Thursday, September 8, 2011

समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशियो के लिए मुसीबत बने चन्द असंतुष्ट

अरविन्द विद्रोही उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी बहुजन समाज पार्टी की जन विरोधी नीतिओ के खिलाफ सड़क से सदन तक आवाज उठाने व संघर्ष करते रहने के कारन समाजवादी पार्टी आम जन मानस के बीच गहरी पैठ बना चुकी है | बसपा सरकार की मनमानी व तानाशाही पूर्ण आचरण के कारन त्रस्त जन मानस का रुझान समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ के जन संघर्षो को देख कर ही समाजवादी पार्टी की तरफ हुआ है | इसी रुझान को देख कर विभिन्न दलों के चुनाव लड़ने को आतुर नेताओ ने सपा में अपना भविष्य महफूज़ मानते हुये समाजवादी पार्टी की सदयस्ता ग्रहण कर की थी | विभिन्न दलों से आये तमाम जनाधार वाले प्रभावी लोगो को उनके द्वारा डॉ लोहिया के विचारो से प्रभावित होने की बात कहने पर, समाजवादी विचारो-संकल्पों के लिए काम करने की प्रतिबद्धता जताने पर , मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में संघर्ष का बीड़ा उठाने का वायदा करने पर समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव ने उनको भरपूर तवज्जो देते हुये विधान सभा २०१२ में अधिक से अधिक सीट जितने के मकसद से विधान सभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया | समाजवादी पार्टी के नेतृत्व द्वारा घोषित प्रत्याशियो ने अपने समर्थको के साथ अपने अपने विधान सभा में आम जनता के बीच जाना प्रारंभ कर दिया | करीब एक दर्ज़न सीटों पर प्रत्याशियो को चन्द असंतुष्टो से जो की इसी सीट से विधान सभा का टिकेट मांग रहे थे के अंतर विरोध से जूझना पड़ रहा है | कई बार विधायक रहे,कई बार चुनाव लड़ चुके,हार चुके, हर चुनाव में दल बदलने वाले, चन्द लोग इस बार अपनी चुनावी मंशा पूरी ना होते देख कर बौखला गये है| वर्तमान परिस्थितियो में ,राजनीतिक-सामाजिक समीकरणों के हिसाब से इन सीटो पर घोषित प्रत्याशियो को भारी मतों से विजय श्री मिलनी सुनिश्चित है ,यही कारण है की इन सीटो पर चुनाव लड़ने की अति आतुरता है |सपा के पक्ष में जनमानस का मान भांप के अब असंतुष्ट सपाई ही इन घोषित प्रत्याशियो के विजय मार्ग में कांटे बिछाने का दुष्कर्म कर रहे है |चन्द एक लोग जिस सीट से विधायक होते आये उसके नए परिसीमन में आरक्षित हो जाने से वो दूसरी सीट से लड़ने को जबरन बेताब है | समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा समाजवादी पार्टी मुख्यालय लखनऊ में आयोजित कार्यकर्ता बैठकों में कई बार विधान सभा चुनावो को लेकर निर्देश दिये गये है| हर हाल में चुनाव लड़ने को आतुर चन्द असंतुष्ट नेता उनके निर्देशों का मखौल उड़ने में कोई कोताही नहीं छोड़ रहे है | अभी बीते शुक्रवार को एक टिकटार्थी विधायक जिनकी परंपरागत सीट परिसीमन में आरक्षित हो गयी है , समाजवादी पार्टी प्रदेश मुख्यालय में समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने आये थे| जन चर्चा के अनुसार मिलने के बाद जब ये विधायक कक्ष से बाहर आये तो बाहर बरामदे में खड़े सपा के तमाम नेताओ ने इनकी खैरियत पूछी | राजधानी के निकटवर्ती जनपत के यह विधायक हाल में ही बहुजन समाज पार्टी से टिकेट ना मिलने के कारण समाजवादी पार्टी में शामिल हुये थे |इनको एक सीट से चुनाव लड़ने की हरी झंडी भी दी जा चुकी है लेकिन ये दूसरी सीट से चुनाव लड़ने को आतुर है जहा से पार्टी ने एक मजबूत प्रत्याशी पहले से उतार रखा है| खैरियत पूछते ही विधायक महोदय हत्थे से उखाड़ गये और अनर्गल प्रलाप करने लगे | इनके अनर्गल प्रलाप की चर्चा समाजवादी पार्टी मुख्यालय में आने जाने वालो की जुबान पर है, साथ ही साथ तमाम निष्ठावान नेता-कार्यकर्ता आक्रोशित भी है | सिर्फ नेतृत्व द्वारा अनुशासित रहने के निर्देश के चलते समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ के कोप भजन से यह विधायक उस दिन बच गये |हालिया शामिल इन विधायक के द्वारा कही बातो को पार्टी के जिम्मेदारो तक पहुचने की बात उपस्थित कार्यकर्ताओ ने कही| यह तो रही सपा मुख्यालय में घटित दुर्भाग्य पूर्ण घटना| इसी तरह के चन्द चुनाव लड़ने को आतुर नेताओ की अनर्गल बयान बाजी का सामना तमाम प्रत्याशियो को अपने अपने विधान सभा क्षेत्र में करना पड़ रहा है| इन असंतुष्टो के द्वारा हर हफ्ते टिकेट काटने की अनर्गल अफवाह उड़ाकर ,जनता के मान में भ्रम पैदा करने का पार्टी विरोधी कृत्य चन्द स्वार्थी तत्वों के द्वारा बदस्तूर जारी है | समाजवादी पार्टी को अब इन असंतुष्टो पर मंथन करना चाहिए | आम जनता बहुजन समाज पार्टी से त्रस्त होकर बेहतर विकल्प की तलाश में समज्वाद्दी पार्टी की ही तरफ देख रही है | पार्टी विरोधी गतिविधिओ में लिप्त, घोषित प्रत्याशियो का विरोध करने वालो, टिकेट काट जाने की बात जनता में फ़ैलाने वाले स्वार्थी लोगो को अब सुधरने की चेतावनी देने से कोई फायदा नहीं,इनके तार किसी ना किसी दूसरी पार्टी से जुड़ चुके है| समाजवादी पार्टी के नेतृत्व को अब संगठन के निर्णयों और घोषित प्रत्याशियो का विरोध करने कर सीधे सीधे नेतृत्व को चुनौती देने वालो को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में ना तो देरी करनी चाहिए और ना ही कोताही बरतनी चाहिए| इन चन्द स्वार्थी नेताओ की मंशा हर चुनाव की लड़ना और अपना ही हित साधना है | संगठन हित में , नेतृत्व के निर्णयों के अनुपालन में तनिक भी रूचि ना रखने वाले यह लोग दीमक की तरह पार्टी का नुकसान कर रहे है , इनका उपचार ही एकमात्र विकल्प है |

1 comment:

  1. VIDROHI ARVIND HAS WRITTEN A POSITIVE & NECESSARY ARTICLE IN CONTEXT OF FORTHCOMING UP ELECTION. SOCIALIST MOVEMENT IN INDIA IS GOING THROUGH A VARY CRUCIAL & CRITICAL PHASE. ONLY MOST HONEST AND DEDICATED ACTIVIST CAN SAVE IT NOW. A STRICT DISCIPLINED CHARACTER SHOULD BE MAINTAINED BY LEFTIST.

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