Friday, March 2, 2012
कुशल वक्ता ,उच्च कोटि के लेखक, क्रांतिकारी लाला हरदयाल
अरविन्द विद्रोही .................. प्रतिदिन सूर्य उदय होता है ,अस्त होता है ,रात्रि अपना अंधकार फैलाती है | मानव जीवन की शुरुआत का अर्थ ही मौत का निश्चित आना है | ३ मार्च की रात विलक्षण प्रतिभा के धनी लाला हरदयाल जो सोये तो सोते ही रह गये | ४ मार्च की सुबह अनपेक्षित रूप से वे फिलाडेल्फिया-अमेरिका में मृत्यु की आगोश में चले गये | लाला हरदयाल कुशल वक्ता व उच्च कोटि के लेखक थे | दीनबंधु एंड्रूज के अनुसार यदि लाला हरदयाल का जन्म शांति के समय में होता तो वो अपनी बुद्धि का उपयोग आश्चर्य जनक कार्यो के लिए करते | लाला हरदयाल ने उन्हें विलक्षण आदर्श वादी करार दिया | पेशकार गौरी दयाल माथुर के पुत्र रत्न रूप में लाला हरदयाल का जन्म दिल्ली में हुआ था | सेंट स्टीफेन कॉलेज दिल्ली से कला स्नातक की उपाधि लाला हरदयाल ने ली | राजकीय कॉलेज लाहौर से एक ही वर्ष में अंग्रेजी साहित्य में तथा अगले वर्ष इतिहास में परास्नातक किया | दिल्ली में लाला हरदयाल क्रान्तिकारियो के प्रति आकर्षित हो गये | मास्टर अमीर चन्द्र ,भाई बाल मुकुंद और हनुमंत सहाय जैसे विख्यात क्रांतिकारी इनके मित्र थे | लार्ड हार्डिंग्ज बम कांड में चार क्रान्तिकारियो को सजा मिली थी | उच्च शिक्षा के लिए आप लन्दन गये ,फिर कुछ दिन बाद भारत वापस लौट आये | लाला हरदयाल ने कुछ समय के बाद लाहौर में एक संस्था की स्थापना की यहाँ उनकी मुलाकात लाला लाजपत राय से हुई | लाला हरदयाल ने स्वदेशी मंत्र को अपने जीवन में आत्म सात कर लिया था | भारत सरकार और आक्सफोर्ड विद्या पीठ की छात्र-वृत्ति को नकार दिया था | अंग्रेजी पोशाक को भी ठुकरा दिया था | निमोनिया होने पर घर की बनी हुई दवाइयों का सेवन किया | लाहौर के आश्रम में रहते हुये लाला हरदयाल ने पंजाबी भाषा में अख़बार निकाला | लाहौर के आश्रम में कार्यकर्ताओ की भर्ती के लिए लाला हरदयाल कानपुर के प्रसिध्द वकील पृथ्वी नाथ समाजसेवी के घर पधारे | उनके सादगी पूर्ण और तपस्वी जीवन का युवको पर बहुत प्रभाव पड़ा | पंजाब में अकाल के दौरान संकट ग्रस्त लोगो की जो सेवा उन्होंने की थी , उसके कारण उनकी लोकप्रियता बहुत बढ़ गयी थी | पुलिस लाला हरदयाल को गिरफ्तार करने का मौका तलाशने लगी | लाला लाजपत राय ने लाला हरदयाल को भारत छोड़ कर विदेश जाने के लिए प्रेरित किया | लाला हरदयाल कोलम्बो मार्ग से इटली होकर फ्रांस पहुचे | फ्रांस में श्याम जी कृष्ण वर्मा और उनके सहयोगी दल सक्रिय था | मैडम कामा ने वन्देमातरम अख़बार का संपादक लाला हरदयाल को बना दिया | प्रथम अंक मदन लाल धींगरा की स्मृति को समर्पित किया गया | वन्देमातरम के अंक बलिदान गाथाओ से भरे होते थे | भारतीओं को देश भक्ति की प्रेरणा मिलती थी- वन्देमातरम के अंको से | ब्रिटिश सरकार की नज़रे लाला हरदयाल को तलाशते हुये पेरिस आ गयी | ब्रिटिश सरकार फ्रांस सरकार पर क्रान्तिकारियो