Saturday, November 10, 2012

बाराबंकी पुलिस का रवैया --अपराध न करेंगे दर्ज ,हम रहेंगे मस्त ,ठेंगे से रहो तुम त्रस्त

पिछले शनिवार - रविवार 27-28 की रात मेरे अपने निजी आवास पे हुई चोरी की घटना ने मुझे हैरानी के साथ साथ दहशत जदा भी कर दिया था । शनिवार 27 की रात 1 1.15 के पश्चात् मैं सोने के लिए बिस्तर के हवाले हो गया । घर में मैं अकेला था- पत्नी दोनों बेटों के साथ दशहरे के अवकाश में अपने मायके तहसील फतेहपुर में थी । रविवार 28 को सभी को लेने के लिए 10 बजे सुबह घर से फतेहपुर के लिए निकलने का कार्यक्रम सुनिश्चित कर लिया था यही कारन था कि देर रात तक पढना लिखना न करके सो गया ।फिर एक आहट सी लगने पे अचानक मेरी नींद खुली और मैं बिस्तर से उठ खड़ा हुआ । सोने के कमरे से बगल के बड़े कमरे की तरफ होकर मुंह धोने / लघु शंका करने के लिए बढ़ा , बड़े कमरे से लगे रसोई घर से खाना आदि दिए जाने वाले झरोखा जो कि ईटों से बंद था को खुला देख कर , उसमे से आती रौशनी देखकर मैं चौंक गया । तभी एकदम से नज़र बड़े कमरे से आंगन में खुलने वाले दरवाजे पे गयी और उसको भी खुला देखकर मैं सकते में आ गया । मैं समझ गया कि मेरे घर में कोई घुस चूका है और अपना हाथ साफ़ कर चूका है । बड़े कमरे की मेरी अपनी अध्धयन की मेज पर मेरा लैपटॉप मुझे दिखाई पड़ा । मेरे समझ में तुरंत ये आया कि रसोई के सामान पे चोरो ने अपना हाथ साफ़ कर लिया होगा ।मैं बड़े कमरे से आंगन में आया और बड़े कमरे से बिलकुल सटे रसोई घर को देखा । रसोई का सामान व ईटे बिखरे पड़े मिले लेकिन गैस - सिलेंडर आदि सुरक्षित मिले । आंगन में पड़ी तमाम वस्तुओं के साथ साथ बेटों की साइकिल भी सुरक्षित मिली । अब मेरी घबराहट एकदम से बढ़ गयी कि आखिर कौन आया और किस मकसद से ? कितना बजा है ये देखने के लिए मैं वापस बिस्तर वाले कमरे में आया और अपना मोबाइल तलाशने लगा , बिस्तर पर मोबाइल न मिलने पे मेरा माथा ठनका और तभी मेरी नज़र भीतरी कमरे के दरवाजे के पल्ले पे गयी जहा रात में मैंने अपने कपडे टांग दिये थे, कपड़े भी गायब दिखे । माज़रा लगभग साफ़ हो चूका था , अब समय देखने के लिए मैंने अपना लैपटॉप ऑन किया , उस समय लगभग 4.45 हुये थे । अपने मित्रों से संपर्क साधने के लिए तत्काल मैंने फेसबुक का अपना खाता खोला और अपने वाल पे चोरी की घटना को लिख दिया इस उम्मीद में कि अगर बाराबंकी के , मेरे पड़ोस के कोई भी व्यक्ति तक ये सुचना पहुच जाएगी तो वो मेरे घर आ जायेगा। संपर्क का साधन मोबाइल चोरी जाने के पश्चात् मैंने अंतरजाल को संपर्क के लिए प्रयोग किया । यह लिख कर मैं अपने घर की छत की तरफ चल पड़ा । जीने पे मेरा -पेंट शर्ट पड़ा मिला जिसमे से मेरा पर्स चोर साथ ले जा चूका था । मामूली 35 0 रूपये लेकिन सभी जरुरी कागज मतदाता पहचान पत्र , वाहन चालक अनुज्ञप्ति पत्र , पैन कार्ड , विजिटिंग