Wednesday, July 4, 2012

दलाल पत्रकारिता और भ्रष्ट पुलिस तंत्र का हमला तेज़ हुआ है बेबाक पत्रकारिता पे


अरविन्द विद्रोही ................... यशवंत सिंह -संपादक भड़ास ४ मिडिया की नोयडा पुलिस के द्वारा गिरफ़्तारी ने यह साबित कर दिया है कि वेब मिडिया कि ताकत से दलाल पत्रकारों और भ्रष्ट पुलिस तंत्र के रखवारो के होश उड़ गये है | पिछले महीनो से संदुपुर -बाराबंकी , गोरखपुर , लखनऊ के पश्चात् नोयडा और लखीमपुर में जनसरोकार रखने वाले और निर्भीक पत्रकारों के पुलिसिया उत्पीडन से यह साफ हो गया है कि यह एक सुनियोजित साजिस है निर्भीक पत्रकारों कि आवाज़ को दबाने की | एक के पश्चात् एक घटित हो रही घटना यह सिद्ध करती है कि वेब मीडिया ने दलाल प्रवृति के पोषक और पत्रकारिता कि आड़ में अधिकारियो की दलाली करने वाले प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मिडिया के पत्रकारों के काकस को भेद दिया है | यशवंत सिंह की गिरफ़्तारी प्रकरण के पश्चात् वेब मिडिया की ताकत और भी ज्यादा बढ़ेगी | पत्रकारिता जगत के काले कारनामो को उजागर करने की वजह से ही यशवंत सिंह और भड़ास ४ मिडिया भ्रष्ट-दलाल लोगो की आँखों की किरकिरी बन गये थे और आज भी बने है | शायद इन दलालों को अनुमान रहा हो कि यशवंत सिंह कि फर्जी मुकदमो में गिरफ़्तारी के पश्चात् भड़ास का संचालन बंद हो जायेगा , यशवंत अकेले और अलग थलग पद जायेंगे , साथी साथ त्याग देंगे | लेकिन उनका अनुमान दुर्भाग्यवश गलत सिद्ध हो चुका है | यशवंत सिंह के साथ आज तमाम वरिष्ट पत्रकार खड़े है | कुमार सौवीर ,प्रकाश हिन्दुस्तानी , सुभाष राय , दयानंद पाण्डेय , हरे प्रकाश उपाध्याय ,मदन तिवारी , सैयद असदर अली , अविनाश , कृष्णभानु आदि ने इस प्रकरण पे अपने विचार लिख कर निर्भीक पत्रकारिता को उर्जा व ताकत प्रदान करी है | दलाली से इतर जनसरोकार व निर्भीक पत्रकारिता , बेबाक लेखन करने वालो को इस तरह कि दिकक्तो से रूबरू होते ही रहना पड़ेगा | व्यवस्था को जड़ तक भ्रष्ट कर चुके लोगो को यह कतई नहीं गवारा होता है कि कोई उनकी जड़ पर प्रहार करे | कमियां उजागर करने वालो को सदैव साजिशो का शिकार होना पड़ता है | बस जिस तरह दलाल पत्रकारों का साथ दलाल दे रहे है उसी तरह अब निर्भीक व बेबाक लेखन का माद्दा रखने वालो को दलाल पत्रकारिता के खिलाफ , उनकी सज़िसो के खिलाफ अब कलमकारों की कलम अनवरत चलती रहनी चाहिए |

2 comments:

  1. "निर्भीक व बेबाक लेखन का माद्दा रखने वालो को दलाल पत्रकारिता के खिलाफ , उनकी सज़िसो के खिलाफ अब कलमकारों की कलम अनवरत चलती रहनी चाहिए |"--बेबाक और सटीक अपील है यह....

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  2. बहुत सटीक लेख । सच को दबाने का प्रयास के प्रतिरोध भी उसी सशक्तता के साथ किया जाएगा । वैसे भी हमलोग शीशे के मकान के बाशिंदे तो हैं नही । कबीर के फ़्क्कडो को क्या अंतर पडता है ।

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