Sunday, January 1, 2012

नव वर्ष के अवसर पर पूंजी वाद का उल्लास,बेबस आम जन -अरविन्द विद्रोही-

वर्ष २०११ के विदाई और वर्ष २०१२ के आगमन की बेला में सप्ताह भर चले रात के उत्सवो ने जहा लाखो नागरिको को आनंदित कर के ऐश्वर्य के रसा स्वादन का अवसर दिया वही दूसरी तरफ करोडो-करोड़ आम जन ,मेहनत कश तबका पूंजी वाद के , ऐश्वर्य व भोग विलास के इस अदभुत नज़ारे को देख कर ,सुनकर हतप्रभ से है | नव वर्ष २०१२ के बधाई संदेशो से शुरु हुआ नव वर्ष २०१२ के आगमन का उत्सव २०११ के अंतिम दिन तो सुरा-सुंदरी व ऐश्वर्य का संगम बन गया |यह रात वह रात थी जिसमे खुशियां सिर्फ धनवानों की तिजोरी से निकली रकमों से बटोरी गयी ,रात की कालिमा में रूप की बोली लगी ,प्यार के नाम पर वासना का नग्न नृत्य हुआ तथा कार्यक्रमों के नाम पर देह का खुल्लम- खुल्ला प्रदर्शन जम कर हुआ | बेशर्मी की सारी हदों को तोड़ते हुये आयोजित कार्यक्रमों को घर घर टेलीविजन के माध्यम से देखा और दिखाया गया | लगभग १०दिन पूर्व से ही नव वर्ष की मुबारकबाद नव वर्ष मंगल मय हो आदि आदि लोगो ने अपने अपने परिचितों से कहना शुरु कर दिया | आखिर यह आने वाला नव वर्ष सिर्फ कहने मात्र से मंगल मय कैसे होगा यह मेरी समझ से परे है | सिर्फ औपचारिकता निभाने हेतु बधाई संदेशो का आदान प्रदान जारी रहा | यह औपचारिकता भरे तमाम अवसरों पे दिये जाने वाले बधाई सन्देश तो हम सभी अपने जीवन में देते व लेते ही आ रहे है,क्या इन संदेशो से कोई भी खुशिया मिली ,यह सोचने की बात है | अमुक ने बधाई सन्देश दिया यह ख़ुशी जरुर मिलती रही है,लेकिन अगर किसी अवसर पे उसी ने नहीं दिया तो मन भी क्लांत हो जता है | कोई सार्थक परिवर्तन मेरे अपने जीवन में ,मानव जीवन में, आम जन के जीवन में कैसे हो ,क्या हो कि अगले वर्ष २०१३ के आगमन पर ह्रदय से बधाई सन्देश सभी के मुखारविंद से निकले कि आने वाला नूतन वर्ष आप सभी को भी मंगल मय हो तो बात बने | बीते वर्ष २०११ के शुरुआत में भी तमाम इसी तरह कि बधाई संदेशो का आदान प्रदान हुआ था |क्या वर्ष २०११ में आम जन को कोई भी ख़ुशी नसीब हुई है? वर्ष २०११ में तो अपने हक़ की आवाज़ उठाने वालो को आजाद भारत की सरकारों की पुलिसिया तंत्र ने अपने बूटों तले रौंद डाला ,ब्रितानिया हुकूमत की दरिंदगी को मात देते हुये हुक्मरानों ने जन भावनाओ की तनिक भी परवाह ना की | क्या २०१२ में आम जन का हक़ उनको मिलेगा ? क्या सच मुच खुशियां नसीब होंगी ?

फरीद के जनाधार और गोप के राजनीतिक चातुर्य के आगे आखिर-कार सरवर ने घुटने टेके

अरविन्द विद्रोही ............. आख़िरकार महंगाई,भ्रष्टाचार,जातिवाद,फिरका परस्ती ,राजनीतिक गिरावट के खिलाफ लडाई लड़ने का दम भरते भरते सरवर अली-पूर्व विधायक एक बार पुनः समाजवादी पार्टी को मजबूत करने के लिए सपा में शामिल हो गये | समाजवादी पार्टी ,कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी सभी दलों में रहे और अब पुनः सपा में आये सरवर अली-पूर्व विधायक महीनो से समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए गोटिया बिछा रहे थे |प्रत्येक दांव बेअसर जाने के बाद उनके द्वारा विगत १३ दिसंबर को देवा से महादेव तक की संकल्प यात्रा निकाली गयी,इस यात्रा में तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओ ने अपनी भागीदारी दी ,जिसमे सरवर अली -पूर्व विधायक ने जमकर राजनीतिक गिरावट पे प्रहार किया |सपा में शामिल ना कराये जाने से , सपा से टिकेट ना होने से नाराज़ सरवर अली -पूर्व विधायक को किसी भी अन्य राजनीतिक दल ने तवज्जो नहीं दी | समाजवादी पार्टी के नेता अरविन्द सिंह गोप ने अपने राजनीति समझ दारी का परिचय देते हुये सरवर अली से संपर्क बनाये रखा वही दूसरी तरफ कुर्सी से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी फरीद महफूज़ किदवई निः वर्तमान विधायक ने कुर्सी विधान सभा में अपने जन संपर्क को तेज़ कर दिया | बाराबंकी जनपद में मुस्लिमो के सबसे बड़े नेता कि अपनी छवि के बलबूते फरीद ने सरवर अली के होश उड़ा दिये | मुस्लियो के बीच फरीद महफूज़ किदवई की मजबूत पकड़ देख कर कोई और राजनीतिक रास्ता ना बनते देख कर सरवर अली ने राजनीतिक मज़बूरी के तहत और गोप के द्वारा बिछाई गयी राजनीतिक बिसात में आकर बीते कई महीनो से सड़क पर,सभाओ में की जा रही बातो को बिसरा कर शायद बंद कमरे में हुये किसी समझौते ,राजनीतिक सौदेबाजी के तहत समाजवादी पार्टी की सदयस्ता ली है | गौरतलब है कि सरवर अली के साथ हालिया निकाली गयी संकल्प यात्रा में शामिल किसी भी अन्य प्रभावी नेता या सामाजिक कार्यकर्ता ने समाजवादी पार्टी की सदयस्ता नहीं ली है | समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव का साथ बीते लोकसभा में छोड कर चले जाने वाले सरवर अली कितने दिनों तक समाजवादी पार्टी में रहेंगे यह चर्चा उनके द्वारा समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने की खबर के साथ ही शुरु हो चुकी है |बहर हाल सरवर अली किन कारणों से समाजवादी पार्टी में शामिल हुये इसको लेकर राजनीतिक हलको में चर्चा अपने शबाब पर है | जो भी हो एक बार पुनः समाजवादी पार्टी की राजनीति में अरविन्द सिंह गोप ने अपनी राजनीति चातुर्य को बखूबी अंजाम देते हुये महीनो से अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे सरवर अली को समाजवादी आशियाने में जगह देकर आगामी विधान सभा २०१२ में सरवर अली के भरपूर उपयोग करने की आधार-शिला रख ही दी है| एक बार पुनः अरविन्द सिंह गोप ने समाजवादी पार्टी के विस्तार के क्रम में अपना महती योगदान देकर अपनी उपयोगिता बढ़ाई ही है |