Friday, September 30, 2011

चापलूसों-पारिवारिक लोगो व दल बदलुओ,अवसर वादियो की पनाह गाह बनी कांग्रेस - अरविन्द विद्रोही

अरसा पहले राहुल गाँधी ने कांग्रेस के सांगठनिक चुनावो की घोषणा करते हुये एलान किया था की अब कांग्रेस के आतंरिक लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए , आतंरिक ढांचे को बदलने के लिए बीड़ा उठा कर काम किया जायेगा | कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गाँधी की राजनीतिक सक्रियता और आम कार्यकर्ताओ के हितो की बात पार्टी मंचो और प्रेस-वार्ताओ में कहने से युवाओ और कांग्रेस के समर्पित-निष्ठावान पुराने कार्यकर्ताओ में एक उम्मीद की किरण राजनीतिक भागीदारी की प्राप्ति की जग गयी थी | दरअसल कांग्रेस जैसी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी में प्रत्येक जनपद में मठाधिशो के दबदबे के चलते संगठन व कार्यक्रम आधारित राजनीति करने वाले , चापलूसी व गणेश परिक्रमा ना कर सकने वाले कार्यकर्ता हाशिये पर ही रहते चले आये है | जब किसी मठाधीश ने अपने किसी राजनीतिक मज़बूरी के चलते,निजी स्वार्थ वश संगठन के समर्पित कार्यकर्ता को आगे बढ़ने दिया तभी वो आगे बढ़ पता अन्यथा मठाधीशो के द्वारा रचाए गये षड्यंत्र व जाल में फंस कर कार्यकर्ता मन मसोस के ,संतोष कर के सिर्फ अपने कांग्रेसी निष्ठा के सहारे कांग्रेस में रहता और यथा संभव संगठन के कार्यो में सहयोग व शिरकत करता जाता रहा है | कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी के संगठन कार्यो में विशेष रूचि लेने से आशा जगी की अब कांग्रेस में मठाधीसो से मुक्ति मिलेगी | कोई भी कार्यकर्ता संगठन के आतंरिक चुनावो में भागीदारी लेकर मन वांछित पद पर चुनाव में निर्वाचन के जरिये पहुँच सकता है | कांग्रेस के बड़े नेताओ के भी बयान आये की राहुल गाँधी की इस साकारात्मक पहल से बूथ स्तर तक का कार्यकर्ता निर्वाचन के जरिये देश के संगठन के नेता तक पहुँच सकता है | देश में लोकतंत्र ही भयावह स्थिति में गुज़र रहा हैदेश में सर्वाधिक वर्षो तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र की बहाली की बात , वो भी गाँधी-नेहरु राजवंश के तथा कथित युवराज कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गाँधी के द्वारा निश्चित ही यह अगर व्यवहार मेभी क्रियान्वित हो जाता तो भारत के लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत होता | दुर्भाग्य वश कांग्रेस पार्टी की, कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी की पार्टी के अन्दर लोकतंत्र बहाली की घोषणा व समर्पित कार्यकर्ताओ को अवसर देने की घोषणा महज़ लफ्फाजी साबित हो रही है | उत्तर प्रदेश में आगामी विधान सभा २०१२ के आम चुनावो में सरकार बनाने के लिए तड़प रही कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से राहुल गाँधी पर ही , उनकी छवि और कर्मो पर आधारित-आश्रित है | राहुल गाँधी की सांगठनिक चुनावो में आतंरिक लोकतंत्र बहाली की सोच व कर्मठ कार्यकर्ताओ को संगठन में दायित्व निरावाहन का अवसर देने के प्रयास को कांग्रेस के ही मठाधीशो ने धुल-धूसरित कर दिया है | जनपदों में जनपद अध्यक्षों, कार्यकारिणी,प्रान्तिये कार्यसमिति सदस्य के निर्वाचन प्रक्रिया में निर्वाचितो को दरकिनार कर रसूख रखने वाले कांग्रेसी नेताओ,मठाधीशो,के करीबियो -रिश्तेदारों को नामित कर दिया गया |राहुल गाँधी घोषनाये काफी अच्छी कर लेते है, उनका अनुपालन - क्रियान्वयन संगठन में हो रहा है कि नहीं शायद इसकी जानकारी लेने की कोई जरुरत नहीं समझते | संगठन के चुनाव में अनियमितता , कांग्रेस की निर्वाचन की घोषणा के विपरीत मनोनयन प्रक्रिया से पुनः आम-समर्पित कार्यकर्ता निराशा के भंवर में जा डूबा है | यही नहीं राहुल गाँधी के किसी भी घोषणा , उनके किसी भी कार्यक्रमों का , उनके क्रिया-कलापों का अनुसरण कोई भी जिम्मेदार पदाधिकारी नहीं कर रहा है | बुंदेलखंड में सड़क पर धरना देना, उत्तर प्रदेश के तमाम ग्रामीण इलाको में जाना,भूमि अधिग्रहण के विरोध में भट्टा पारसौल में जाना,पंचयत आयोजन के लिए पद यात्रा करना यह सभी काम राहुल गाँधी की राजनीतिक कर्मो की सूची के उल्लेखनीय कृत्य बन चुके है | कांग्रेस नेतृत्व को सोचना चाहिए कि उत्तर प्रदेश के आसन्न विधानसभा २०१२ के आम चुनावो में वातानुकुलित कमरों और लग्ज़री वाहनों से ना निकलने वाले सुविधाभोगी लोगो के भरोसे वो कैसे चुनावी सफलता हासिल कर सकती है ? गावो में रात्रि विश्राम कार्यक्रम में फजीहत करने वालो को क्या कांग्रेसी आलाकमान भूल चुका है ? जनपदों में व्याप्त जन समस्याओ , भूमि अधिग्रहण के सवाल ,मजदूरों के सवाल ,युवा मामलो .महिला उत्पीडन ,उत्तर प्रदेश कि तानाशाही आदि मुद्दों पर कितने जनपदों के संगठन ने आन्दोलन किया ? थोपे गये जनाधार विहीन नेताओ के कारण ही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कोई जनता का आन्दोलन नहीं खड़ा कर सकी सिर्फ राहुल गाँधी कि सक्रियता और उनके कार्यक्रमों में पहुचना ही मानी पुरे प्रदेश के संगठन का एकमात्र उत्तर दायित्व रहा है | उत्तर प्रदेश के विधान सभा २०१२ के आम चुनाव अति निकट है | तमाम दलबदल कर के आये नेता आज कांग्रेस के पुराने लोगो के लिए सर दर्द बन चुके है| मठाधीशो- दल बदलुओ -अवसर वादियो से मुक्ति पा कर ही कांग्रेस अपने समर्पित , जनाधार रखने वाले कर्मठ कार्यकर्ताओ को संगठन की जिम्मेदारी व चुनाव में पुराने नेताकर्यकर्ताओ को प्रत्याशी बना के ही चुनावी समर की मुख्य धारा में आ सकती है | उत्तर प्रदेश में अभी तो बहुजन समाज पार्टी के मुकाबिल समाजवादी पार्टी ही संघर्ष करते दिख रही है और अपने कार्यकर्ताओ के संघर्ष के बूते समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में बसपा राज्य से निजात पाने की सोच रखने वाले आम मतदाताओ की पहली पसंद बन चुकी है | भाजपा अपने द्वन्द से कब उभरेगी, यह राम ही जाने | बाकी दलों की स्थिति सिर्फ वोट कटवा या चन्द निर्वाचन सीटो पे प्रभावी है |

