Tuesday, June 14, 2011

दुनियॉं

घिर गये गम के बादळ
रूठ गयी हमसे खुशियॉं,
जाने हमसे क्या खता हुई
उजइ गयी हमारी दुनियॉं।
ऐसा क्या जळजळा उठा
घिर आयी काळी घटा (जीवन मे),
अपनो ने मुह मोइ ळिया
सपनो मे आना छोइ दिया।
टूट गये सारे रिश्ते
बढ गयी ये दूरियॉं,
न जाने ऐसी क्या वजह हुई
सुनसान हुई हमारी गळियॉ।
दिल दर्द से तइप उठा
जीवन अंधेरो मे घटा (बीता),
तकळीफो ने घेर ळिया
उम्मीदो ने दामन छोइ दिया।
घिर गये गम के बादळ
रूठ गयी हमसे खुशियॉं,
जाने हमसे क्या खता हुई
उजइ गयी हमारी दुनियॉं। by Vinay mohan Joshi

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