Wednesday, April 11, 2012

राजस्व विभाग और पुलिस के मनमाने और भ्रष्ट रवैये को उजागर करते है संदुपुर के हालात


अरविन्द विद्रोही ...................... निश्चित कार्यक्रम के अनुसार मैं लगभग ११ बजे तहसील फतेहपुर पहुच गया | वहा पहुच के फतेहपुर के पत्रकार साथियों के साथ बैठ कर संदूपुर की घटना के विषय में सबसे विचार- विमर्श किया | फतेहपुर के अधिवक्ता गण संदूपुर निवासी अपने साथी अधिवक्ता यादवेन्द्र प्रताप सिंह और उनके परिजनों की संदूपुर की घटना में फर्जी नामज़दगी को हटाये जाने की मांग को लेकर न्यायिक कार्यो से विरत आज भी रहे | तमाम अधिवक्ताओ से मुलाकात के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि जिन भी अधिवक्ताओ का जुडाव जनता से राजनीतिक रूप से भी है उनसे भ्रष्ट राजस्व कर्मी और भ्रष्ट पुलिस कर्मी दोनों बुरी तरह चिढ़ते है | इन भ्रष्ट कर्मियों के द्वारा आम जनता के आर्थिक उत्पीडन के विरोध करने वाले यादवेन्द्र सिंह यादव ने कई बार कलम और कई बार सीधे मोर्चे पे भ्रस्टाचार के खिलाफ लडाई लड़ी है | यही मूल कारण रहा है कि संदूपुर कि घटना में जो की राजस्व कर्मियों और पुलिस के लापरवाह और मनमाने -भ्रष्ट रवैये कि देन है में यादवेन्द्र सिंह यादव की और उनके परिजनों की नामजदगी की गयी | हालिया घटित विवाद के पीछे ग्राम पंचायत की नव निर्वाचित प्रधान शकुंतला के पति पप्पू वर्मा का हाथ होने का आरोप लगाते हुये स्थानीय ग्रामीणों ने एक शिकायती पत्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी प्रेषित किया है | इस शिकायती पत्र के आधार पे , उसमे दिये गये तथ्यों का संदुपुर में मौके पे जाकर अवलोकन करने पे प्रथम दृष्टया ग्राम प्रधान पति पप्पू वर्मा की मनमानी और चुनावी रंजिशन बदले की भावना से विपक्षियों का राजस्व कर्मियों और पुलिस कर्मियों की मदद से उत्पीडन की बात सत्य प्रतीत होती है | कल जब दोपहर २ बजे अनूप सिंह , नीरज शर्मा , हृदेश श्रीवास्तव , सोनेलाल , सर्वेश श्रीवास्तव , अशोक रस्तोगी , राकेश कुमार वर्मा के साथ मैं संदुपुर में ग्रामीणों से और शिकायती पत्र के बिन्दुओ का अवलोकन करने पंहुचा तो हतप्रभ रहा गया | नक़्शे में दर्शाए गये चक मार्ग की जगह प्राथमिक विद्यालय की जमीन से रास्ता निकलवाने का मामला , हरे वृक्षों को कटवाने का मामला , गाँव के मंदिर पे जबरन कब्ज़ा करवाने के मामले में प्रधान पति का नाम सामने आया | गाँव के मंदिर में जबरन कब्ज़ा करने की कोशिश करने में विरोध करने वालो से प्रधान पति पप्पू वर्मा रंजिश मानते हुये उनको उत्पीडित करने में लग गया और उसकी ही परिणिति है कि पंचायत मित्र के परिजन राजेंद्र से बलराम सिंह , अर्जुन आदि से नाली और रास्ते का विवाद पैदा करवाया | इस मामले की शिकायत बलराम सिंह ने २० जनवरी को पुलिस कप्तान व २५ जनवरी को ही तत्कालीन