Wednesday, September 28, 2011

बाराबंकी जिला पंचायत में पत्रकारों की बैठक संपन्न

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जनपद बाराबंकी के पत्रकारों की बैठक आज ११बजे से जिला पंचायत सभागार में शुरु हुई| आज आहूत पत्रकारों की बैठक में पत्रकारिता के नाम पे किये जा रहे दुष्कर्मो और व्यावसायिक कार्यो के लिए वाहनों पे प्रेस लिखने पर प्रतिबन्ध लगाने के विषय पे चर्चा हुई| बैठक की अध्यक्षता जनपद के वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर शुक्ल , संचालन लखन लाल मौर्या, आयोजन तारिक किदवई ने किया | बैठक की भूमिका प्रस्तुत करते हुये मो अतहर ने आये हुये सभी पत्रकार साथियो से अपनी अपनी राय इन बिन्दुओ पे रखने की अपील की| इन बिन्दुओ पर दीपक निर्भय,देवेन्द्र मिश्र,दिलीप श्रीवास्तव,मो शाबिर, सईद , मो रईस कादिरी , प्रदीप सारंग , के पी तिवारी, शोभित मिश्र ने अपने अपने विचार रखे | सभी पत्रकार बंधुओ की वार्ता में यह निष्कर्ष निकाला गया कि पत्रकारिता की गरिमा ,आपसी एकता को बनाये रखना और जन सरोकार को अपनी कलम से लिखते रहना - दिखाना हमारी अपनी जिम्मेदारी है | व्यवसायिक वाहनों पे, गैर पत्रकारों के वाहनों पे प्रेस लिखे जाने की निंदा करते हुये बैठक में इस प्रकार के वाहनों के चित्र व खबरे प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया |आज की बैठक में नीरज श्रीवास्तव ,मो हनीफ ,सैफ मुख़्तार ,रत्नेश कुमार , गिरीश चन्द्र , आशु श्रीवास्तव ,वीरेन्द्र सैनी ,ऐ के श्रीवास्तव ,हरी प्रसाद श्रीवास्तव ,एनामुल हक ,संजय शर्मा ,उमा कान्त बाजपेयी ,राम कुमार बाजपेयी , रिकज कुमार,नुरुल हक ,ज्वाला सिंह यादव आदि पत्रकार मौजूद रहे |

