हमें जगाती चिड़िया
चीं-चीं-चीं चिड़िया करती,
मेरे घर में वो रहती है।
रोज सुबह वह शोर मचाती,
हमको बिस्तर से है उठाती।
चीं-चीं-चीं करती जाती,
भोर हुई उठ कहती जाती।
जब तक हम उठ न जाते,
चीं-चीं-चीं करती जाती।
उठ कर बिस्तर से जैसे ही,
दरवाजों के पट खोलें हम।
नील गगन में उड़ जाती है।
हमसे कहती अब तुम भी,
झट से विद्यालय जाओं न।
पढ़ना-लिखना जाओ सीखों,
समय व्यर्थ गवाओं न।
चीं-चीं-चीं करती चिड़िया ,
प्रतिदिन हमें उठाती है।
अच्छी चिडिया सुन्दर चिडिया,
हमें राह दिखाती है।
अच्छी रचना , बधाई !
ReplyDeleteसुंदर रचना|
ReplyDeleteThanx
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बालकविता....
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