कार्ड आदि अज्ञात चोर ले जा चूका था । छत से अगल बगल नीचे देखने के पश्चात् मैं दुबारा नीचे कमरे में आ गया । इस समय तक सुबह के 5 बज चुके थे। मैं घर से निकल कर मुख्य मार्ग विकास भवन मार्ग पे आ कर देखने लगा । मुख्य मार्ग निवासी इक श्रीवास्तव परिवार बाहर अपने बेटे को स्टेशन भेजने के लिए खड़ा था ,मैंने उनको भी अपने घर हुई चोरी की घटना बताई और उनके छोटे बेटे से अपना चोरी गया मोबाइल नंबर मिलाने को कहा , उसने तुरंत मिलाया लेकिन तब तक फ़ोन बंद हो चूका था । मिलाते रहना थोड़ी थोड़ी देर में यह कहने के बाद मैं अपने घर आ गया ।थोड़ी देर बाद कुछ समझ में न आने के कारण मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले अनिल श्रीवास्तव को घर से बाहर निकल कर उनके मुख्य द्वार से आवाज देकर जगाया और उनको अपने घर हुई घटना की जानकारी दी । वो तत्काल निकले और मेरे घर में कमरे-रसोई से लेकर छत तक गये । उनके घर के लोग भी जग गये और अपनी छत पर पड़ोसी प्रेम पाठक,उनकी पत्नी ,अनिल श्रीवास्तव की पत्नी भी पहुच गये । मैंने अपने पत्नी को फ़ोन करने के लिए अनिल श्रीवास्तव से फ़ोन माँगा तो उन्होंने सलाह दिया की अभी सुबह के 5.30 ही है , थोड़ी देर बाद करियेगा । वो भी अपने मोबाइल से मेरा नंबर मिलाये लेकिन चोर उसे बंद कर ही चूका था । थोड़ी देर में सभी लोग अपने घर चले गये । मैं एक बार फिर अपने घर में अकेला था ,कुछ देर बाद फेसबुक पर नज़र डाली तो स्थानीय दो -तीन मित्र ऑनलाइन दिखे , उन सभी को मैंने सन्देश दिया और मेरे एडवोकेट मित्र मो सबाह - प्रतिनिधि माननीय बेनी प्रसाद वर्मा (केंद्रीय इस्पात मंत्री ) ने जवाब दिया ,मैंने उन्हें ऑनलाइन चोरी की घटना की जानकारी दी और उन्होंने 30 मिनट के अन्दर मेरे घर आने की बात कही । कुछ देर बाद मैं फिर घर से बाहर सड़क पे निकला ,पड़ोस में ही रहने वाले मतीन अहमद प्रातः भ्रमण के अपने दैनिक चर्या के अनुसार मिल गए , उन्हें भी बताया । वो भी तुरंत मेरे मेरे घर और सब जगह देखे । कुछ मिनट के पश्चात् मतीन अहमद अपने घर चले गए और मैं अपने छत से लेकर बहार सड़क तक चहल कदमी करने लगा । कुछ ही देर में मो सबाह अपने वायदे के मुताबिक आ गये । सुबह के सात बजने को थे । मो सबाह के आने से मुझे थोडा सुकून मिला और मैंने कॉफ़ी बने और दोनों लोगो ने पी । इस बीच मो सबाह के मोबाइल से पत्रकार साथी मो अतहर - जिला संवाददाता , पंजाब केसरी को फ़ोन किया पर उनका मोबाइल उठा नहीं । उसके बाद समाजवादी पार्टी के नेता धीरज गुलसिया को फ़ोन से घटना की जानकारी दी और उन्होंने भी जल्दी मेरे घर आने को कहा । घटना की सूचना देने व प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन पत्र मो सबाह ने मेरे निवेदन पे मेरे बताये अनुसार लिखा । लगभग आधे घंटे बाद मो सबाह अपने घर के लिए चले , मैंने उनसे कहा कि