Monday, September 26, 2011

भगत सिंह एक मतवाला,क्रांति का अग्र दूत -- समाजवाद का पथ प्रदर्शक

अरविन्द विद्रोही गाँव बंगा चक्क न० १०५ गुगैरा वर्तमान में लायलपुर-पकिस्तान में किशन सिंह के पुत्र रूप में जन्मे भगत सिंह का नाम क्रांति की अमिट ज्वाला के रूप में युगों-युगों तक क्रांति पथ के योद्धाओ को राह दिखाता रहेगा,प्रेरित करता रहेगा- यह जन्म के समय किसी ने भी किंचित मात्र भी ना सोचा था | ब्रितानिया हुकूमत कि दासता में जकड़े भारत भूमि की आजादी की जंग में भगत सिंह के पुरे परिवार का अपना अमिट योगदान है| भगत सिंह के जन्म के समय लाला लाजपत राय के नेतृत्व में भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह को किसान आन्दोलन चलाने के जुर्म में ब्रितानिया हुकूमत ने मांडले अर्थात बर्मा में निर्वासित कर रखा था| जन दबाव के कारण नवम्बर ,१९०७ में अजीत सिंह की रिहा कर दिया गया | नेपाल में पकडे गये पिता किशन सिंह को भी अंग्रेज सरकार ने छोड़ दिया था | कई मुकदमो में निरुद्ध सबसे छोटे चाचा स्वर्ण सिंह को भी जमानत पर रिहाई मिल गयी | भगत सिंह कि दादी इन्ही कारणों से भगत सिंह को भागांवाला अर्थात भाग्यशाली मानती थी| बाबा अर्जुन सिंह के सानिंध्य में प्रथम चार वर्ष कि शिक्षा ग्रहण करने वाले भगत सिंह के मनो-मस्तिष्क में सामजिक चेतना,तर्क शक्ति का विकास,सामजिक बराबरी की भावना का बीज रोपित करने का श्रेय बाबा अर्जुन सिंह का ही है | बचपन की यही शिक्षा, संस्कारो- समर्पण का बीज समयांतराल में क्रांति का बट-वृक्ष बन गया जिसके तले आज भी किसानों-मजदूरों-आम जन के लिए काम करने वालो को प्रेरणा व मानसिक बल मिलता है| लाहौर में उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले भगत सिंह ने कम उम्र में ही , अल्पायु में ही बड़ी वैचारिक यात्रा करनी शुरु कर दी थी| कर्तार सिंह साराभा को अपना गुरु मानने वाले , उनका चित्र सदैव अपने पास रखने वाले भगत सिंह रुसी अराजकतावादी बाकुनिन से अत्यंत प्रभावित थे| भगत सिंह के अनन्य सखा सुखदेव भी बाकुनिन से बेहद प्रभावित थे| अराज़कता से समाजवाद की विचारधारा की तरफ मोड़ने का काम , एक सफल प्रयास कामरेड सोहन सिंह जोश और लाला छबील दास ने किया था | पंजाबी मासिक पत्रिका किरती के संपादक जोश ने ही भगत सिंह को विभ्भिन विषयों पे मार्ग दर्शन दिया और किरती में लिखते रहने को प्रोत्साहित किया | अनारकली बाज़ार,लाहौर में स्थित राम कृष्ण एंड सन्स नामक किताबो की दुकान व द्वारका दास लाइब्रेरी यह दो जगह क्रान्तिकारियो के लिए ,मानसिक खुराक व दृठता के लिए मुफीद साबित हुयी| द्वारका दास लाइब्रेरी के अध्यक्ष राजा राम शास्त्री के अनुसार - भगत सिंह वस्तुत पुस्तकों को पढता नहीं निगलता था,लेकिन फिर भी उसकी ज्ञान की पिपासा सदा अनबुझी ही रहती थी |इधर कानपूर में प्रताप के सम्पतक गणेश शंकर विद्यार्थी क्रान्तिकारियो की हर तरह की सहायता करते थे थे| गणेश शंकर विद्यार्थी राजनीतिक अध्धयन और जनता के बीच काम करने पर विशेष ध्यान देते थे | कानपूर के क्रान्तिकारियो का भी झुकाव समाजवाद की तरफ हो चुका था| यह झुकाव भावनात्मक ज्यादा था | उधर सुखदेव ,भगवतीचरण वोहरा,भगत सिंह वैचारिक तौर पर समाजवादी विचारधारा को आत्म सात कर चुके थे | कानपूर प्रवास के दौरान गणेश शंकर विद्यार्थी के प्रताप में लिखने और उनसे सीखने के अवसर का भर पुर लाभ भगत सिंह ने उठाया | १९२८ के प्रारंभ के दिनों में भगत सिंह ने क्रांतिकारी संगठन को अखिल भारतीय स्वरुप देने व समाजवाद को अंतिम लक्ष्य घोषित करने का प्रस्ताव साथियो के मध्य रखा था | ८-९ सितम्बर ,१९२८ को दिल्ली में हुई क्रान्तिकारियो की बैठक में समाजवाद को सिधान्त के रूप में और समाजवादी समाज की स्थापना को अंतिम लक्ष्य मान लिया गया | संगठन का नाम अब हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ रखा गया | असेम्बली में पब्लिक सेफ्टी बिल व ट्रेड डिस्प्यूट बिल पर मतदान के दिन ८अप्रेल ,१९२९ को ,मतदान के बाद ,गिनती पूरी होने के बाद , जैसे ही असेम्बली के अध्यक्ष इन बिलों के पास हो जाने का परिणाम बताने के लिए खड़े हुये वैसे ही हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ के भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दर्शक दीर्घा से असेम्बली भवन में बम फोड़े, नारे लगाये व पर्चे वितरित किये| भगत सिंह ने कहा था -- क्रांति से हमारा अभिप्राय है ,अन्याय पर आधारित मौजूदा समाज व्यवस्था में आमूल परिवर्तन | भगत सिंह और हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ के सभी क्रांतिकारी साथियो की समाज व देश के प्रति कर्त्तव्य निर्वाहन की छमता ,उनके अमिट बलिदानों से सबके सामने आ ही चुका है| क्रान्तिकारियो के विचारो के प्रचार - प्रसार में ,क्रांतिकारी कैसे आजाद भारत के लिए अपना सर्वस्व हमारे लिए अर्पित कर गये ,इसको समझने में हमारे देश का राजनीतिक नेतृत्व नितांत असफल रहा है| शायद कटु सत्या यह है की राजनीतिक नेतृत्व जनता है की अगर क्रान्तिकारियो की मनो भावना का प्रचार -प्रसार हो गया , भगत सिंह के , हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातान्त्रिक संघ के प्रस्तावों-संकल्पों पे काम शुरु हो गया तो एक सशक्त भारत का निर्माण हो जायेगा और तब दीमक की तरह आम जन को, देश को,लोकतान्त्रिक व्यवस्था,जन अधिकारों को कहते जा रहे स्वार्थी -भ्रष्टाचार में सराबोर राजनेताओ-नौकरशाहों-सत्ता के दलालों की कलाई उधड़ जाएगी और जन क्रांति की चपेट में इनके द्वारा शोषण पर आधारित साम्राज्य तहस-नहस हो जायेगा |

Sunday, September 25, 2011

डॉ लोहिया को भुलाते और सपा नेतृत्व के निर्देशों को नकारते सपाई -----

राजनीतिक दलों में विचार धरा आधारित कार्यकर्ताओ की जगह चुनाव जीतने के फेर में गैर राजनीतिक चरित्र के लोगो,दल बदलुओ को महत्व दे कर प्रत्याशी बना देने का ही दुष परिणाम है कि आज राजनीतिक दल स्वयं में अविश्वनिये हो गये है| डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारो की पार्टी जिसे धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव ने १९९२ में छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र के निर्देश,सहयोग व आशीर्वाद से बनाया था ,आज समाजवादी विचारो - समाजवादी आन्दोलन का प्रचार -प्रसार करने वाली सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी व ताकत है| समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव दुसरे चरण की क्रांति यात्रा समाप्त कर चुके है| जनता में एक उमंग भरने में कामयाब रहे अखिलेश यादव को अपना ध्यान विधान सभा के घोषित प्रत्याशियो के आचरण व क्रिया कलापों की तरफ भी देना चाहिए| अपने भाषणों ,निर्देशो में स्पष्ट रूप से डॉ लोहिया को , जनेश्वर मिश्र को अपना आदर्श , अपना प्रेरणा श्रोत बताने वाले अखिलेश यादव की संगठन छमता ,संघर्ष छमता ,मिलन सारिता के कारण समाजवादी विचारो के समर्पित लोगो में एक नयी आशा की किरण जग चुकी है|डॉ लोहिया व जनेश्वर मिश्र के नाम ,चित्र प्रत्येक पोस्टर,बैनर व विज्ञापन में प्राथमिकता पर दिये जाने का स्पष्ट आदेश देने वाले समाजवादी संघर्ष के नव प्रतीक बन रहे अखिलेश यादव को जान कर कष्ट व हैरानी होगी कि समाजवादी धरा बाराबंकी में समाजवादी पार्टी के छप रहे पुरे पुरे पन्ने के विज्ञापनों में ना तो डॉ लोहिया का चित्र है और ना ही छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र का| आखिर यह क्या है ,यह किस प्रकार का कृत्य है ,इसका चिंतन सपा नेतृत्व को करना चाहिए| डॉ लोहिया को अपना आदर्श ,अपना सब कुछ मानने वाली सपा के प्रचार सामग्री से ,विज्ञापनों से समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया का चित्र व जिक्र तक ना होना एक अत्यंत ही शर्मनाक,गैर जिम्मेदाराना व संगठन के निर्देशो के खुलम खुल्ला उल्लंघन ,अनुशासन हीनता का मामला है या प्रकाशन करवाने वाले लोग समाजवादी पार्टी के विचार धारा के नहीं है,डॉ लोहिया को अपना आदर्श नहीं मानते है और नेतृत्व से ज्यादा प्रभावी है ,यह तय करना समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष का काम है| बाहर हाल बाराबंकी में प्रकाशित हो रहे सपा के विज्ञापन से डॉ लोहिया को मानने वालो को गहरा आघात लगा है| यह आघात नाराज़गी में बदले उसके पहले समुचित कदम सपा नेतृत्व को उठाना चाहिए|

