Friday, July 27, 2012

डॉ लोहिया और समाजवाद के आइने में सपा सरकार का अक्स


अरविन्द विद्रोही ....................................................... डॉ राम मनोहर लोहिया युग दृष्टा थे | समाजवादी विचारो के प्रचारक व आम जनता के हित के तमाम कार्यक्रम देने वाले , सिद्धांतो का प्रतिपादन करने वाले तथा जन संघर्षो को खड़ा करने वाले डॉ लोहिया आम जनता के हित की सरकारों के गठन का प्रयास करते थे और सरकारों पर जन नियंत्रण का प्रभावी काम भी करते थे | डॉ लोहिया के विचारो - सिद्धांतो - संघर्षो की कसौटी पर खरे उतरे बगैर कोई भी समाजवादी सरकार सफल नहीं मानी जा सकती है | वर्तमान में डॉ लोहिया के विचारो पर १९९२ में बनी समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व में सरकार चल रही है | यह सरकार जनता के विश्वास रूपी मतों से निर्वाचित हुई है | आम जनता ने सुश्री मायावती के नेतृत्व में चल रही तत्कालीन बहुजन समाज पार्टी की सरकार में व्याप्त भ्रस्टाचार , नौकरशाही के दबदबे से त्रस्त आकर बसपा सरकार के खिलाफ सड़क पर लगातार संघर्ष कर रहे समाजवादी कार्यकर्ताओ की मेहनत को देखते हुये बसपा को सत्ता से बेदखल किया | समाजवादी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र ने बसपा सरकार के भ्रस्टाचार से त्रस्त जनता के साथ साथ बेरोजगार युवाओ को आकर्षित करने में सफलता पाई और सोने पर सुहागे का काम किया था | बसपा सरकार को दुबारा ना आने देने के लिए कृत संकल्पित मतदाताओ के मन को पक्का किया था- क्रांति रथ पर निकले , उम्मीदों की साइकिल पर सवार युवा समाजवादी अखिलेश यादव के जन आकर्षण की छमता और सौम्यता पूर्ण आचरण ने | वर्षो के पश्चात् संघर्ष के बलबूते सत्ता में वापस आए समाजवादी कार्यकर्ताओ की आशा के केंद्र बिंदु बने मुख्य मंत्री अखिलेश यादव को अब समाजवादी पुरोधा डॉ राम मनोहर लोहिया की बातों का पुनः स्मरण करना होगा | डॉ लोहिया ने वर्षो पहले ही चिंता व्यक्त करी थी कि --- किसी भी बड़े आन्दोलन में एक अजीब तरह की वाहियात चीज या मोड़ बन जाया करता है | एक तरफ वे लोग कि जो आन्दोलन के उद्देशों के लिए तकलीफ उठाते है , दूसरी तरफ वे लोग जो आन्दोलन के सफल होने के बाद उसके हुकुमती कम-काज को चलते है | और आप याद रखना कि ये संसार के इतिहास में हमेशा ही हुआ है | लेकिन इतना बुरी तरह से नहीं हुआ कभी जितना कि हिंदुस्तान में हुआ है | और मुझे खतरा लगता है कि कही सोशलिस्ट पार्टी कि हुकूमत में भी ऐसा ना हो जाये कि लड़ने वालो का तो एक गिरोह बने और जब हुकूमत का काम चलाने का वक़्त आए तब दूसरा गिरोह आ जाये | समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल की बातो पर चर्चा के बजाये वर्तमान समाजवादी सरकार के द्वारा अल्प काल में लिए गये फैसलों पर निष्पक्ष नज़र डालने से उम्मीदों की साइकिल की रफ़्तार धीमी , पकड़ कमजोर और दिशा गंतव्य से अलग जाती दिखती है | समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने नव गठित सरकार को काम करने के लिए ६ माह का समय देने और उसके पश्चात् काम काज का आकलन करने की बात करी थी और अपने आकलन में शत प्रतिशत सफल सरकार बताया था | सपा मुखिया ने हालिया संपन्न विधान सभा चुनाव में कार्यकर्ताओ से कहा था कि सरकार बनने