अगर अतहर भाई का फ़ोन आयेगा तो उनको मेरे यहाँ चोरी की घटना से अवगत करा दीजियेगा और मैंने अपने घर बुलाया है ये कह दीजियेगा । मो सबाह के जाने के पश्चात् मैं अपनी छत पे गया और बगल में निवासी अनिल श्रीवास्तव जो अपनी छत पर अपने किसी सहकर्मी से वार्ता कर रहे थे, से बात करने लगा । उन्ही से मोबाइल लेकर मैंने अपनी को घर में घटित चोरी की घटना को बताया और कहा कि तुम किसी के साथ बच्चो को लेकर जल्द से जल्द आ जाओ । तभी सपा नेता धीरज गुलसिया आ गये और मैं नीचे आ गया ।उनके घटना स्थल देखने के पश्चात् मैंने कहा कि घटना की सुचना चलकर कोतवाल दे दी जाये और उन्होंने तुरंत हामी भरी और कहा कि चलिए । कमरे और मुख्य द्वार में ताला लगा कर मैं उनके साथ कोतवाली पंहुचा तब तक शायद 8बजने वाले थे । कोतवाली में मौजूद पुलिस कर्मी ने कहा कि अभी कोतवाल साहब नहीं है , 10 बजे के बाद आ जाइये , प्राथमिकी भी दर्ज हो जाएगी और कोतवाल साहब के से कुछ कार्यवाही भी हो जाएगी । मैं वापस अपने घर आ गया और दैनिक क्रिया से निवृत होने के पश्चात् कमरे में ही लेट गया । लगभग 9 बजे दो पुलिसकर्मी आये और मौका मुआयना देखने लगे ।कमरा , रसोई , आंगन और छत सभी जगह देखने के पश्चात् बड़े कमरे में बैठ कर वार्ता करने लगे तभी पंजाब केसरी के जिला संवाददाता मो अतहर और एक अन्य पत्रकार साथी अब्बास भी आ गये । उनके घर के अन्दर आने के चंद मिनट बाद ही आवास विकास चौकी प्रभारी सतीश यादव को साथ लेकर धीरज गुलसिया आ गये । सभी लोग एक साथ कमरे , रसोई , आंगन को देखते हुये छत तक गये और फिर कमरे में आकर बैठ गये । त्वरित कार्यवाही की बात कहते हुए चौकी प्रभारी ने स्वयं घटना का प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र माँगा ,जो की मैंने तुरंत दे दिया । दो दिन के भीतर चोरी के खुलासे की बात और समुचित कार्यवाही करने का आश्वासन देकर चौकी प्रभारी और अन्य पुलिस कर्मी चल दिये । यह सब 10.30 बजे तक हो गया , पुलिस चौकी प्रभारी के आने और उसके कथन से तब मुझे बहुत सुकून मिला था । दोपहर में परिवार वापस आ गया , साफ -सफाई और लोगो के आने जाने वार्ता में ही शाम हो गई । सोमवार और मंगलवार को फ़ोन से चौकी प्रभारी से मामले की प्रगति लेता रहा । मामले में प्रगति शून्य प्रतीत होने व चोरी का तक दर्ज न होने के बाबत जब चौकी प्रभारी से मैंने कहा तो उन्होंने कहा कि चोरी की जगह गुमशुदगी की दरखास्त दे दीजिये , चोरी की प्राथमिकी मत दर्ज कराइए । मैंने कहा कि जब चोरी हुई है तो गुमशुदगी की बात कैसे लिखूं? समाजवादी पार्टी के वरिष्ट नेता अरविन्द यादव - पूर्व विधान परिषद् सदस्य , जिला सचिव ज्ञान सिंह यादव , धीरज गुलसिया आदि ने भी चोरी की प्राथमिकी दर्ज करने और कार्यवाही करने के लिए सतीश यादव - चौकी प्रभारी आवास विकास कालोनी से कहा । अंततः शनिवार 3नवम्बर को