Friday, September 23, 2011

पूर्व विधायक सरवर अली खान की कुर्सी विधान सभा से चुनाव लड़ने की चर्चा आम


पूर्व विधायक सरवर अली खान ने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए दुआ करते हुये कहा कि मुलायम सिंह यादव भारत की वर्तमान राजनीति में डॉ लोहिया के विचारो के सबसे बड़े प्रचारक व अनुयायी है| गरीबो,वंचितों,पिछडो,दलितों,अल्पसंख्यको,महिलाओ,युवाओ,किसानों-मजदूरों व आम जन के लिए ही सोचने वाले व उनके हित की राजनीति करने वाले मुलायम सिंह यादव अपनी इन्ही विशेषताओ के कारण धरती पुत्र की उपथी से नवाजे गये है| उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव में आम जनता की उम्मीद के केंद्र बिंदु मुलायम सिंह जी ही है| बाराबंकी में व्यापक जनाधार रखने वाले सरवर अली फतेहपुर ब्लाक के प्रमुख भी रहे है| इनका पुत्र सुफियान अख्तर जिला पंचायत सदस्य भी रहा है | विधान सभा कुर्सी के निवासी सरवर अली सर्व-समाज में अपनी मिलन सरिता व मृदु भाषिता के कारण एक अलग ही पहचान व पकड़ रखते है| समाजवादी पार्टी से त्यागपत्र दे चुके पूर्व विधायक छोटे लाल यादव के कारण कुछ वर्ष पहले समाजवादी पार्टी से अलग हुये सरवर अली किसी भी राजनीतिक दल के सदस्य वर्तमान में नहीं है| समाजवादी पार्टी अपने पुराने सहयोगी को पार्टी में शामिल करके विधान सभा चूना २०१२ में कुर्सी विधान सभा से प्रत्याशी के रूप में इनको उतार के , चुनाव अभियान में जुटा के इनके व्यक्तित्व व राजनीतिक अनुभव का लाभ ले सकती है | आज पूरा दिन बाराबंकी जनपद में सरवर अली के द्वारा समाजवादी पार्टी में जल्दी शामिल होने व कुर्सी विधान सभा से चुनाव लड़ने की चर्चा आम रही|

Tuesday, September 20, 2011

अवसर मिलते ही राजनीतिक विरोधियो को मिलाने-ठिकाने लगाने में जुटे बेनी प्रसाद वर्मा ------------------ अरविन्द विद्रोही