जिला अधिकारी से कर दी थी | प्रशासन द्वारा कोई प्रभावी कार्यवाही ना होने के कारण ३ फ़रवरी को बलराम सिंह ने दीवानी न्यायलय की शरण ले ली जिसकी जानकारी के बाद १२ फ़रवरी को पुलिस , हल्का लेखपाल के साथ मिलकर राजेंद्र व पप्पू वर्मा ने बलराम सिंह की दीवार तोड़ने का प्रयास किया जिसकी आपत्ति करने पर थाने में दोनों पक्षों को बुलाकर ३० हज़ार रूपये की मांग दीवार ना गिराए जाने की एवज़ में करने की बात भी शिकायती पत्र में स्पष्ट रूप से है | इसी दिन बलराम सिंह के भाई उमेश व बेटे यदु नाथ को पुलिस ने जेल भेज दिया और दुसरे दिन राजेंद्र आदि ने दीवार हटाने की बात कहते हुये अर्जुन को मारा पीटा , इस मार पीट की घटना को भी पुलिस ने संज्ञान में नहीं लिया | २५ फ़रवरी को दीवानी न्यायलय ने इस मामले में कमीशन आख्या प्राप्त होने पर यथा स्थिति बनाये रखने का आदेश जारी किया जो आज तक प्रभावी है | माननीय न्यायलय के आदेश के अनुपालन के स्थान पे प्रधान पति पप्पू वर्मा और राजेंद्र की मनमानी को पुलिस कर्मियों द्वारा संरक्षण देने की शिकायतों पे कोई भी प्रभावी कार्यवाही ना होने का परिणाम है कि २८ मार्च को बलराम सिंह का छप्पर पुलिस कर्मियों राजेंद्र यादव और इम्तियाज़ कि मौजूदगी में राजेंद्र और उनके साथियों ने जला दिया , जिसके कारण उपजे जनाक्रोश को भापकर दोनों सिपाही भागे और गिरकर और दोनों तरफ से हो रही गुम्मेबजी में चोटिल भी हुये | जिसकी सुचना फ़ोन पे प्रशासन के अधिकारीयों को दी गयी थी | पुलिस कर्मियों की मिलीभगत और न्यायलय की जगह खुद ही फैसला करने के रवैये ने संदुपुर में संघर्ष की आधारशिला को एक नया आयाम दे दिया है | इस दुर्भाग्य पूर्ण घटना में पीड़ित ग्रामीण जनों को ही भ्रष्ट पुलिस कर्मियों की गलत बयानी के चलते अभियोगी बना देना और भी दुखद है | आगजनी के पश्चात् इन्ही सिपाहियों ने संदुपुर में प्रिय यादव पत्नी विमल कुमार और उसके बच्चो के साथ जो अभद्रता किया है वो इस मामले में इन पुलिस कर्मियों की संलिप्तता को उजागर करता है | इन सिपाहियों के लाइन हाज़िर होने से एक छनिक आशा की ज्योति जो प्रशासन ने जलाई है वो प्रभावी कार्यवाही की देरी में बुझ ना जाये यह देखने की बात है | संदुपुर में सार्वजनिक उपयोग की भूमि बंजर , चारागाह , खलिहान पे किन किन व्यक्तियों का कब्ज़ा है , राजस्व कर्मियों ने इन कब्जो पे अपनी रिपोर्ट दी है की नहीं ये न्यायिक जाँच से सामने आ सकता है | संदुपुर में एक राजस्व कर्मी के ही कब्जे में सार्वजनिक भूमि के होने की बात सामने आ रही है | प्रशासन को त्वरित कार्यवाही करते हुये निष्पक्ष कार्यवाही सुनिश्चित करनी चाहिए | जिन पीड़ित परिवारों के पुरुषो पे अभियोग दर्ज हुआ है उनके घर की महिलाएं दहशत भरी जीवन को जी रही है , बच्चो की मासूमियत की जगह एक अनजाने खौफ ने ले लिया है |