बाराबंकी कोतवाल संतोष सिंह से पत्रकार साथी मो अतहर ,आशुतोष श्रीवास्तवा , रेहान के साथ प्रातः 10.30 पे मिला । कोतवाल बाराबंकी संतोष सिंह ने कहा कि दो - तीन दिन का मौका और दे दीजिये , अभियोग पंजीकृत के साथ साथ तब तक अपराधी भी सर्विलांस के द्वारा पकड़ में आ जायेंगे । साथी पत्रकारों की सलाह से मैंने भी कहा कि ठीक है सोमवार तक ही अभियोग पंजीकृत कर दीजियेगा । कोतवाल ने कहा कि गुमशुदगी अभी दर्ज करा दीजिये , मैंने इंकार और कहा कि चोरी हुई है , चोरी की रिपोर्ट लिखिए । खैर सोमवार 5 नवम्बर को अभियोग दर्ज करने और अभियुक्त का पता लगाने का आश्वासन मिल चूका था और पीरबटावन में किसी मामले की सुचना आने के कारण कोतवाल को वहा जाना था । औपचारिक नमस्कार के पश्चात हम सभी लोग बाराबंकी कोतवाली से निकल गये । कोतवाली से निकलने के पश्चात मेरा कार्यक्रम एकदम से मझगवां शरीफ तहसील फतेहपुर जाने का बन गया । शाम को लगभग 6बजे वहा से वापस बाराबंकी घर पंहुचा । इस दौरान कई पत्रकारों ने बाराबंकी कोतवाल संतोष सिंह व आवास विकास चौकी प्रभारी सतीश यादव से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कहा , लेकिन आपराधिक घटनाओं को ना दर्ज करने की फितरत के चलते अभियोग पंजीकृत पुलिस द्वारा नहीं किया गया । पुलिस के प्राथमिकी तक ना दर्ज करने के कारण मंगलवार 6 नवम्बर को तहसील दिवस के अवसर अपने घर हुई चोरी की घटना और पुलिस द्वारा कार्यवाही ना करने की सूचना और प्राथमिकी दर्ज किये जाने का प्रार्थना पत्र सुनील चौधरी -सदर उप जिला अधिकारी को दिया । उनके साथ सी ओ सिटी दीपेन्द्र चौधरी मौजूद थे , पूरा प्रकरण समझने के पश्चात अधिकारी द्वय ने स्पष्टतः कहा कि कल आप कोतवाली से चोरी की घटना की प्राथमिकी रिपोर्ट की प्रति ले लीजियेगा । दूसरे दिन शाम को पता करने पे अभियोग दर्ज ना होने की जानकारी मिली । गुरुवार 8 नवम्बर को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को बाराबंकी आना निश्चित था ,7नवम्बर की शाम को चौकी प्रभारी सतीश यादव ने वार्ता करने पे कहा कि कोतवाल साहब सहित सभी उसी में व्यस्त हैं , कार्यक्रम के पश्चात प्राथमिकी दर्ज हो जायेगी । 8 नवम्बर को सपा प्रमुख आये और चले भी गए ,आज शनिवार 10नवम्बर तक भी मेरे घर शनिवार - रविवार 27-28 को हुई चोरी की घटना को बाराबंकी की पुलिस ने दर्ज नहीं किया है । गुरुवार 8 नवम्बर को एक सुखद लेकिन हैरान कर देने वाला वाकया हुआ । दोपहर बाद करीब 3.15 बजे जब मैं पंजाब केसरी के बाराबंकी कार्यालय में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के द्वारा दिए गये भाषण पे पत्रकार साथियों से विचार विमर्श कर रहा था तभी मेरे पडोसी मतीन अहमद जी का फ़ोन आया । उन्होंने कहा कि तत्काल आ जाओ ,तुम्हारा पर्स मिला है । तत्काल वहा मौजूद अब्बास भाई के साथ अपने मोहल्ले आ गया । मेरे घर के चंद कदम पहले विकास भवन मार्ग पे ही मतीन भाई का निर्माणाधीन अतिथि गृह है , वही मतीन भाई मिले । मुख्य मार्ग पे सड़क के किनारे ईटों का एक चट्टा लगा हुआ है , उसी पे मेरा चोरी गया पर्स एक ईटें से दबा कर रखा था ,जिसको वहा कार्य कर रहे मजदूर ने देखा था और मतीन भाई को सूचना दी । खैर ,मैंने पर्स मिलने की सूचना तत्काल चौकी प्रभारी सतीश यादव को दिया और उन्होंने एक घंटे में आने को कहा , दुर्भाग्यवश आज 10नवम्बर दिन शनिवार दोपहर 1.25 तक भी लगभग 46 घंटे बीत जाने के बाद भी चौकी प्रभारी का एक घंटा नहीं हुआ । बाराबंकी में आवास विकास चौकी प्रभारी सतीश यादव की इन हरकतों से साफ़ समझ में आ चूका है कि पुलिस अपराधी को संरक्षण दे रही है।पड़ोसियों और मित्रों की सलाह से मैंने कल 9नवम्बर को अपना पर्स वहा से उठा के अपने कब्जे में ले लिया । पुलिस की इन सारी गैर जिम्मेदाराना व भ्रष्टाचार युक्त आचरण की जानकारी मैंने सुनील चौधरी - उपजिलाधिकारी को दिया । उनके द्वारा भी पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने व कार्यवाही करने को निर्देशित किया गया था , जिस को तक नज़र अंदाज़ पुलिस कोतवाल द्वारा किया गया । कोतवाली अंतर्गत आवास विकास कालोनी चौकी इलाके में अपराधों को दर्ज न करने के सिलसिले का ताज़ा प्रमाण मेरे अपने निजी आवास में पिछले 27-28 की रात हुई चोरी की प्राथमिकी आज तक दर्ज न किया जाना है । कोतवाली इलाके में अपराध हो ही नहीं रहे है ये साबित करने के लिए प्राथमिकी ही नहीं दर्ज करी जाती है । कोतवाली अंतर्गत आवास विकास कालोनी चौकी इलाके में तमाम चोरी की घटनायें प्रकाश में आई है जिनकी प्राथमिकी नहीं दर्ज की गयी है । चौकी प्रभारी आवास विकास कालोनी और बाराबंकी शहर कोतवाल दोनों लोग मेरे अपने घर हुई चोरी की घटना की प्राथमिकी दर्ज करने में हीला हवाली कर रहे है ।अपराधों पर नियंत्रण और अपराधियों पे नकेल कसने के स्थान पर बाराबंकी कोतवाली पुलिस अपराध छुपाने और अपराधियों को बचाने में जुटी हुई स्पष्टतः दिखाई दे रही है । वसूली अभियान को अपना पहला व अंतिम ध्येय बना चुकी बाराबंकी कोतवाली पुलिस की नाक के नीचे अनवरत घटित आपराधिक घटनाओं से यह साबित हो रहा है कि कोतवाली बाराबंकी के पुलिस कोतवाल/चौकी प्रभारी गैर जिम्मेदार व कर्त्तव्य निर्वाहन के प्रति लापरवाह है । बाराबंकी पुलिस के इस कदाचरण , मनमाने आचरण और अभियोग ना दर्ज कर अपराधियों को संरक्षण देने के मामले को अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मा अखिलेश यादव एवं पुलिस व गृह विभाग के आला अधिकारीयों के संज्ञान में सोमवार 12नवम्बर को इस मामले का शिकायती पत्र सौंप कर कराऊंगा और घटना की प्राथमिकी दर्ज करवाने के निवेदन के साथ साथ इन गैर जिम्मेदार पुलिस कर्मियों को उचित दंड दिए जाने का भी अनुरोध करूँगा ।