उत्तर प्रदेश विधान सभा २०१२ के आम चुनाव जैसे जैसे करीब आते जा रहे है,चुनाव लड़ने को हर हाल में आतुर व राजनीतिक दलों में नेपथ्य में पड़े लोग दल बदलने - निष्ठा बदलने में जुट गये है | राजधानी लखनऊ से सटे जनपद बाराबंकी में इन दिनों प्रति दिन दल बदलने व नया सिधान्त अपनाने का एक बयार बह रहा है| इस दल बदल के पीछे सिधान्तिक मतभेद ना होकर सिर्फ चुनावी हसरते है यह सर्व विदित है| महीनो पहले बाराबंकी में हुये बड़े राजनीतिक धमाके की अनुगूंज के रूप में यह दल बदल हो रहे है| दरअसल महीनो पहले बहुजन समाज पार्टी के नेता सुरश यादव उर्फ़ धर्मराज यादव जिनकी पत्नी दूसरी बार निर्विरोध बंकी ब्लाक प्रमुख पद पर निर्वाचित हुई है,ने लखनऊ जाकर समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारो की पार्टी समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव में आस्था जताते हुये ,उनके नेतृत्व में कार्य करने का संकल्प लेते हुये बसपा से त्यागपत्र देकर समाजवादी पार्टी की सदयस्ता ग्रहण कर ली थी| विश्वस्त सूत्रों के अनुसार यह घटना क्रम एकाएक नहीं घटित हुआ | जनेस्मा छात्र संघ के एक पूर्व अध्यक्ष जो समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में है,ने वर्षो पहले ही समाजवादी पार्टी के नेतृत्व से सुरेश यादव के परिजनों की मुलाकात करा दी थी,और ये लोग बराबर संपर्क में बने रहे| जब दूसरी बार भी सुरेश यादव की पत्नी आशा यादव बंकी ब्लाक प्रमुख निर्विरोध निर्वाचित हो गयी तब सपा नेतृत्व ने मज़बूत राजनीतिक दांव खेलते हुये सुरेश यादव उर्फ़ धर्मराज यादव को समाजवादी पार्टी में शामिल करके बाराबंकी विधान सभा २६८ से पार्टी का प्रत्याशी घोषित कर दिया| बाराबंकी २६८ से वर्तमान विधायक संग्राम सिंह वर्मा सत्ताधारी बसपा सरकार में राज्य मंत्री है,इनकी अनुज वधु शीला सिंह भी दूसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुयी है| प्रभावी कुर्मी नेता संग्राम सिंह के मुकाबिल मज़बूत यादव प्रत्याशी के रूप में सुरेश यादव को उतार कर समाजवादी पार्टी ने बाराबंकी २६८ को इस बार हर हाल में जीतने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है | बाराबंकी विधान सभा २६८ से सपा टिकेट पर लड़ते रहे,विधायक रहे छोटेलाल यादव को यह बात कतई हज़म नहीं हुयी की दुसरे दल से आये व्यक्ति को राजनीतिक रूप से टिकेट दे देना अच्छा है| टिकेट वितरण में पुराने कार्यकर्ताओ से अन्याय किये जाने का आरौप छोटे लाल यादव ने हर मीटिंग में कही | समाजवादी पार्टी में अपनी बातो को नकार दिये जाने की बात कहते हुये छोटेलाल यादव ने इस्तीफा देकर अपनी नयी राजनीतिक राह चुनने का एलान कर दिया| कल केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद के साथ राजधानी लखनऊ के एक पाँच सितारा होटल में छोटेलाल यादव की मौजूदगी ने सारी राजनीतिक चक्र को साफ़ कर दिया है| अभी तक पानी पी पी कर बेनी प्रसाद वर्मा को कोसने वाले और उनके कृत्यों को गलत व एक जाती विशेष का विरोधी बताने वाले नेतागण किस दिन से बेनी प्रसाद वर्मा के कसीदे पढना ,उनका महिमा गान करना शुरु करते है, यह देखना बाकी है| राजनीति के मंझे खिलाडी कांग्रेस के गोंडा से सांसद बेनी प्रसाद वर्मा -केंद्रीय इस्पात मंत्री ने अपनी राजनीतिक सूझ-बुझ से एक बार पुनः अपने राजनीतिक विरोधियो को उलझा दिया है| बाराबंकी के विकास पुरुष माने जाने वाले बेनी प्रसाद वर्मा बाराबंकी की चुनावी राजनीति के केंद्र बिन्दु एक बार फिर बन चुके है| अपने तमाम राजनीतिक विरोधियो को विधान सभा २०१२ में बेनी प्रसाद वर्मा किनारे लगा देंगे यह जन चर्चा शुरु हो गयी है| चर्चा-परिचर्चा के अनुसार --- किसी को साथ मिला के,ख़ुशी से गले मिला के,किसी को किसी से लड़ा के ,और पुराने कांग्रेस्सियो की जगह अपने लोगो को विधान सभा का प्रत्याशी बनवा के दल के भीतर -बाहर एक साथ वर्चस्व स्थापित करने की मुहीम को अंजाम देने में बाराबंकी के विकास पुरुष बेनी प्रसाद वर्मा लग चुके है| केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने शहाब खालिद , सुरेन्द्र नाथ अवस्थी,राम रतन राव ,रामवीर सिंह, छोटे लाल यादव, वसीम राइन ,हुमायु नईम खान आदि को अपने पाले में कर के अपना राजनीतिक चातुर्य प्रदर्शित कर ही दिया है| राजनीतिक दलों में उपेक्षित पड़े नेताओ को महत्व -सम्मान देने के वायदे के साथ कांग्रेस में शामिल करवाने का महारथी प्रयास बेनी प्रसाद द्वारा जारी है| आने वाले समय में तमाम और किनारे पड़े नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते है| इन किनारे पड़े नेताओ के कांग्रेस में शामिल होने से कितना फायदा कांग्रेस को होगा यह तो चुनाव परिणामो से ही पता चलेगा लेकिन इस वक़्त तो कांग्रेस के पुराने नेताओ के होश फ़ाक्ता हो चुके है | दल बदलुओ के आने से विधान सभा का टिकेट काट जाने की आशंका ने कांग्रेस से टिकेट मांगने वाले नेताओ में निराशा व असंतोष व्याप्त हो रहा है| बाराबंकी २६८ से बीते चुनाव में भी कांग्रेस का टिकेट बसपा से टिकेट काट जाने के बाद कांग्रेस में शामिल हुये नईम सिद्धिकी को टिकेट से नवाज़ दिया गया था| चुनाव ख़त्म होते ही नईम ने कांग्रेस को अलविदा कह के पुनः बसपा का दमन पकड़ लिया था | बाराबंकी विधानसभा २६८ से पुनः टिकेट किसी दल बदलू का ना दे दिया जाये यह चिंता पुराने कांग्रेसियो को सता रही है| वर्तमान राजनीतिक परिवेश तो यही कहता है की कांग्रेस टिकेट वितरण के मामले में पुनः अपना इतिहास दोहराएगी, आगे जब तक प्रत्यासियो की सूची ना जारी हो तब तक कयास ही लगे जा सकते है| बाहर हाल अभी तो बेनी प्रसाद वर्मा ने अपना विरोध करने वालो को अपने झंडे तले लाकर एक जंग जीत ही ली है,कांग्रेस में शामिल तमाम नेता अब बेनी प्रसाद की कृपा के बूते ही आगे राजनीति कर पाएंगे यह आम चर्चा है|