के पश्चात् उनके सम्मान में कोई कसर नहीं रखी जाएगी और इस बात को सरकार गठन के पश्चात् भी दोहराया गया | आम जनता की बात दीगर है, आज समाजवादी पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता भी हताशा के दौर में पहुच चुका है , उसे लोकसभा चुनावो में जनता के बीच दुबारा मत मांगने किन उब्लाब्धियो के बूते जाया जाये यह समझ नहीं आ रहा है | बेरोजगारी भत्ते , लैपटॉप वितरण आदि में पाबंदियो का सवाल कैसे देना है यह समाजवादी कार्यकर्ताओं को समझ नहीं आ रहा है | कानून व्यवस्था और नौकरशाही दोनों बदहाल है , ये अखिलेश सरकार की प्राथमिकताओ में होने चाहिए | सरकार के फैसले जाने अनजाने उत्तर प्रदेश की सत्ता से बेदखल हो चुकी बहुजन समाज पार्टी के जनाधार को पुख्ता करने का काम कर रहे है | बिगड़ी कानून व्यवस्था के चलते और नौकरशाही के अपने ढर्रे के चलते आम जनों को अब बहुजन समाज पार्टी का शासन काल याद आ रहा है जिसमे प्रशासनिक नियंत्रण - कानून व्यवश्ता चुस्त- दुरुस्त रहती थी | डॉ लोहिया महान समाजवादी विचारक थे | उनके विचारो - सिद्धांतो का अनुपालन ना करने वाला समाजवादी कैसे हो सकता है ? भारत की विधान सभाओ और संसद का लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ाने के बजाये सत्ताधारी दल और उसके बड़े नेता के पिछलग्गू बनने की प्रवृत्ति से उनको तकलीफ थी | सार्वजनिक जीवन में बढती बेईमानी और स्वार्थवादिता को लेकर डॉ लोहिया के मन में ग्लानि होती थी | नेहरु और कांग्रेस को आजाद भारत में व्याप्त सभी बुराइयों की जड़ मानने वाले डॉ लोहिया ने इसको उखाड़ने के लिए गैर कांग्रेस वाद की नीति अपनाई थी | संसद और संसद के बाहर डॉ लोहिया और उनके साथियो ने देश को गरम किया और १९६७ के चुनावो में कांग्रेस को ८ राज्यों में पराजित किया | डॉ लोहिया की इच्छा थी कि राजनीति में गति आए , कांग्रेस का एकाधिकार समाप्त हो , राजनीतिक दल कार्यक्रम अभिमुख बने | डॉ लोहिया ने अपनी सरकारों को समयबद्ध कार्यक्रम और उनको लागु करने के लिए ६ माह का समय दिया था | जय प्रकाश नारायण से साफ तौर पर डॉ लोहिया ने कहा था , --- मैं सरकार का आदमी नहीं हूँ , इसलिए मुझे दिलचस्पी नहीं है कि सरकार क्या करती है | अगर वह ६ महीने कुछ नहीं करती , कुछ ऐसा नहीं करती कि जिससे देश का मन उछले तो मैं इस सरकार को गिराने की मुहिम शुरू करूँगा | इसके पहले १९५४ में भी मानव प्राणों का मूल्य सत्ता से अधिक मानने वाले डॉ लोहिया जो कि पुलिस के द्वारा भीड़ पर बर्बर गोलीबारी के विरुद्ध रहते थे , ने आम जन हित के सवाल पर अपनी पार्टी की सरकार को घेरा था और वो सरकार चल नहो सकी | १९५४ में ट्रावनकोर कोचीन वर्तमान में केरल में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेता पट्टम थानू पिल्लै मुख्य मंत्री थे | वहा पुलिस की गोलीबारी में अनेको लोग मारे गये , नैनी जेल में बंद डॉ लोहिया ने अपनी ही सरकार का इस्तीफा माँगा | इस मुद्दे पर पार्टी टूटी , डॉ लोहिया ने कहा था - सुधरो या टूटो | कुछ माह पश्चात् सरकार भी गिरी | सत्ता को जनता के हित के लिए उपयोगी मानने वाले डॉ लोहिया के कार्यक्रमों व सिद्धांतो पर दृष्टि डालने और उसका अनुपालन करने का काम समाजवादी सोच की सरकार की प्राथमिकता में होना ही चाहिए |