की गिरफ़्तारी के लिए दबाव बनाने लगी | इन परिस्थितियो में लाला हरदयाल इजिप्ट-मिस्र चले गये | वहा इजिप्शियन क्रान्तिकारियो से परिचय हुआ | कुछ समय बाद वे पुनः पेरिस आये परन्तु ब्रिटिश सरकार अभी भी चौकन्नी थी | लाला हरदयाल ला मार्टिनिक नामक समुद्री तट जो कि वेस्ट इंडीज में स्थित है वहा पहुचे | यह फ्रांसीसियो की बस्ती थी | लाला हरदयाल फ्रेंच जानते थे | वहा भरपूर नैसर्गिक सौंदर्य विद्यमान था | स्थानीय लोगो को अंग्रेजी पढ़ा कर वे अपना पेट पालने लगे | यहाँ नैसर्गिक वातावरण में उन्होंने अपनी स्वाभाविक आध्यात्मिक वृत्ति को बढ़ावा दिया | पहाड़ो की गुफाओ में उन्होंने तपस्या की | सब्जी-फल जो मिलता खा लेते | शाम को स्थानीय ग्रंथालय में बिताते | वे पूरी तरह से सन्यासियो और वैरागियो का जीवन जी रहे थे | भाई परमानन्द प्रसिद्ध क्रांतिकारी भी ला मार्टिनिक आ पहुचे | दयानंद कॉलेज में प्राचार्य का पद छोड़ने के बाद भाई परमानन्द लन्दन आ गये थे | भाई परमानन्द को लाहौर कांड में फांसी की सजा मिली थी जो बाद में आजीवन काले पानी की सजा में तब्दील हो गयी थी | लाला हरदयाल पेरिस में बिताये जा रहे अपने जीवन और लोगो की स्वार्थ वृति से उकता गये थे | माह भर भाई परमानन्द लाला हरदयाल साथ ही रहे | भाई परमानन्द लाला हरदयाल को क्रांतिकारी आन्दोलन में पुनः लाने में सफल रहे | लाला हरदयाल ला मार्टिनिक से बोस्टन, बोस्टन से अमेरिका , अमेरिका से होनोलुलू पहुचे | समुद्र किनारे गुफा में तपस्या ,मजदूरों को धर्मोपदेश और क्रांति साधना यही दिनचर्या थी लाला हरदयाल की |अब लाला हरदयाल शिक्षा जगत में भारतीओं के मन में देश प्रेम जगाने में जुटे थे | भाई परमानन्द के कहने पर वे कैलिफोर्निया पहुचे | वहा एक छात्र वृत्ति देने के लिए समिति का गठन किया | लाला हरदयाल ने सान फ्रांसिस्को में और बर्कले में कुछ भाषण दिये ,जिससे प्रभावित होकर इन्हें लेलैंड - स्टेनफोर्ड विद्यापीठ में संस्कृत और भारतीय दर्शन के प्राध्यापक पद पर रखा गया , जिसे लाला हरदयाल ने अवैतनिक रूप से स्वीकार किया | संपूर्ण अमेरिका में लाला हरदयाल की छवि एक भारतीय ऋषि की हो गयी थी | अपनी लोकप्रियता का उपयोग उन्होंने क्रन्तिकार्य को आगे बढ़ाने में किया | २३ दिसंबर ,१९१२ को दिल्ली में लार्ड हार्डिंग्ज पर बम फैंका गया | खबर सुनकर लाला हरदयाल और विद्यार्थियो ने अमेरिका में वन्देमातरम और भारत माता की जय के नारे लगाये | सार्वजनिक सभा में जय घोष हुआ | युगांतर सर्कुलर नामक पत्र में छपे लाला हरदयाल के लेखो का दुनिया भर में बम विस्फोट से ज्यादा प्रभाव हुआ | सान फ्रांसिस्को का युगांतर आश्रम ग़दर पार्टी का मुख्यालय था | इस आश्रम में अनेको क्रांतिकारी तपोमय जीवन व्यतीत कर रहे थे | ग़दर पार्टी का नाम पहले द हिंदुस्तान एसोसियशन ऑफ़ पेसिपक एशियन था | ग़दर पार्टी के अध्यक्ष सोहन सिंह भागना , लाला हरदयाल मंत्री तथा पंडित काशीराम कोषाध्यक्ष थे | ग़दर पत्र