Sunday, September 18, 2011

पूर्व विधायक छोटे लाल यादव का समाजवादी पार्टी से इस्तीफा, कारण और प्रभाव

अरविन्द विद्रोही आखिर कार पूर्व विधायक छोटे लाल यादव ने समाजवादी पार्टी में अपनी बाते ना माने जाने के कारण समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे ही दिया| बाराबंकी विधान सभा से घोषित प्रत्याशी सुरेश यादव उर्फ़ धर्मराज यादव को बदलने और समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष मौलाना मेराज को पद मुक्त करने की मांग ना पूरी होने के बाद समाजवादी पार्टी-उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव को fax से भेजे त्याग पत्र में पूर्व विधायक छोटे लाल यादव ने बाराबंकी जनपद के सपा संगठन और अरविन्द सिंह गौप पर गंभीर आर्थिक आरौप लगाये| दल बदल,निष्ठा परिवर्तन, आरौप -प्रत्यारौप का दौर चालू हो चुका है| कई बार समाजवादी पार्टी के टिकेट से विधान सभा की दहलीज पार करने वाले छोटे लाल यादव के त्याग पत्र की पृष्ठ भूमि महीनो पहले तभी तैयार हो गयी थी जब समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष दो बार ब्लाक प्रमुख -बंकी ,बाराबंकी के पद पर निर्विरोध निर्वाचित आशा यादव के पति सुरेश यादव उर्फ़ धर्मराज यादव ने वर्तमान सत्ताधारी दल बहुजन समाज पार्टी से त्याग पत्र दे कर डॉ लोहिया के विचारो की पार्टी समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की | बाराबंकी विधान सभा में १९९१ से लगातार प्रत्याशी रह रहे छोटे लाल यादव की शिकायते और संगठन कार्य से ज्यादा गुट बाजी करने की बात सपा नेतृत्व के सम्मुख लगातार आती रही | बसपा छोडके सपा में शामिल हुये सुरेश यादव को उनके राजनीतिक कौशल और लोकप्रियता के कारण सपा नेतृत्व ने बाराबंकी २६८ से समाजवादी पार्टी का विधान सभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया | पूर्व विधायक छोटे लाल यादव के लिए सुरेश यादव को सपा प्रत्याशी बना दिया जाना हृदयाघात सरीखा रहा,जो अंतत समाजवादी पार्टी नेतृत्व से करीब आधा दर्ज़न मुलाकातों-वार्ताओ के विफल होने के बाद इस्तीफे के रूप में सामने आ ही गया | छोटे लाल वरिष्ठ राजनीतिक है , राजनीति में विधायकी का सफ़र मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से पूरा करने वाले छोटे लाल यादव आज अपनी पहले की जीतो का श्रेय तक मुलायम सिंह यादव को नहीं दे रहे | हर हाल में चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले छोटे लाल यादव के द्वारा समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह को पहले जैसा ना होने की बात कहना किसी के गले नहीं उतर रहा है| आज पूरा दिन कई चौराहों पर यह चर्चा आम रही कि सिर्फ टिकेट ना मिलने के कारण ही समाजवादी पार्टी को छोड़ना और नेतृत्व को भला बुरा कहना घोर अवसरवादिता है| छोटे लाल यादव द्वारा समाजवादी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद जहा एक तरफ उनके समर्थक भी पार्टी त्याग रहे है वही छोटे लाल से नाराज़ तमाम समाजवादी विचारधारा के नेता अब समाजवादी पार्टी में शामिल होने का मन बना चुके है | बाराबंकी जनपद में समाजवादी पार्टी की घेराबंदी में लगे दिग्गजों को निराशा ही हाथ आएगी , कारण छोटेलाल यादव के बेनी प्रसाद वर्मा से हाथ मिलाने और कांग्रेस से चुनाव लड़ने की चर्चा को समाजवादी पार्टी के मतदाताओ ने ही एक चुनौती के रूप में ले लिया है | समाजवादी पार्टी के कई नेता जो सुरेश यादव को प्रत्याशी बनाये जाने से नाराज़ थे,अब छोटे लाल यादव द्वारा नेतृत्व पर आरौप लगाने और यह कहने की बाराबंकी में एक भी सीट सपा नहीं जीतेगी , मतभेद भुला कर घोषित प्रत्याशी के साथ प्रचार करने व सीट जीतने तथा संगठन की ताकत दिखाने में जुट गया है | बदलते राजनीतिक परिवेश में समाजवादी पार्टी के बाराबंकी २६८ से प्रत्याशी सुरेश यादव के साथ बेनी प्रसाद वर्मा विरोधी खेमा,छोटे लाल से नाराज़ लोग व संग्राम सिंह से दुखी लोग एक जुट हो चुके है| एक सशक्त दावेदार के रूप में अल्प समय में उभरे सुरेश यादव के साथ व्यापारी तबका व्यग्तिगत व्यावसायिक कारणों से लगा है| समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव को , उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी से जाने वालो की परवाह ना करके आने वालो का स्वागत करना चाहिए,जाने वाले टिकेट ना मिलने से नाराज़ है और आने वाले जुल्मी बहुजन समाज पार्टी से निजात पा कर समाजवादी सरकार बनाने में अपना योगदान देने के लिए आयेंगे, यह अंतर ही मंशा को स्पष्ट करता है| बाराबंकी जनपद की कुर्सी विधान सभा से भी तत्काल प्रत्याशी घोषित कर देना रणनीतिक रूप से बेहतर होगा| यहाँ से मुस्लिम प्रत्याशी उतारना ही सर्वाधिक उचित होगा | हालिया समाजवादी पार्टी में शामिल विधायक फरीद महफूज़ किदवई को कुर्सी से उतारना इस सीट पर विजय सुनिश्चित कर देगा| प्रारंभ में कमजोर माने जा रहे बाराबंकी विधान सभा के प्रत्याशी सुरेश यादव की जीत का रास्ता दिन प्रति दिन सुगम होता जा रहा है| कुर्सी से मुस्लिम प्रत्याशी की जल्द से जल्द घोषणा समाजवादी पार्टी के विधान सभा विजय अभियान को ताकत प्रदान करेगी|

Friday, September 16, 2011

भ्रष्ट केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा को बर्खास्त कर सी बी आई जाँच हो-- राजनाथ शर्मा