Saturday, July 7, 2012

यशवंत सिंह के समर्थन में बाराबंकी में बैठक


आज बाराबंकी के पंजाब केशरी कार्यालय में पत्रकारो की एक आवश्यक बैठक संपन्न हुई | बैठक में पिछले दिनों भड़ास 4 मीडिया के संपादक यशवंत सिंह की फर्जी मुकदमो में गिरफ़्तारी पर रोष प्रकट किया गया | उपस्थित पत्रकारो ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से यशवंत सिंह की फर्जी मुकदमो में गिरफ़्तारी की उच्च स्तरीय जाँच तथा एक निर्भीक -बेबाक पत्रकार यशवंत सिंह के साथ आतंकवादियो सरीखा व्यवहार करने वाले नोयडा पुलिस कर्मिओ को दण्डित करने की मांग की | बैठक में स्वतंत्र पत्रकार अरविन्द विद्रोही , मो अतहर - पंजाब केशरी , तारिक किदवई - उर्दू आग , प्रदीप सारंग - टीवी १००,देवेन्द्र नाथ मिश्र - प्रतिदिन , दीपक निर्भय - यू पी न्यूज़ , मो असीम किदवई - जन माध्यम , संजय वर्मा , सतीश कश्यप , हृदेश श्रीवास्तव आदि पत्रकार साथी मौजूद थे |

Wednesday, July 4, 2012

दलाल पत्रकारिता और भ्रष्ट पुलिस तंत्र का हमला तेज़ हुआ है बेबाक पत्रकारिता पे


अरविन्द विद्रोही ................... यशवंत सिंह -संपादक भड़ास ४ मिडिया की नोयडा पुलिस के द्वारा गिरफ़्तारी ने यह साबित कर दिया है कि वेब मिडिया कि ताकत से दलाल पत्रकारों और भ्रष्ट पुलिस तंत्र के रखवारो के होश उड़ गये है | पिछले महीनो से संदुपुर -बाराबंकी , गोरखपुर , लखनऊ के पश्चात् नोयडा और लखीमपुर में जनसरोकार रखने वाले और निर्भीक पत्रकारों के पुलिसिया उत्पीडन से यह साफ हो गया है कि यह एक सुनियोजित साजिस है निर्भीक पत्रकारों कि आवाज़ को दबाने की | एक के पश्चात् एक घटित हो रही घटना यह सिद्ध करती है कि वेब मीडिया ने दलाल प्रवृति के पोषक और पत्रकारिता कि आड़ में अधिकारियो की दलाली करने वाले प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मिडिया के पत्रकारों के काकस को भेद दिया है | यशवंत सिंह की गिरफ़्तारी प्रकरण के पश्चात् वेब मिडिया की ताकत और भी ज्यादा बढ़ेगी | पत्रकारिता जगत के काले कारनामो को उजागर करने की वजह से ही यशवंत सिंह और भड़ास ४ मिडिया भ्रष्ट-दलाल लोगो की आँखों की किरकिरी बन गये थे और आज भी बने है | शायद इन दलालों को अनुमान रहा हो कि यशवंत सिंह कि फर्जी मुकदमो में गिरफ़्तारी के पश्चात् भड़ास का संचालन बंद हो जायेगा , यशवंत अकेले और अलग थलग पद जायेंगे , साथी साथ त्याग देंगे | लेकिन उनका अनुमान दुर्भाग्यवश गलत सिद्ध हो चुका है | यशवंत सिंह के साथ आज तमाम वरिष्ट पत्रकार खड़े है | कुमार सौवीर ,प्रकाश हिन्दुस्तानी , सुभाष राय , दयानंद पाण्डेय , हरे प्रकाश उपाध्याय ,मदन तिवारी , सैयद असदर अली , अविनाश , कृष्णभानु आदि ने इस प्रकरण पे अपने विचार लिख कर निर्भीक पत्रकारिता को उर्जा व ताकत प्रदान करी है | दलाली से इतर जनसरोकार व निर्भीक पत्रकारिता , बेबाक लेखन करने वालो को इस तरह कि दिकक्तो से रूबरू होते ही रहना पड़ेगा | व्यवस्था को जड़ तक भ्रष्ट कर चुके लोगो को यह कतई नहीं गवारा होता है कि कोई उनकी जड़ पर प्रहार करे | कमियां उजागर करने वालो को सदैव साजिशो का शिकार होना पड़ता है | बस जिस तरह दलाल पत्रकारों का साथ दलाल दे रहे है उसी तरह अब निर्भीक व बेबाक लेखन का माद्दा रखने वालो को दलाल पत्रकारिता के खिलाफ , उनकी सज़िसो के खिलाफ अब कलमकारों की कलम अनवरत चलती रहनी चाहिए |

