदलुओ को महत्व दे कर प्रत्याशी बना देने का ही दुष परिणाम है कि आज राजनीतिक दल स्वयं में अविश्वनिये हो गये है| डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारो की पार्टी जिसे धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव ने १९९२ में छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र के निर्देश,सहयोग व आशीर्वाद से बनाया था ,आज समाजवादी विचारो - समाजवादी आन्दोलन का प्रचार -प्रसार करने वाली सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी व ताकत है| समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव दुसरे चरण की क्रांति यात्रा समाप्त कर चुके है| जनता में एक उमंग भरने में कामयाब रहे अखिलेश यादव को अपना ध्यान विधान सभा के घोषित प्रत्याशियो के आचरण व क्रिया कलापों की तरफ भी देना चाहिए| अपने भाषणों ,निर्देशो में स्पष्ट रूप से डॉ लोहिया को , जनेश्वर मिश्र को अपना आदर्श , अपना प्रेरणा श्रोत बताने वाले अखिलेश यादव की संगठन छमता ,संघर्ष छमता ,मिलन सारिता के कारण समाजवादी विचारो के समर्पित लोगो में एक नयी आशा की किरण जग चुकी है|डॉ लोहिया व जनेश्वर मिश्र के नाम ,चित्र प्रत्येक पोस्टर,बैनर व विज्ञापन में प्राथमिकता पर दिये जाने का स्पष्ट आदेश देने वाले समाजवादी संघर्ष के नव प्रतीक बन रहे अखिलेश यादव को जान कर कष्ट व हैरानी होगी कि समाजवादी धरा बाराबंकी में समाजवादी पार्टी के छप रहे पुरे पुरे पन्ने के विज्ञापनों में ना तो डॉ लोहिया का चित्र है और ना ही छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र का| आखिर यह क्या है ,यह किस प्रकार का कृत्य है ,इसका चिंतन सपा नेतृत्व को करना चाहिए| डॉ लोहिया को अपना आदर्श ,अपना सब कुछ मानने वाली सपा के प्रचार सामग्री से ,विज्ञापनों से समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया का चित्र व जिक्र तक ना होना एक अत्यंत ही शर्मनाक,गैर जिम्मेदाराना व संगठन के निर्देशो के खुलम खुल्ला उल्लंघन ,अनुशासन हीनता का मामला है या प्रकाशन करवाने वाले लोग समाजवादी पार्टी के विचार धारा के नहीं है,डॉ लोहिया को अपना आदर्श नहीं मानते है और नेतृत्व से ज्यादा प्रभावी है ,यह तय करना समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष का काम है| बाहर हाल बाराबंकी में प्रकाशित हो रहे सपा के विज्ञापन से डॉ लोहिया को मानने वालो को गहरा आघात लगा है| यह आघात नाराज़गी में बदले उसके पहले समुचित कदम सपा नेतृत्व को उठाना चाहिए|