भ्रष्ट केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा को बर्खास्त कर सी बी आई जाँच हो-- राजनाथ शर्मा गाँधी जयंती समारोह ट्रस्ट के मुखिया व समाजवादी विचारक राजनाथ शर्मा ने आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हजरतगंज स्थित महात्मा गाँधी की प्रतिमा स्थल पे श्रधा सुमन अर्पण व माल्यार्पण के बाद गोंडा से सांसद केंद्र की कांग्रेसी सरकार में इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा को भ्रष्ट बताते हुये प्रधानमंत्री को प्रशासन के माध्यम से एक मांग पत्र भेजा| आज प्रातः १० बजे गाँधी प्रतिमा पे प्रदेश के कोने कोने से आये गाँधीवादी - समाजवादी कार्यकर्ताओ ने जुट गये | वरिष्ट समाजवादी नेता गिरीश पांडे,सहदेव सिंह गौतम,सोशलिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के संयोजक शैलेन्द्र शुक्ल,अरविन्द बाजपाई ,लालजीत यादव, आनंद नारायण मिश्र ,डॉ हसन रिज़वी,अमित शुक्ल,जगदम्बा सिंह,फहीम सिद्धिकी , भारत लाल,राहुल दुबे ,विजय वाल्मीकि, पटेश्वरी प्रसाद के साथ आये सैकड़ो कार्यकर्ताओ को संबोधित करते हुये राजनाथ शर्मा ने कहा कि बेनी प्रसाद द्वारा अपने मंत्री पद का दुरुप्रयोग किया जाना बदस्तूर जारी है, अपने पुत्र को विधायक बनाने के लिए बाराबंकी के दरियाबाद विधानसभा में प्रलोभन और सरकारी धन का उपयोग संविधान विरोधी है| सुचना के अधिकार से जानकारी देने में हिला हवाली कि जा रही है| बेनी प्रसाद वर्मा की संपत्ति की जाँच की मांग दोहराते हुये राजनाथ शर्मा ने कहा कि अगर मांगो को नहीं पूरा किया गया तो जंतर मंतर -दिल्ली तक धरना प्रदर्शन किया जायेगा|

Monday, September 12, 2011

यथार्थ

यथार्थ क्या अब , काव्य बन पायेगा ? किसान-मजदूर का दर्द ,कौन गा के सुनाएगा? गायेगा तब ना,जब गीत लिखा जायेगा| यथार्थ क्या अब,काव्य बन पायेगा? जो देश के विकास का , आधार कहलाते है| अपना पूरा जीवन , श्रम में लगाते है| उनके अंतर्मन का मर्म ,क्या कोई लिख पायेगा? यथार्थ क्या अब,काव्य बन पायेगा? रूचि-अभिरुचि का सवाल,यहाँ मुखरित हो रहा| विकास की चक्की में, अन्नदाता पिस रहा| श्रमिक अब,राहत व बख्शीश पर टिक रहा , श्रम का मोल ,उसे ना मिल रहा| यथार्थ क्या अब काव्य बन पायेगा?

Thursday, September 8, 2011

समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशियो के लिए मुसीबत बने चन्द असंतुष्ट

अरविन्द विद्रोही उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी बहुजन समाज पार्टी की जन विरोधी नीतिओ के खिलाफ सड़क से सदन तक आवाज उठाने व संघर्ष करते रहने के कारन समाजवादी पार्टी आम जन मानस के बीच गहरी पैठ बना चुकी है | बसपा सरकार की मनमानी व तानाशाही पूर्ण आचरण के कारन त्रस्त जन मानस का रुझान समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ के जन संघर्षो को देख कर ही समाजवादी पार्टी की तरफ हुआ है | इसी रुझान को देख कर विभिन्न दलों के चुनाव लड़ने को आतुर नेताओ ने सपा में अपना भविष्य महफूज़ मानते हुये समाजवादी पार्टी की सदयस्ता ग्रहण कर की थी | विभिन्न दलों से आये तमाम जनाधार वाले प्रभावी लोगो को उनके द्वारा डॉ लोहिया के विचारो से प्रभावित होने की बात कहने पर, समाजवादी विचारो-संकल्पों के लिए काम करने की प्रतिबद्धता जताने पर , मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में संघर्ष का बीड़ा उठाने का वायदा करने पर समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव ने उनको भरपूर तवज्जो देते हुये विधान सभा २०१२ में अधिक से अधिक सीट जितने के मकसद से विधान सभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया | समाजवादी पार्टी के नेतृत्व द्वारा घोषित प्रत्याशियो ने अपने समर्थको के साथ अपने अपने विधान सभा में आम जनता के बीच जाना प्रारंभ कर दिया | करीब एक दर्ज़न सीटों पर प्रत्याशियो को चन्द असंतुष्टो से जो की इसी सीट से विधान सभा का टिकेट मांग रहे थे के अंतर विरोध से जूझना पड़ रहा है | कई बार विधायक रहे,कई बार चुनाव लड़ चुके,हार चुके, हर चुनाव में दल बदलने वाले, चन्द लोग इस बार अपनी चुनावी मंशा पूरी ना होते देख कर बौखला गये है| वर्तमान परिस्थितियो में ,राजनीतिक-सामाजिक समीकरणों के हिसाब से इन सीटो पर घोषित प्रत्याशियो को भारी मतों से विजय श्री मिलनी सुनिश्चित है ,यही कारण है की इन सीटो पर चुनाव लड़ने की अति आतुरता है |सपा के पक्ष में जनमानस का मान भांप के अब असंतुष्ट सपाई ही इन घोषित प्रत्याशियो के विजय मार्ग में कांटे बिछाने का दुष्कर्म कर रहे है |चन्द एक लोग जिस सीट से विधायक होते आये उसके नए परिसीमन में आरक्षित हो जाने से वो दूसरी सीट से लड़ने को जबरन बेताब है | समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा समाजवादी पार्टी मुख्यालय लखनऊ में आयोजित कार्यकर्ता बैठकों में कई बार विधान सभा चुनावो को लेकर निर्देश दिये गये है| हर हाल में चुनाव लड़ने को आतुर चन्द असंतुष्ट नेता उनके निर्देशों का मखौल उड़ने में कोई कोताही नहीं छोड़ रहे है | अभी बीते शुक्रवार को एक टिकटार्थी विधायक जिनकी परंपरागत सीट परिसीमन में आरक्षित हो गयी है , समाजवादी पार्टी प्रदेश मुख्यालय में समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने आये थे| जन चर्चा के अनुसार मिलने के बाद जब ये विधायक कक्ष से बाहर आये तो बाहर बरामदे में खड़े सपा के तमाम नेताओ ने इनकी खैरियत पूछी | राजधानी के निकटवर्ती जनपत के यह विधायक हाल में ही बहुजन समाज पार्टी से टिकेट ना मिलने के कारण समाजवादी पार्टी में शामिल हुये थे |इनको एक सीट से चुनाव लड़ने की हरी झंडी भी दी जा चुकी है लेकिन ये दूसरी सीट से चुनाव लड़ने को आतुर है जहा से पार्टी ने एक मजबूत प्रत्याशी पहले से उतार रखा है| खैरियत पूछते ही विधायक महोदय हत्थे से उखाड़ गये और अनर्गल प्रलाप करने लगे | इनके अनर्गल प्रलाप की चर्चा समाजवादी पार्टी मुख्यालय में आने जाने वालो की जुबान पर है, साथ ही साथ तमाम निष्ठावान नेता-कार्यकर्ता आक्रोशित भी है | सिर्फ नेतृत्व द्वारा अनुशासित रहने के निर्देश के चलते समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ के कोप भजन से यह विधायक उस दिन बच गये |हालिया शामिल इन विधायक के द्वारा कही बातो को पार्टी के जिम्मेदारो तक पहुचने की बात उपस्थित कार्यकर्ताओ ने कही| यह तो रही सपा मुख्यालय में घटित दुर्भाग्य पूर्ण घटना| इसी तरह के चन्द चुनाव लड़ने को आतुर नेताओ की अनर्गल बयान बाजी का सामना तमाम प्रत्याशियो को अपने अपने विधान सभा क्षेत्र में करना पड़ रहा है| इन असंतुष्टो के द्वारा हर हफ्ते टिकेट काटने की अनर्गल अफवाह उड़ाकर ,जनता के मान में भ्रम पैदा करने का पार्टी विरोधी कृत्य चन्द स्वार्थी तत्वों के द्वारा बदस्तूर जारी है | समाजवादी पार्टी को अब इन असंतुष्टो पर मंथन करना चाहिए | आम जनता बहुजन समाज पार्टी से त्रस्त होकर बेहतर विकल्प की तलाश में समज्वाद्दी पार्टी की ही तरफ देख रही है | पार्टी विरोधी गतिविधिओ में लिप्त, घोषित प्रत्याशियो का विरोध करने वालो, टिकेट काट जाने की बात जनता में फ़ैलाने वाले स्वार्थी लोगो को अब सुधरने की चेतावनी देने से कोई फायदा नहीं,इनके तार किसी ना किसी दूसरी पार्टी से जुड़ चुके है| समाजवादी पार्टी के नेतृत्व को अब संगठन के निर्णयों और घोषित प्रत्याशियो का विरोध करने कर सीधे सीधे नेतृत्व को चुनौती देने वालो को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में ना तो देरी करनी चाहिए और ना ही कोताही बरतनी चाहिए| इन चन्द स्वार्थी नेताओ की मंशा हर चुनाव की लड़ना और अपना ही हित साधना है | संगठन हित में , नेतृत्व के निर्णयों के अनुपालन में तनिक भी रूचि ना रखने वाले यह लोग दीमक की तरह पार्टी का नुकसान कर रहे है , इनका उपचार ही एकमात्र विकल्प है |

