Thursday, February 10, 2011

बाबू बेनी प्रसाद- बाराबंकी जनपद का विकास

Asutosh kumar Srivastava बाराबंकी:- देश के स्वतन्त्रता संग्राम से लेकर आजतक जनपद को गौरव दिलाने वालो में जहा रफी अहमद किदवाई का नाम लिया जाता है वही जनपद को विकास की राह पर ले जाने वालो में मात्र एक ही धुृवतारा है जिसे हम सब बाबू बेनी प्रसाद के नाम से जानते है।

गौरतलब है कि जनपद की परिधि में अनेक नेता आये और अपनी राजनैतिक रोटी सेक कर चलते बने। लेकिन बाबू बेनी प्रसाद का सारा अस्तित्व जनपद के चहुॅमुखी विकास में ही परिलक्षित होता है। मुंह से खरे व दिल के भले इस नेता ने अबतक आधा दर्जन से भी अधिक बार विधान सभा व पांच बार लगातार लोकसभा का चुनाव जीत कर अपने शानदार राजनैतिक कौशल का परिचय दिया है। वर्ष 2007 के विधान सभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी को छोड़कर तुरन्त समाजवादी क्रन्तिदल के गठन के पश्चात हुए चुनाव में बेनी बाबू के हाथ निराशा तो जरूर लगी लेकिन उनके समाजवादी पार्टी छोड़ देने के कारण चुनाव में इसका सीधा लाभ बसपा को मिला तथा बाबू जी के समय आठो विधान सभा सीटो पर परचम लहराने वाली सपा को मात्र दो सीटो से ही सब्र करना पडा। खराब स्वास्थ्य के चलते एक बार विरोधियों को यह कहने का मौका जरूर मिला कि बाबू जी की राजनैतिक पारी अब समाप्त होने को है। लेकिन वर्ष 2009 में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में काग्रेस पार्टी के टिकेट पर गोण्डा संसदीय क्षेत्र से शानदार विजय हासिल कर बाबू जीने अपने विरोधियों को करारा जवाब दिया। इस लोकसभा चुनाव में बाराबंकी लोकसभा सीट से 25 साल बाद बाबू जी ने काग्रेस प्रत्याशी पी0एल0पुनिया को रिकार्ड मतो से विजय बनाकर लोकसभा भेजा यह बात किसी से छिपी नही है। लेकिन राजनीति के क्षेत्र में एक कहावत प्रचलित है कि जिसको अगुली पकड कर चलना सिखाओ वही तुमको पीछे करने की कोशिश करता है। बाबू जी के जन्मदिन के दो साल पूर्व पर नजर डाले तो एक माला के अन्दर बाबू जी व पुनिया एक साथ नजर आते है। लेकिन आज स्थितयां ठीक विपरीत है। एक ही राजनैतिक दल मे होने के बावजूद दोनो लोग एक दूसरे को फूटी ऑख नही सुहाते। वर्तमान समय मे दोनो ही सांसदो को मनमोहन सरकार मे महत्वपूर्ण पद मिले हुए है। लेकिन दोनो लोगो में पार्टी के लिए कौन लाभदायक सिद्ध होगा यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। लेकिन एक बात साफ तौर से कही जा सकती है कि चाहे कोई जितना भी क्यो न बन ले नेता तो बेनी बाबू ही हैं। जब-जब बाबू जी पावर मे होते है तबतब उसका सीधा लाभ जनपद को मिला है चाहे वो वर्ष 1989 से 1991 व 1993 से 1995 में लोक निर्माण मंत्रिपद हो अथवा वर्ष 1996 में देवगौडा सरकार मेे केन्द्रीय दूर सचार मंत्री का पद हो। दोनो पदो पर रहते हुए बाबू जीने जनपद में विकास की गंगा बहाने में कोई कसर नही छोडी। जब वह प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री थे तो जनपद के हर गांव के गली -कूंचो तक सड़को का जाल बिछाने का कार्य किया। और जब वह केन्द्रीय संचार मंत्री बने तो जनपद स्तर से लेकर गांजरी क्षेत्र हेतमापुर तक संचार भवन बनवाकर टेलीफोन लाइन बिछवाने का कार्य किया। इतना ही नही संचार मंत्री रहते हुए ही द्वापरयुगीन पारिजात वृक्ष पर तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भण्डारी द्वारा डाकटिकट जारी करवा कर जनपद को सारे देश में पहचान दिलाने का काम किया। वर्तमान पारी में इस्पात मंत्री बनते ही जगदीश पुर की स्टील फैक्ट्री को पुनः चालू करने व बाराबंकी तथा गोण्डा में इकाईया स्थापित करने की घोषणा से ही लोगो के मन में एक नयी आशा की किरन जगी है। इनके राजनैतिक कौशल का लाभ मिशन 2012 को कामयाब करने में काग्रेस पार्टी को मिलना अवश्यंभावी है।

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