Monday, February 7, 2011

उ0प्र0 में समाजवादी पार्टी ही है बसपा के मुकाबिल

उ0प्र0 में समाजवादी पार्टी ही है बसपा के मुकाबिल
अरविन्द विद्रोही

उ0प्र0 में आगामी विधान-सभा चुनावों के मद्देनजर बहुजन समाज पार्टी ने अपने विधान-सभा वार प्रत्याशियों की घोषणा करके प्रत्याशी चयन में पुनःबाजी मार ली है।कांग्रेस व भाजपा दोनो दल अभी भी अपने-अपने संगठन के अन्दरूनी हालात से जूझ रहे हैं।समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव अपना बिखरा समाजवादी कुनबा व जनाधार वापस लाने में प्रयासरत् हैं।अभी हाल में ही सम्पन्न हुए पंचायती चुनावों में जिस प्रकार बहुजन समाज पार्टी से अकेले समाजवादी पार्टी लड़ती नजर आई,उससे बहुजन समाज पार्टी की सरकार के काम-काज के तरीकों,उसके कार्यकर्ताओं के रवैये से नाराज मतदाताओं की पहली पसन्द समाजवादी पार्टी बनती जा रही है।समाजवादी पार्टी के जनाधार वापसी की मुहिम को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में तेजी से लोकप्रिय हो चुकी पीस पार्टी से बहुत बड़ी चुनौती मिल सकती है।मुस्लिम मतों में अपने प्रति विश्वास की मजबूती व जनाधार में वृद्धि के लिए ही मुलायम सिंह यादव ने अपने पुराने साथी समाजवादी नेता आजम खान को पूरी तवज्जों देते हुए घर वापसी कराई है।
उ0प्र0 के आगामी विधान-सभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी फिर से सत्ता में बहुमत से वापस आयेगी कि नही यह अलग विषय है तथा इसका निश्चित पता मतगणना के पश्चात् नतीजों के आने से ही होगा।लेकिन चुनावों के पूर्व की तैयारियों,संगठन की ढं़ाचागत व्यवस्था,प्रत्याशी चयन में,बूथ वार कमेटियों के गठन में यह निर्विवाद सत्य है कि बहुजन समाज पार्टी सभी राजनैतिक दलों से आगे चल रही है।बसपा सरकार की उपलब्धियां बूथ कमेटी के कार्यकर्ताओं की विधान-सभा क्षेत्र वार बैठकें लेकर बसपा के क्षेत्रीय कोआर्डिनेटरों के द्वारा पहुॅंचाना एक सुनिश्चित तयशुदा कार्यक्रम है।इन्ही बैठकों में बूथ कमेटी स्तर के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कायम कर,क्षेत्रीय विधायक,सांसद व संगठन की समीक्षा होती है।बहुजन समाज पार्टी का सांगठनिक ढांचा,बूथ कमेटियों,कार्यकर्ताओं,विधायकों,सांसदों,कोआर्डिनेटर्स पर बसपा अध्यक्ष मायवती का एकाधिकार बसपा को एक अनुशासित दल के रूप में बनाये रखे है।कांगेस सिर्फ राहुल के करिश्मे के सहारे आत्ममुग्धता का शिकार है।पुराने समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा को मंत्री बनाने से कांग्रेस को कम से कम दो दर्जन सीटों पर बेनी प्रसाद के व्यक्तित्व व जनाधार के कारण विधान-सभा में विजय मिलना निश्चित है बशर्तें उम्मीदवार चयन में जनाधार वाले बेनी प्रसाद वर्मा की पसन्द को तवज्जों दी जाये।बेनी प्रसाद वर्मा के अतिरिक्त गॉंधी-नेहरू परिवार को छोड़कर कोई भी एैसा नेता कांग्रेस में नही है जो अपने संसदीय क्षेत्र या अपने गृह जनपद की सभी विधान-सभा क्षेत्रों पर प्रत्याशी को मुख्य चुनावी संघर्ष में ला सके।भारतीय जनता पार्टी तो सही मायने में अभी भी उ0प्र0 में कमजोर नेतृत्व का दंश झेल रही है।विनय कटियार,योगी आदित्यनाथ,लल्लू सिंह,वरूण गॉंधी सरीखे उर्जावान नेताओं को प्रदेश की कमान सौंपने से भारतीय जनता पार्टी का मूल आधार वापस आते देर नही लगेगी।परन्तु फिलहाल एैसा कुछ होता दिख नहीं रहा है।उ0प्र0 में भाजपा की नौका चुनावी वैतरणी को प्रत्याशियों,क्षेत्रीय नेताओं व राम भरोसे ही पार करेगी,यही प्रतीत होता है।कल्याण सिंह,चौ0अजित सिंह,डा0अयूब,ओम प्रकाश राजभर,कौशल किशोर,उदित राज आदि नेता अपने-अपने दलों के प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतार कर नतीजों को प्रभावित करने की भूमिका निभायेंगे।इन नेताओं के दलों का संगठन इनके व्यक्तिगत,जातीय प्रभाव वाले क्षेत्रों में है।
इस समय उ0प्र0 में विधायक बनने की लालसा रखने वालों की पहली पसन्द सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी ही है।ऐन केन प्रकारेण विधायक बनने की चेष्टा में लगे लोग बहुजन समाज पार्टी में दाल न गलने के पश्चात् समाजवादी पार्टी को विकल्प के रूप में मान रहे हैं।बसपा से टिकट न मिलने से,बसपा से निकाले जाने के बाद तमाम लोग समाजवादी पार्टी के नेताओं से मेल-जोल बढ़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की चेष्टा में लगे हैं।जिन लोगों को आपराधिक प्रवृत्ति का होने के कारण,उनके द्वारा अपने आचरण में सुधार न करने की बात कह कर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने अपने दल से निकाला है वो अब मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी का दामन थामने को प्रयासरत् हैं।इसी बात का फायदा उठाने के लिए बसपा अध्यक्ष मायावती ने सपा को गुण्ड़ो-अपराधियों की पार्टी कहा है।समाजवादी पार्टी के निष्ठावान संघर्षशील कार्यकर्ता भी नही चाहते कि जिन लोगों को बसपा ने नाकारा है उनको समाजवादी पार्टी टिकट या संगठन में पद से नवाजे।अब समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के सामने अपने कार्यकर्ताओं,संघर्ष के साथियों के हितों की रक्षा का दायित्व भी है और उ0प्र0 की सत्ता पर काबिज होकर एक समाजवादी लोकतांत्रिक राज्य की स्थापना का लक्ष्य भी।

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