Wednesday, September 7, 2011

सुरेश यादव-प्रत्याशी बाराबंकी ने कराया भव्य ईद मिलन समारोह

सुरेश यादव-प्रत्याशी बाराबंकी ने कराया भव्य ईद मिलन समारोह बाराबंकी विधान सभा २६८ से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुरेश यादव उर्फ़ धर्म राज यादव के द्वारा पीर बटावन के ईद गाह मैदान में आज आयोजित ईद मिलन समारोह में भारी तादाद में शहर वशियो ने शिरकत किया | सुरेश यादव प्रत्याशी बाराबंकी विधान सभा के द्वारा आयोजित इस ईद मिलन समारोह में समाजवादी पार्टी के अरविन्द सिंह गोप -पूर्व मंत्री, मौलाना मेराज समाजवादी पार्टी जिला अध्यक्ष , संघर्ष शील जमीनी नेता ज्ञान प्रकाश मिश्र, धीरेन्द्र वर्मा, निजामउद्दीन-कुर्सी विधान सभा के प्रबल दावेदार, फरजान उस्मानी , हाजी कुद्दुब बुद्दीन अंसारी, चौधरी कलीम , हाजी जाहिद, नाजिम शाहीन , एकलाख किदवई, अब्दुल लतीफ़ , गीता देवी , मो शमीम , शकील राइन, बाबा फरीद , जमील उस्ताद , मौलाना अजहर , मो जैद अंसारी, आबिद अली , हाजी आरिफ़, आलम बाबा, संतोष रावत, तारिक मुजीब , हशमत राइन, शकील सिद्दकी ,नाजिम खातून , रेहाना बानों, कज़ीमा बानों, नसीम अंसारी, अली अहमद, मो जुबेर , मो शरीफ, सब्बीर, शाबिर अली, उमा शरण यादव, अनिल रावत,सुभाष वर्मा, राधा रमण, जयंत मिश्र, राज कुमार मिश्र, राम कैलाश यादव, राम सिंह यादव, धर्मेन्द्र यादव, ओम कार श्रीवास्तव, गीता देवी, सहित उपस्थित सभी जनों ने एक दुसरे को ईद की मुबारक बार दी| सुरेश यादव प्रत्याशी बाराबंकी विधान सभा के द्वारा आयोजित इस ईद मिलन समारोह में सभी वक्ताओ ने आज के आयोजन के लिए सुरेश यादव को धन्यवाद दिया और कहा कि ईद का पर्व आपसी मेल मिलाप का पर्व है | मुख्य अथिति के रूप में अपने संबोधन में अरविन्द सिंह गोप ने कहा कि यह त्यौहार एक माह के रोज़े के बाद इश्वर अपने बन्दों को ख़ुशी के तोहफे के रूप में देता है | इस मौके पर सुरेश यादव को अपना समर्थन-सहयोग और आने वाले विधान सभा के चुनाव में अपना अमूल्य मत देने कि अपील की| ईद मिलन समारोह में सेवई और छोले का भरपूर जयका उपस्थित जनों ने उठाया| समारोह के अंत में सबका तहे दिल से सुक्रिया अदा करते हुये सुरेश यादव-प्रत्याशी बाराबंकी विधान सभा ने कहा कि आज ईदगाह के इस मैदान में आप लोगो की इतनी भारी तादाद में मौजूदगी ने यह साबित कार दिया है कि आप सभी का स्नेह व आशीर्वाद मेरे साथ है | समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव जी का पूरा जीवन कौमी एकता व मज़लूमो के हक के लिए समर्पित है यह आप सभी जानते है| मैं एक अनुशासित सिपाही की तरह पार्टी आलाकमान का हर आदेश मानने को , उसको पूरा करने को संकल्पित हूँ|