उर्दू और पंजाबी भाषा में निकलता था | लाला हरदयाल के ओजस्वी लेखन से ग़दर के प्रचार-प्रसार के साथ साथ धन संघर्ष भी बढ़ रहा था | २५ मार्च , १९१३ को अमेरिकी सरकार ने लाला हरदयाल को गिरफ्तार कर लिया | जमानत पर रिहा होने के बाद ग़दर पार्टी के अनुरोध पर वे तुर्की से जिनेवा ,फिर रामदास नाम से २७ जनवरी , १९१५ को जिनेवा से बर्लिन जा पहुचे | प्रथम विश्व युद्ध का दौर था | लाला हरदयाल ने बर्लिन कमेटी की स्थापना करके यहाँ भी स्वतंत्रता की लडाई जारी रखी | चम्पक रमण पिल्लै , तारक नाथ दास , अब्दुल हाफिज़ मोहम्मद बरकतुल्ला , डॉ चन्द्रकान्त चक्रवर्ती , डॉ भूपेंद्र नाथ दत्त , डॉ प्रभाकर , वीरेन्द्र सरकार एवं वीरेन्द्र चटोपाध्याय प्रमुख क्रांतिकारी बर्लिन में क्रांति मिशन का संचालन कर रहे थे | लाला हरदयाल के आने से साहित्य का निर्माण और भी तेजी से होने लगा | बर्लिन कमेटी ने योजना बनायीं कि जब भारत में विद्रोह हो तभी अंग्रेजो के शत्रु देश भी आक्रमण करे | ग़दर पार्टी ने विद्रोह की तारीख तय की २१ फ़रवरी,१९१५ | लाला हरदयाल ने फ्रांस,स्वीडन,नार्वे,स्विट्जर्लैंड ,इटली ,आस्ट्रिया आदि देशो के क्रान्तिकारियो से संपर्क करके भारत की क्रांति के लिए पोषक वातावरण बनाया | जर्मनी में युद्ध बंदी के पश्चात् लौटे सैनिको को भी आज़ादी की जंग में उतरने कि तैयारी हो गयी | इसी समय राजा महेंद्र प्रताप ने जर्मनी पहुच कर कैसर विलियम को प्रभावित करके जर्मनी और भारतीय सदस्यों का शिष्ट मंडल बनाया और अफगानिस्तान में अस्थायी आजाद हिंद सरकार की स्थापना की | जर्मनी से क्रान्तिकारियो के लिए शास्त्रों से भरे अनेक जहाज भारत भेजे गये | अंग्रेजो ने इन जहाजो को पकड़ लिया | जर्मनी पराजित होने लगा था | जर्मनी ने लाला हरदयाल को १९१६ से १९१७ तक नज़रबंद रखा | बाद में छिपते हुये स्वीडन पहुचे लाला हरदयाल अलग अलग शहरो में नौ वर्षो तक रहे | स्वीडिश भाषा सीख़ ली और स्वीडिश भाषा में ही अपना भाषण-संभाषण और अध्यापन करने लगे | चौदह भाषाओ पर पुर्नाधिकार था माँ भारती के इस क्रांति ज्वाला का | २७ अक्टूबर,१९२७ को लाला हरदयाल लन्दन पहुचे | लन्दन में भाई किशन लाल और भतीजे भगवत दयाल के साथ रहते हुये उन्होंने १९३१ में गौतम बुद्ध के दार्शनिक विचारो पर शोध ग्रन्ध लिखकर पी एच डी की उपाधि प्राप्त की | सर तेज़ बहादुर सप्रू और सी एफ एंड्रूज के प्रयत्नों से उन्हें भारत आने की अनुमति मिली | भारतीय जनता इस विलक्षण , बुद्दिमान और विश्व विख्यात व्यक्तित्व वाले भारत पुत्र के आगमन का स्वागत करने की तैयारी में लगी थी परन्तु लाला हरदयाल नहीं आये उनके मृत्यु की खबर ही एकाएक भारत आ गयी |
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क्रांतिकारी लाला हरदयाल जी पर विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई। क्रांतिकारियों का स्मरण पुण्य कार्य है।
ReplyDeleteThanx
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