सेंट एंथोनी-बाराबंकी में गिरता शैक्षिक स्तर - बिशप को शिकायत प्रेषित


अरविन्द विद्रोही ................ बाराबंकी के सेंट एंथोनी कॉलेज में शिक्षा के गिरते स्तर के खिलाफ छात्रों ने खोला मोर्चा | गिरते शिक्षा के स्तर और प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ लखनऊ के बिशप को लिखा पत्र | सेंट एंथोनी कॉलेज के पूर्व छात्रों के फेसबुक समूह पर कॉलेज की वर्तमान दशा पर और बदहाली पर चर्चा आम | कॉलेज परिसर में बियर की बोतले मिलने की जानकारी देते हुये उत्कर्ष मौर्या ने शिक्षा के गिरे स्तर की तरफ मित्रो का ध्यान खीचा है | वर्तमान समय में विद्यार्थियों के द्वारा परीक्षा में कम नंबर पाने पर क्या सिर्फ विद्यार्थियों को दोष देना चाहिए इस पर समूह में चर्चा में सामने आया कि एक विषय कॉमर्स में एक साथ ३२ विद्यार्थियों को १२ वी में compartmant आया | एक साथ एक ही विषय में विद्यार्थियों के कम नंबर आने से निश्चित रूप से उस विषय को पढ़ने वाले अध्यापक और विद्यालय के प्रबंधक - प्राचार्य पर ऊँगली उठेगी ही | सूत्रों कि माने तो वर्तमान समय में सेंट एंथोनी कॉलेज में शैक्षिक माहौल के स्थान में अराजकता का वातावरण व्याप्त है | पूर्व छात्र आदित्य भट्ट , मयूर बहादुर खरे , मयंक वर्मा , आकाश गुप्ता , अर्जुन शुक्ल , फ़राज़ खान , फैज़ खान , मयंक वर्मा , अहमद सरफ़राज़ हुसैन ने विनीत राय के द्वारा चर्चा के लिए रखे गये उपरोक्त विषय पे अपने विचार रखते हुये ३२ छात्रों के एक साथ कम नंबर आने का दोषी वर्तमान शिक्षक और कॉलेज प्राचार्य को माना | सेंट एंथोनी कॉलेज में सर्वाधिक बड़ी चिंता का कारण कॉलेज के नियमावली के विपरीत यहाँ के शिक्षको के द्वारा छात्रों को tution पढने के लिए जबरन बाध्य करने के प्रकरण से है | बेबस छात्र अपने अध्यापको के दबाव में उनसे tution लेने को मजबूर है , tution के चलते ही ये शिक्षक कॉलेज में पढ़ने में अपना संपूर्ण ध्यान नहीं देते है | tution के खिलाफ आवाज़ उठाने वालो में नमन जैन , उत्कर्ष मौर्या , सैयद अमीना , अफजल उस्मानी , अंसिका वैश्य , सनत खान , बिलाल , अम्बाले अभिज्ञान भट्ट ,सुबीन कुरैन , विनीत राय ने नियमो के विपरीत जबरन tution के खिलाफ ज्ञापन देने और आन्दोलन की अपील करी | सेंट एंथोनी कॉलेज में व्यापत इन समस्या के विषय में अमित सिंह- अध्यक्ष पूर्व छात्र संघ सेंट एंथोनी कॉलेज ,सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि यह सच है कि अब सेंट एंथोनी कॉलेज में शिक्षा का स्तर गिर चुका है | इसके जिम्मेदार यहाँ के प्राचार्य और शिक्षक के साथ साथ वे सभी अभिभावक भी है जो कि सेंट एंथोनी कॉलेज कि सभी बातो को बिना विरोध दर्ज कराये अपनी बात रखे मान लेते है |