Monday, August 29, 2011

गैर सरकारी संगठनो और पूंजीवादी -साम्राज्यवादी ताकतों का दुष्चक्र

गैर सरकारी संगठनो और पूंजीवादी -साम्राज्यवादी ताकतों का दुष्चक्र अरविन्द विद्रोही भारत में किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पूंजीवादी-साम्राज्यवादी देश गैर सरकारी संगठनो को भारी मात्र में धन दे रहे है ,इसकी जाँच लोकसभा कि संयुक्त संसदिए समिति या किसी अन्य सक्षम जांच एजेंसी से भारत सरकार को तत्काल करनी चाहिए| भारत की लोकतान्त्रिक व्यवस्था ,चुनाव प्रणाली ,संविधान को नकारने का प्रयास व कुचेष्टा करने तथा संसद के खिलाफ दुष्प्रचार करने वालो की साजिश को बेनकाब करने के लिए भारत भूमि के उन लोगो को आगे आना ही पड़ेगा जो भेड़ चल ना चलते हो | लाखो-करोडो रुपया विदेश से प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनो के कारनामो पर नज़र रखने व इनको आम जनता के सामने लाने की महती भूमिका निभाने के लिए अब भारत भूमि के भूमि-पुत्रो को कमर कसना ही पड़ेगा | गैर सरकारी संगठनो के कर्ता-धर्ताओ ने विदेशो से धन व सम्मान प्राप्ति के लिए भारत को अस्थिर करने, अशांति फ़ैलाने , लोकतान्त्रिक व्यवस्था को ख़त्म करने का षड़यंत्र तो नहीं रचा जा रहा है, यह प्रश्न जेहन में कौंधता रहता है| सरकारी सहायता से संचालित गैर सरकारी संगठन पर धन राशी के बन्दर बाँट के लिए भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियो की भी नज़र रहती है लेकिन विदेशी धन से संचालित गैर सरकारी संगठनो पर कोई प्रभावी प्रशासनिक नियंत्रण नहीं दीखता | इनका रवैया व कार्य पद्धति दोनों अत्यंत रहस्यमयी है | इस पर प्रभावी निगरानी की तत्काल जरुरत है|प्रभावी लोकपाल बिल का गठन भ्रस्टाचार को रोकने में एक कारगर कदम होगा यह कहा जा रहा है| लोकपाल विधेयक के गठन की प्रक्रिया चल रही है | संसद ने कुल ५ प्रस्ताविक विधेयको को संसद की ड्राफ्टिंग कमिटी को भेजा है| ध्यान देने की व गंभीर चिंता की बात यह है कि एक स्व गठित तथा कथित सिविल सोसाइटी के लोग जिन्होंने प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक को भ्रस्टाचार के मुद्दे पर लोकपाल में लाने की मांग पर अपना सर्वस्व झोंक दिया, छोटे सरकारी कर्मचारियो तक को लोकपाल के दायरे में लाने की विशेष मांग रखी कि इससे आम जनता को भ्रस्टाचार से निजात मिलेगी , वही यह सिविल सोसाइटी के स्वयंभू लोग विदेशी धन पाने वाले गैर सरकारी संगठनो को प्रभावी व सक्षम लोकपाल के अधीन करने कि मांगो का विरोध कर रहे है और इस मांग को कि सभी गैर सरकारी संगठनो को लोकपाल के दायरे में लाया जाये सिरे से खारिज करते है |गैर सरकारी संगठनो को प्रभावी लोकपाल के दायरे से बाहर रखने कि कवायत व प्रयास करने वाले इन तथा कथित सिविल सोसाइटी के लोगो की मंशा को संदेह के घेरे में लाती है | क्या इन लोगो के द्वारा संचालित गैर सरकारी संगठनो को विदेशी धन राशी मिलती है, और अगर हा तो किस लिए? सभी गैर सरकारी संगठनो को यह लोग प्रभावी लोकपाल के दायरे में नहीं लाना चाहते इसका क्या करण हो सकता है? क्या विदेशी धन का गलत कामों में प्रयोग हो रहा है भारत में ? क्या यह इन सिविल सोसाइटी के लोगो का भ्रस्टाचार नहीं है? पुरे देश के लोकतंत्र को कठघरे में खड़े करने वाले इन लोगो की संपूर्ण गतिविधिया इनके संविधान विरोधी मानसिकता व सामाजिक चरित्र को परिलक्षित करती है | संसद में गैर सरकारी संगठनो को प्रभावी लोकपाल के अधीन लाने की चर्चा हुई | हमारा यह भी सुझाव है विदेशी धन व विदेशी सम्मान पाने वाले किसी भी गैर सरकारी संगठन के किसी भी कार्यकर्ता को लोकपाल ना बनाया जाये | लोकतंत्र में भारत के हर देश भक्त का , भूमि पुत्र का शत प्रतिशत विश्वास है | इसी विश्वास को संसद ने और सांसदों ने और अधिक दृठता प्रदान की जब इस तथा कथित सिविल सोसाइटी की हठधर्मिता को नकारते हुये उनकी मांगो को संसद की ड्राफ्टिंग कमिटी के पास भेजा, जहा बाकि प्रस्तावित बिलों के साथ साथ विचार किया जायेगा | भारत की सरकार ने सभी नागरिको से लोकपाल विधेयक पर प्रस्ताव व सलाह मांगी थी , सभी प्राप्त विधेयको , सुझावों पर संसद की ड्राफ्टिंग कमिटी विचार करके एक प्रभावी लोकपाल विधेयक का प्रारूप बनाएगी| लोकतान्त्रिक व्यवस्था में संसद के सदन ही कानून - विधेयक बनाते है | एब सदन से बाहर खड़े होकर सदन को नियंत्रित करने का संविधान विरोधी कृत्य करने की कुचेस्टा करने वालो से सरकारों को सख्ती से पेश आना चाहिए| सदन ने सभी सुझावों, प्रस्तावों को विचारार्थ ड्राफ्टिंग कमिटी को भेजा इसके लिए सदन को शत-शत नमन| सदन से , सरकार से निवेदन है की देश-समाज हित में विदेशी धन प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनो के कर्ता-धर्ताओ के विदेशी संपर्क व मंशा को पता करने की दिशा में तत्काल प्रभावी कदम उठाये| इनकी मंशा भारत में अराजकता फ़ैलाने व सामाजिक अलगाव पैदा करने की प्रतीत होती है |